एक साल पहले तक बढ़ते पर्यावरण संकट को लेकर लोगों में काफी चिंता थी; ज़रूरी कदम उठाने सम्बंधी युवा आंदोलन काफी ज़ोर-शोर से हो रहे थे। लेकिन कोविड-19 ने जलवायु संकट पर उठाए जा रहे कदमों और जागरूकता से लोगों का ध्यान हटा दिया। हकीकत में कोविड-19 और पर्यावरणीय संकट में कुछ समानताएँ हैं। दोनों ही संकट मानव गतिविधि के चलते उत्पन्न हुए हैं, और दोनों का आना अनपेक्षित नहीं था। इन दोनों ही संकटों को दूर करने या उनका सामना करने में देरी से कदम उठाए गए, अपर्याप्त कदम या गलत कदम उठाए गए, जिसके कारण जीवन की अनावश्यक हानि हुई। अभी भी हमारे पास मौका है कि हम सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करें, एक टिकाऊ आर्थिक भविष्य बनाएँ और पृथ्वी पर बचे-खुचे प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता की रक्षा करें।
यह तो जानी-मानी
बात है कि स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। पिछले पाँच
वर्षों से स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के लैंसेट काउंटडाउन ने जलवायु परिवर्तन
के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों को मापने वाले 40 से अधिक संकेतकों का
विवरण दिया है और उन पर नज़र रखी हुई है। साल 2020 में प्रकाशित लैंसेट की रिपोर्ट
में बढ़ती गर्मी से सम्बंधित मृत्यु दर, प्रवास और लोगों का विस्थापन, शहरी हरित क्षेत्र में कमी, कम कार्बन आहार (यानी जिस भोजन के सेवन से पर्यावरण को कम
से कम नुकसान हो) और अत्यधिक तापमान के कारण श्रम क्षमता के नुकसान की आर्थिक लागत
जैसे नए संकेतक भी शामिल किए गए। जितने अधिक संकेतक होंगे जलवायु परिवर्तन के
स्वास्थ्य और स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने में उतने ही मददगार
होंगे। जैसे वायु प्रदूषण के कारण होने वाला दमा, वैश्विक खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और कृषि पैदावार में
कमी के कारण अल्प आहार, हरित क्षेत्र में कमी से बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी
तकलीफों का जोखिम और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक गर्मी का असर,
जैसी समस्याओं को ठीक करने का सामर्थ्य स्वास्थ्य
प्रणालियों की क्षमता पर निर्भर करता है, और यह क्षमता स्वास्थ्य सेवाओं के लचीलेपन पर निर्भर करती
है। इन दो संकटों के कारण हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही काफी दबाव में है।
लैंसेट काउंटडाउन
में राष्ट्र-स्तरीय नीतियाँ दर्शाने वाले क्षेत्रीय डैटा को भी शामिल किया है। इस
संदर्भ में लैंसेट काउंटडाउन की दी लैंसेट पब्लिक हेल्थ में एशिया की पहली
क्षेत्रीय रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, और ऑस्ट्रेलियाई एमजेए-लैंसेट काउंटडाउन की तीसरी वार्षिक
रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। विश्व में सर्वाधिक कार्बन उत्सर्जक और सर्वाधिक आबादी
वाले देश के रूप में चीन की जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया,
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर बहुत मायने रखती है। रिपोर्ट बताती है कि
बढ़ते तापमान के कारण बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर
कदम उठाए जाने की ज़रूरत है। हालांकि 23 संकेतक बताते हैं कि कई क्षेत्रों में
प्रभावशाली सुधार किए गए हैं, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास कर सार्वजनिक
स्वास्थ्य में सुधार करने की पहल भी देखी गई है। लेकिन इस पर चीन की प्रतिक्रिया
अभी भी ढीली है।
जलवायु परिवर्तन को
बढ़ाने वाले कारकों पर अंकुश लगाकर ज़ूनोटिक (जंतु-जनित) रोगों के उभरने और दोबारा
उभरने को रोका जा सकता है। अधिकाधिक खेती, जानवरों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वन्य जीवों के
प्राकृतिक आवासों में बढ़ता मानव दखल ज़ूनोटिक रोगों से मानव संपर्क और उनके फैलने की
संभावना को बढ़ाते हैं। विदेशी यात्राओं में वृद्धि और शहरों में बढ़ती आबादी के
कारण ज़ूनोटिक रोग अधिक तेज़ी से फैलते हैं। जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय
स्वास्थ्य निर्धारकों के रूप में इन कारकों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
कोविड-19 और जलवायु
संकट,
दोनों इस तथ्य को और भी नुमाया करते हैं कि समाज के सबसे
अधिक गरीब और हाशियाकृत लोग, जैसे प्रवासी और शरणार्थी लोग,
हमेशा ही सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं और इसके प्रभावों की
सबसे अधिक मार झेलते हैं। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में देखें तो इस संकट से
सर्वाधिक प्रभावित लोगों का योगदान इस संकट को बनाने में सबसे कम है। इस वर्ष की
काउंटडाउन रिपोर्ट के अनुसार कोई भी देश इस बढ़ती असमानता के कारण होने वाली जीवन
की क्षति को बचाने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई नहीं पड़ता।
कोविड-19 के
प्रभावों से निपटना अब राष्ट्रों की वरीयता बन गया है और जलवायु संकट के मुद्दों
से उनका ध्यान हट गया है। जिस तत्परता से राष्ट्रीय सरकारें कोविड-19 से हुई क्षति
के लिए आर्थिक सुधार की योजनाएँ बना रहीं हैं और उन पर अमल कर रही हैं,
उतनी ही तत्परता से जलवायु परिवर्तन और सामाजिक समानता के
मुद्दों पर काम करने की ज़रूरत है। अब इन दोनों तरह के संकटों से एक साथ निपटना
लाज़मी और अनिवार्य है। (स्रोत फीचर्स)
No comments:
Post a Comment