दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा खतरनाक तो ये है कि बाहर ही नहीं, घर के अन्दर भी हवा ज़हरीली होती जा रही है। हवा में मौजूद कण साँसों
में घुलकर लोगों को बीमार बना रहे हैं। प्रदूषण से कोई भी अछूता नहीं है और हर आम-ओ-खास इससे
डरा हुआ भी है। इसी डर ने लोगों को पौधों से प्यार करना सिखा दिया है। जिन लोगों
के घर में कभी एक गमला नहीं होता था, उनकी
बालकनी और छत पर मिनी गार्डन सज रहे हैं। घर के भीतर की हवा को शुद्ध रखने के लिये
लोग कमरों में गमले रख रहे हैं और बोनसाई पौधे लगा रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ
ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल
विश्व भर में करीब 4.3 मिलियन
लोग इंडोर पॉल्यूशन से मर जाते हैं। मतलब साफ है कि इंडोर हो या आउटडोर, पॉल्यूशन जानलेवा ही है।
घर
के भीतर की हवा अशुद्ध हो रही है ,तो एयर प्यूरीफायर
का नया चलन देखने को मिल रहा है।यह इन्तजाम जेब पर तो भारी पड़ता ही है, बिजली
की खपत भी बढ़ जाती है। ऐसे में पौधों को लगाकर घर की हवा को शुद्ध बनाए रखने का
चलन तेजी से बढ़ रहा है। इससे स्वस्थ साँसें तो मिलती ही हैं, घर
भी सुन्दर दिखाई देता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडोर एयर की कॉम्पोजिशन बाहर
की प्रदूषित हवा से अलग होती है। जहाँ बाहर की हवा में प्रदूषण को पार्टिकुलेट
मैटर,
कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन
और सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर को माप कर पता किया जा सकता है,
वहीं घर में इसका पता वोलाटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड्स, बायो
एयरोसोल्स और नाइट्रस ऑक्साइड से चलता है।
इंडोर पॉल्यूशन पर काबू पाया जा सकता है
वल्लभभाई पटेल ‘चेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनोलॉजी’ विभाग के हेड डॉ.राज कुमार का कहना है कि जो पॉल्यूटेंट बाहर होते हैं, वही हमारे घर के अन्दर भी होते हैं लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि उनकी डेंसिटी इंडोर में कम रहती है;लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि इंडोर पॉल्यूशन पर काबू पाया जा सकता है। जहाँ आउटडोर पॉल्यूशन के लिए सरकार और दूसरी एजेंसियाँ ही समाधान ढूँढ़ सकती हैं। इंडोर पॉल्यूशन को काबू करना खुद के हाथ में है। इसके लिये आप एलोवेरा और क्रिजैंथेमस जैसे पौधे लगा सकते हैं। ये जहरीले पदार्थों को फिल्टर करते हैं और ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हैं।
प्रदूषण से बचना है तो इन पौधों को लाएँ घर

एलोवेरा: इस पौधे को घर में
रखने से यह कार्बन डाइऑक्साइड, फॉर्मेल्डिहाइड और
कार्बन मोनोऑक्साइड को अवशोषित कर लेता है। यह 9
एयर प्यूरीफायर के बराबर काम करता है।

इंग्लिश ईवी: इस पौधे के बारे
में कहा जाता है कि 6 घण्टे के भीतर ये 58
प्रतिशत तक हवा को शुद्ध कर सकता है।
स्पाइडर प्लांट: यह पौधा कम रोशनी
में फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जाना जाता है। यह
फॉर्मेल्डिहाइड,
कार्बन मोनोऑक्साइड, गैसोलिन
और स्टाइरिन को हवा से अवशोषित करता है। एक पौधा 200
स्क्वायर मीटर तक के स्पेस में हवा को शुद्ध कर सकता है।
स्नेक प्लांट: स्पाइडर प्लांट की
तरह ही,
स्नेक प्लांट भी काफी टिकाऊ होता है।
यह भी कम रोशनी में फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को पूरा कर लेता है। आप इसे बेडरूम
में लगा सकते हैं क्योंकि, यह रात में ऑक्सीजन
पैदा करता है।

बोस्टन फर्न: ये पौधा इंडोर एयर
पॉल्यूटेंट्स को दूर करने में काफी कारगर है। यह हवा से बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड
और जाइलिन को खत्म कर हवा को शुद्ध बनाता है। इसे हेंगिंग बास्केट्स में भी उगाया
जा सकता है।
एरेका पाम: इसे बैम्बू पाम, गोल्डन
केन पाम और यलो पाम भी कहते हैं। नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, ये
पौधा हवा से जाइलिन और टालुइन को खत्म करता है। यह एक प्रभावी ह्यूमिडिफायर भी है, जो
वातावरण में नमी को बनाए रखता है।
महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा


50 गज की
छत पर गार्डन
जनकपुरी
के दिल्ली हाट के निवासी राकेश शर्मा ने अपनी 50
गज की छत पर पूरा गार्डन बनाया हुआ है। उन्होंने करीब 20
औषधीय पौधे लगाए हैं। टोकरियों में पौधे और चिड़ियों के घोंसले उन्होंने सजा रखे
हैं।
उन्होंने
बताया कि उनका खुद का अनुभव है कि सुबह के समय पौधों को निहारने से आँखों की रोशनी
बढ़ती है। शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने घर में श्यामा तुलसी, गिलोय, घृतकुमारी, धनिया, पुदीना, पत्थर
चट,
बेलपत्र, लेमन
ग्रास,
करी पत्ता, अदरक, हल्दी, कपूर, तुलसी, ब्राह्मी, अश्वगंधा
आदि औषधीय पौधे लगाए हैं। (इंडिया
वॉटर पोर्टल से साभार- स्रोत-नवोदय
टाइम)
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