पेड़ आ
-रमेशराज
हम फल-फूल दिया करते हैं
खूशबू से उपवन भरते हैं
खाद मिले सबके खेतों को
इस कारण पत्ते झरते हैं,
तू पाता जब हमसे औषधि
लिये कुल्हाड़ी क्यों डोले
पेड़ आदमी से बोले।
कल तू बेहद पछताएगा
हमको काट न कुछ पाएगा
हम बिन जब वर्षा कम होगी
भू पर मरुथल बढ़ जाएगा
फिर न मिटेगा रे जल-संकट
तू चाहे जितना रोले
पेड़ आदमी से बोले।
कीमत कुछ तो आँक हमारी
हमें चीरती है यदि आरी
कौन प्रदूषण तब रोकेगा ?
प्राणवायु खत्म हो सारी
क्या कर डाला, कल सोचेगा
अब चाहे हमको खो ले
पेड़ आदमी से बोले।
सम्पर्कः ईसा नगर अ, अलीगढ़
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