यह खबर सुनते ही कि कोविड-19 का वैक्सीन
दरवाजे पर दस्तक देने वाला है देशभर के अमीरों ने आश्वस्ति की अँगड़ाई ली । आने दो, किसी भी भाव में
मिलेगा लगवा लेंगे । सस्ता हुआ तो दो -दो
लगवा लेंगे और मौका मिला तो स्टाक भी कर लेंगे। हो सकता है सरकार महाराष्ट्र, केरल, बंगाल और छत्तीसगढ़
जैसे राज्यों को वैक्सीन-ड्राय मान ले,
तो सप्लाय का मौका मिलेगा। दवाओं के धंधे में यह अच्छा है कि मुनाफ़ा लागत के हिसाब से नहीं
मौके के हिसाब से तय होता है। इधर अच्छा यह है कि जनता भी मानती हैं कि मौके पे जो
काम आ जाए,
वो भगवान होता है मुनाफाखोर नहीं। मुनाफे के साथ भगवान होने का सुख इतना दिव्य
होता है कि लगता है अपन विष्णु हैं और स्वयं लक्ष्मी चरण दबा रही है।
इधर लड्डू फूटकर बिखर रहे थे और उधर तमाम
बाहुबली फोन पर उँगलियाँ नचा रहे थे कि स्टाटिंग में पहले भाई लोग को वैक्सीन
होना। भाई बचेंगे तोई सब बचेंगे, नई
तो कोविड से पहले भाई माड्डलेंगे सबको,
तो क्या कल्लोगे। भाई के बाद भाई के शूटर लोग को भी वैक्सीन होना एकदम ताजा, बोले तो गरम-गरम। बिकौज उन लोगों को
फील्ड में रेना पड़ता है,
झोपड़ पट्टी में ऐसी-
वैसी जगो में छुपना पड़ता है। सरकार की मॉरल ड्यूटी है कि भाई लोगों की जित्ती भी
कंपनी है, ए बी सी डी ई एफ जी, सबको प्रोयरटी पे रखे।
बिकौज कंपनी रहेगी तोई सरकार रहेगी। भाई ने जिस किसी भी नेतु को भिडू बोल दिया फिर
उसको हमेशा भिडू समझा। बरोबर टाइम पे पर्सेंटेज दिया, टुकड़ा डाला। इसलिए
अपुन का हक्क बनाता है पहले वैक्सीन लेने का। इज्जत का सवाल है, पहले भाई लोग उसके बाद
पिच्छू से भिडू लोग। और देख लो रे समझ लो अच्छी तरा से कि पब्लिक को परसाद की तरा
वैक्सीन नहीं बाँट देने का। एक पालीसी बनाने का बढ़िया- सी। जिनके तीन से
ज्यादा बच्चे हैं उनको वैक्सीन नहीं। जिनकी एक से ज्यादा ब्याहता हों, उनको भी नहीं। वैक्सीन
पहले उधर- जिधर चुनाव सिर पर हैं
। बंगाल में दीदी लंबे समय से नेगेटिव चल रही है। उधर वैक्सीन नहीं भेजा जाएगा ,जब तक कि वो पॉज़िटिव
नहीं हो जाती। ज्यादा सोचने का नहीं,
सबको पता है कि जंग,
मोहब्बत और सियासत में सब जायज है।
और हाँ , सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो रह ही गई। कम्युनिस्टों को
वैक्सीन नहीं लगाया जाएगा;
क्योंकि उन्हें कोविड 19 का खतरा बिलकुल नहीं है। वे वर्षों से आलरेडी कोरंटाइन चल
रहे हैं । देश के लोग भूल गए हैं कि कम्युनिस्ट कौन कौन है !! कम्युनिस्ट भी भूल
गए होंगे कि वे किस देश में हैं। अगर कोविड हुआ भी, तो उन्हें अपना- सा लगेगा । उसे एक बार
लाल सलाम बोल देंगे,
तो रात को वह भी चीयर्स करने लगेगा। .... सो,
टेक केयर .... वैक्सीन आ रहा है।
परिचय- जवाहर
चौधरी, जन्म
-11 फरवरी 1952 , इन्दौर - म.प्र., शिक्षा - एम.ए., पी-एच.डी., (समाजशास्त्र), वृत्ति- लेखन (सेवानिवृत्त सहायक प्राध्यापक ), लेखन- मुख्य रूप से कहानियां
व लेख, व्यंग्य , कार्टूनकारी भी।, प्रकाशन- प्रायः सभी हिन्दी
पत्र-पत्रिकाओं में लेख व रचनाओं का सतत्
प्रकाशन , रेडियो-दूरदर्शन पर पाठ। पुस्तकें-
दो उपन्यास,
दो कहानी संग्रह, दस
व्यंग्य संग्रह ,
एक लघुकथा संग्रह, एक
नाटक,। प्रमुख
पुरस्कार एवं सम्मान -1- म.प्र. साहित्य
परिषद् का पहला ‘शरद
जोशी पुरस्कार’ कृति
‘सूखे का मंगलगान’
के लिये –
1993, 2-
कादम्बिनी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगिता में व्यंग्य रचना ‘उच्चशिक्षा का
अंडरवल्र्ड ’
को द्वितीय पुरस्कार – 1992, 3- माणिक वर्मा
व्यंग्य सम्मान - 2011 .. भोपाल,
4- ‘गोपाल प्रसाद व्यास व्यंग्यश्री सम्मान-2014’- हिन्दी भवन,
दिल्ली,
5- “स्नेहलता गोइंका व्यंग्यभूषण” सम्मान-
मुंबई -2018
संपर्क –
B H – 26, सुखलिया (भारतमाता मंदिर के पास),
इन्दौर – 452010, फोन – 9406701670 , 98263 61533 ,
ब्लाग –jawaharchoudhary.blogspot.com, ई-मेल - jc.indore@gmail.com
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