धोखाधड़ी से कैसे बचें
- देवमणि पाण्डेय
पिछले कई महीनों से ऑन लाइन फ्राड
पूरे देश में हो रहे हैं। प्रायवेट बैंकों में भी और
राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी। क्रेडिट कार्ड पर भी और डेबिट कार्ड पर भी। हैरत
की बात ये है कि अभी तक पुलिस ऐसे किसी संगठित गिरोह या ठग को पकड़ नहीं पाई है, जो ऐसे कारनामे अंजाम दे रहे
हैं। ये हमेशा मोबाइल से ही लोगों को फोन करते हैं। ऐसे ठगों के पास कोई ऐसी तकनीक
है कि ये पता ही नहीं चलता कि कॉल करने वाले का मोबाइल किस कम्पनी का है। सिम
कार्ड किसके नाम है या वो किस जगह से बोल रहा है। हाँ इतना ज़रूर पता चला है कि इन
ठगों ने कई लोगों के क्रेडिट कार्ड से सिंगापुर, दुबई, बैंकाक, कनाडा आदि बाहर के देशों में ख़रीददारी
की है। इसलिए यह भी सम्भव है कि ये मोबाइल
सिमकार्ड विदेशों के हो।
कुछ कम्पनियों के स्मार्ट
मोबाइल फोन में ट्रूकॉलर सर्च की सुविधा होती है। यानी अगर आप सर्च बाक्स में कोई
अजनबी नम्बर डालें तो जिस नाम से सिमकार्ड लिया गया है वह नाम स्वत: दिखाई देता
है। इन ठगों के नाम ट्रूकॉलर में भी नहीं दिखाई देते। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते
हैं कि ऐसी ठगी के पीछे कोई ऐसा गिरोह सक्रिय है जो इंटरनेट एक्सपर्ट है। ऐसी
धोखाधड़ी से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें-
(1) अपने ग्राहकों को जानकारी देने के लिए बैंक
प्राय: लैंडलाईन फ़ोन से ही सम्पर्क करते हैं। इसलिए अगर कोई व्यक्ति मोबाइल फ़ोन से आपको सम्पर्क कर रहा है तो फ़ौरन सतर्क हो जाइए कि
यह कोई फिशिंग (धोखाधड़ी) कॉल हो सकती है। फिशिंग कॉल करने वाले बड़े शातिर होते
हैं। वे इतनी विनम्रता से बात करते हैं कि पढ़े-लिखे लोग भी उनके जाल में फँस जाते
हैं।
(2) अगर फोन पर कोई आपसे कहे
कि क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ानी है अथवा डेबिट कार्ड ब्लॉक हो गया है या
एक्सपायर हो गया है तो उसे व्यस्तता का बहाना बना कर आधे-एक घंटे के लिए टाल दें
और तत्काल अपने बैंक की हेल्पलाइन पर फोन करके वास्तविकता का पता लगाएँ।
(3) बैंक अपने ग्राहकों से
क्रेडिट या डेबिट कार्ड का पूरा नम्बर कभी नहीं पूछते क्योंकि उनके पास ये सूचनाएँ
पहले से सुरक्षित हैं। अगर कोई फोन पर आपसे 16 अंकों का क्रेडिट या डेबिट कार्ड
नम्बर पूछता है तो सावधान हो जाएँ और उसे नं. न बताएँ। शतप्रतिशत यह आदमी ठग है।
ऐसे आदमी को कार्ड को जारी करने की तारीख़ (इशू डेट) या ख़त्म होने की तारीख़
(एक्सपायरी डेट) भी न बताएँ।
(4) आपके क्रेडट / डेबिट
कार्ड के पीछे पट्टी पर जहाँ आप साइन करते हैं, सात अंकों का समूह होता है। यह सिक्योरिटी कोड है। इसे सीवीवी
नम्बर कहते हैं। इस नम्बर के ज़रिए ही वन टाइम पिन क्रिएट करके ऑन लाइन खऱीदारी
सम्भव होती है। यह नम्बर फ़ोन करने वाले को भी कभी न बताएँ।
(5) आप चार अंकों का अपना पिन
नम्बर किसी को भी न बताएँ वर्ना धोखाधड़ी का शिकार हो जाएँगे। धोखाधड़ी से बचने के लिए
किसी इनकमिंग फ़ोन कॉल, एसएमएस या
ईमेल पर आप ये पाँच जानकारियाँ कभी शेयर न करें- सोलह अंकों का कार्ड नं., एक्सपायरी डेट, क्रेडिट लिमिट, सीवीवी कोड और कार्ड का चार
अंकों का पिन नम्बर।
(6) धोखाधड़ी का शिकार होने
पर सबसे पहले कार्ड प्रदाता बैंक को फ़ोन करके अपना कार्ड ब्लॉक कराएँ। आप अपना
मोबाइल नम्बर और ईमेल अपने बैंक के साथ ज़रूर रजिस्टर्ड कराएँ ताकि आपको आवश्यक
सूचनाएँ एवं ट्रांजेक्शन की जानकरी मिलती रहे।
कभी भी लॉटरी के ईमेल या
एसएमएस पर यकीन न करें। सवाल यह है कि जब आपने लॉटरी का टिकट खरीदा ही नहीं तो
आपको करोड़ों की लाटरी लगी कैसे? अगर लॉटरी की रकम देने से पहले आपसे कस्टम डूयूटी या इनकम टैक्स के
बहाने रुपये माँगे जाएँ तो समझ जाइए कि मामला
ठगी का है। ऐसे में माँगी गई रकम किसी भी अकाउंट में ट्रांसफर न करें और
तत्काल पुलिस विभाग को सूचित करें।
ट्रेन या बसों में इश्तहार
देख कर पर्सनल लोन देने वाले अनजान लोगों के चक्कर में न फँसें। अक्सर ऐसे लोग भी
पंजीकरण शुल्क या सेवा शुल्क के नाम पर सीदे-सादे लोगों को ठग लेते हैं।
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