कोई दुःख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं
वही हारा जो लड़ा नहीं।
-कुँवर नारायण
इस अंक में
अनकहीः धरती छूती अम्बर - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखः शिक्षा- स्कूल खोलें या न खोलें -डॉ. सुशील जोशी
यात्राः उज़्बेकिस्तान : मज़हबी पाबंदियों से मुक्त एक देश -देवमणि पाण्डेय
पर्यावरणः जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 संकट –स्रोत फीचर्स
नवगीतः दिल्ली के उन राजपथों से -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
व्यंग्यः पहले आप सुसाइड नोट लिख डालें -धर्मपाल महेंद्र जैन
आलेखः जीवन का आनन्द -जेन्नी शबनम
संस्कृतिः लोक- चित्रांकन की अद्भूत परंपरा गोदना -प्रो. अश्विनी केशरवानी
कहानीः तस्वीर का दूसरा रुख -रोचिका अरुण शर्मा
लघुकथाएँ- सुंदरता, वहाँ है पानी, चकमा, मुझसे पूछा था क्या -सीमा व्यास
कविताः इन दिनों कविताएँ लिखती है मुझे -सत्या शर्मा 'कीर्ति '
लघुकथाः महँगी धूप -रवि प्रभाकर
बाल कविताएँ- स्वच्छ भारत, ताऊ जी की बुक स्टाल -चक्रधर शुक्ल
किताबें- जीवन के अनुभवों की सीख बाँटते ताँका -रमेश कुमार सोनी
6 comments:
बहुत ही सुन्दर अंक हमेशा के समान। हार्दिक बधाई आदरणीया रत्ना जी
हमेशा की तरह उम्दा अंक के लिए रत्ना वर्मा जी को हार्दिक बधाई।
रमेश कुमार सोनी जी द्वारा लिखी मेरी पुस्तक समीक्षा को इस अंक में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
एक और अच्छे अंक के लिए आप और आपकी टीम को हार्दिक बधाई। सभी स्तम्भ अच्छे हैं।
सदा की तरह ख़ूबसूरत अंक! हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!
~सादर
अनिता ललित
उदंती के प्रकाशन में रत्ना जी का साहित्यिक समर्पण साफ झलकता है । इस बार का अंक भी बहुत सुंदर और सार्थक निकला है, जिसके लिए हार्दिक बधाई ।
आप सबसे निरंतर मिल रहे सहयोग औेर स्नेह से उत्साह बना रहता है! आप सबने सराहा इसके लिए सभी का दिल से बहुत- बहुत आभार और शुक्रिया... 🙏
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