विश्व भर में त्योहारों का स्वरूप भिन्न होता है। इन्हें मनाने की विधियाँ अलग हैं; परन्तु इन सभी त्योहारों का मूल उद्देश्य एक है... समस्त विश्व जन को एक सूत्र में पिरोए रखना। सभी त्योहार लोगों को जीवन के प्रति उत्साह, खुशी व भाई-चारे का संदेश देते हैं। हम प्रवासियों के लिए हमारे त्योहार सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक, हर दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। ये हमारी संस्कृति का गौरव हैं और हमारी पहचान भी।
भारतीय विश्व के विभिन्न देशों में बसे
हैं। भिन्न देश, भिन्न दिशाएँ, विभिन्न संस्कृतियाँ, यहाँ तक कि प्राकृतिक
एवं भौगोलिक अंतर भी इतना कि इन देशों में कई समुन्दरों की दूरी, दिन और रात का भी अलग-अलग समय, चाँद और सूरज
के आने-जाने का भी समय अलग है; किन्तु इन असमानताओं के
बावजूद कोई भी विभाजन विश्व संस्कृति को विभाजित नहीं कर सकता। मानव मात्र की
कामना, उनकी भावना, उनके सपने एक
हैं। सत् चित् आनन्द की प्राप्ति
और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्वभर में कई प्रकार के पर्व और उत्सव मनाए
जाते हैं।
अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोग हर
त्योहार उतने ही उल्लास एवं उत्साह से मनाते हैं, जितना भारत में मनाया जाता है। सच्ची बात कहूँ तो मुझे लगता है कि
उत्साह का यह मापदंड कुछ अधिक मात्रा में ही हो जाता है;
क्योंकि हर भारतीय परदेस में होने के कारण अपने भारतीय परिवार,
भाई- बहन के बिना कुछ कमी महसूस करता है। साथ में उस परिवेश की
कमी भी उसे खलती है, जिसमें वह पला बढ़ा है; लेकिन यह सब बातें उसके उत्साह में कोई कमी नहीं होने देती।
दीपावली का त्योहार मनाने का अमेरिका का अपना ही
विशेष ढंग है। यहाँ हमें भारत की तरह सजे हुए बाज़ार तो नहीं दिखाई देते और न ही वो
धूमधाम;
लेकिन दिवाली के कुछ दिन
पहले ही भारतीय दुकानों में वही सजावट, वही चहल- पहल
आरम्भ हो जाती है। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ, विभिन्न
प्रकार के रंग- बिरंगे दीपक, दीवारों पर टाँगने वाले कागज़
के झाड़-फानूस, आरती की थालियाँ, पूजा
सामग्री ... यानी दीपावली के दिन प्रयोग में आने वाली हर वस्तु आसानी से उपलब्ध हो
जाती है। अब तो कपड़ों की बड़ी- बड़ी कम्पनियों की दूकानों में
दीवाली के आसपास भारतीय परिधान भी बिक्री के लिए सजाए होते हैं। किसी भी भारतीय वस्तु की कमी नहीं लगती।
सुना है 70-80
के दशक में भारतीय लोगों को अमेरिका में मिठाई उपलब्ध नहीं थी। उस समय यहाँ की
भारतीय गृहणियों ने जैसे-तैसे एक दूसरे से सीख- सीखकर
मिठाई बनाकर त्योहारों के चाव पूरे कर लिए। मेरी कुछ मित्र बताती हैं कि केवल हलवा
बनाकर ही गुज़ारा हो जाता था। समय बदला, परिस्थितयाँ बदलीं और अब तो दीवाली के कई दिन पहले ही भारतीय दुकानों में हर प्रकार की
ताज़ा मिठाई उपलब्ध हो जाती है। लोग मज़े से खरीदते भी हैं
और बाँटते भी हैं।
जुलाई की महीने में अमेरिका का स्थापना
दिवस मनाया जाता है। उस उत्सव के लिए स्थान- स्थान पर आतिशबाजियाँ,
अनार, बम्ब, फुलझड़ियाँ
और कई प्रकार के पटाखे आदि के स्टॉल लग जाते हैं। हम भारतीय उसी दिन आने वाली
दीपावली के लिए यह सारी सामग्री ख़रीद लेते हैं;क्योंकि, बाद
में इनका मिलना इतना आसान नहीं।
दीपावली से पहले कई बड़े- बड़े मैदानों में भारतीय मेलों का आयोजन हो जाता है। वास्तव में दीपावली से पहले नवरात्रि का उत्सव
मनाया जाता है; इसलिए यह मेले और सामूहिक उत्सव नवरात्रि
के दिनों से ही आरम्भ हो जाते है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है।
मंदिरों में नवरात्रि की पूजा और गरबा नृत्य के आयोजन के साथ साथ दीपावली की
तैयारी शुरू हो जाती है। फूलों से, रंगों से विभिन्न
प्रकार की अल्पना और रंगोली सजाने की प्रतिस्पर्धाएँ आयोजित होती हैं। बच्चों के
नृत्य एवं गायन के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। कुल
मिलाकर भारतीय परम्परा और संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का भरसक प्रयास किया
जाता है।
दीपावली के दिन सरकारी अवकाश नहीं होता,
इसलिए उस सप्ताह के रविवार या शनिवार को यह उत्सव सामूहिक रूप से
मनाया जाता है। भारतीय घरों में तो दीपावली के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना
होती है, स्वादिष्ट भोजन बनता है और घरों को सजाया जाता
है। दीपावली के आसपास यहाँ का मौसम बहुत ठंडा हो जाता है। उसके लिए तो सब तैयार
रहते है अधिकतर उस रात तेज़ हवाएँ चलती हैं और घरों के बाहर दीपक रखना असम्भव हो
जाता है। घरों को बिजली की बल्बों की दीप मालाओं से सुसज्जित किया जाता है और
बिजली के ही टिमटिमाते दीपों को घर के बाहर सजाया जाता है; लेकिन हर घर के अंदर मिट्टी के ही दीपक जलते हैं।
हमारे परिवारों में बच्चे नए कपड़े पहनते हैं, रात को लक्ष्मी पूजन होता है
और उपहारों का आदान-प्रदान होता है। रात को पटाखे आदि चलाए जाते हैं। यह सब देखकर मुझे
अपना बचपन याद आ जाता है जब हम सब दीपावली को इसी प्रकार से मनाते थे। इस संदर्भ
में मैं अमेरिका में रहने वाली युवा पीढ़ी को साधुवाद कहना चाहूँगी कि वे सब अपनी
परम्परा को जीवित रखने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
अमेरिका में भारतीय लोग विभिन्न राज्यों
में हैं,
विभिन्न व्यवसाय में हैं और यहाँ की सरकार के मन में हम भारतीयों
के लिए अपार आदर मान है। इसी मान को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति भवन
में भी दीपावली का उत्सव मनाया जाता है। दीप माल और रँगोली
सजती है और कुछ प्रतिनिधि वहाँ राष्ट्रपति के परिवार के साथ भारतीय भोजन आदि के
लिए भी आमंत्रित होते हैं। कुछ वर्ष पहले दीपावली के विशेष महत्त्व को पहचानकर अमेरिकी
सरकार ने दीपावली के अवसर पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया था , जिसे हर भारतीय ने बड़े गर्व के साथ ख़रीदा और सँजोकर रखा।
मेरे परिवार को अमेरिका में बसे हुए बीस वर्ष से अधिक हो गए हैं। हमारा संयुक्त परिवार है और हर त्योहार पूरी भारतीय परम्पराओं के साथ मनाया जाता है। बच्चों में भी वही उत्साह देखा जाता है, तो मन में विदेश में आ बसने का मलाल कुछ कम हो जाता है। यह कोरोना काल है। इस वर्ष सामूहिक उत्सव नहीं हो रहे और न ही परिवार - मित्र परस्पर दीपावली भोज आदि के कार्यक्रम बना रहे हैं। फिर भी उत्सव तो उत्सव है और वह भी अँधेरे पर विजय पाने का ज्योतिपर्व। इस वर्ष माँ लक्ष्मी से धन और समृद्धि की प्रार्थना के साथ- साथ विश्व को इस महामारी से मुक्त करने की प्रार्थना की बहुत आवश्यकता है। आशा है माँ लक्ष्मीं आने वाले समय में सम्पूर्ण चराचर को रोगमुक्त करे। आप सब को दीपोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
Email : shashipadha@gmail.com
1 comment:
विदेश में रहते हुए भारतीय वास्तव में अधिक श्रद्धा और अधिक उत्साह से त्योहार मनाते हैं मनाते हैं।मनभावन आलेख।
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