भ्रष्टाचार बनाम सदाचार
-डॉ. रत्ना वर्मा
सदाचारी अन्ना हजारे द्वारा आरंभ किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अंदोलन के ऐतिहासिक दिन का एक वर्ष पूरा हो गया। याद रहे कि हमने अन्ना हजारे के अंदोलन का समर्थन करते हुए कहा था कि 'बहुत कठिन है डगर पनघट की' वही हुआ भी। अंदोलन ने पिछले एक वर्ष में कई उतार- चढ़ाव देखे जो कि स्वाभाविक ही है। एक ओर जहां इस अंदोलन की अनेक बेमिसाल और अविस्मरणीय उपलब्धियां हैं वहीं भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं, शासन तंत्र तथा बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने अन्ना हजारे तथा उनकी टीम के सदस्यों की प्रतिष्ठा पर कालिख पोतने में पूरी ताकत झोंक दी है। भ्रष्टाचार का दानव अपने विरोधियों को अपना दम- खम दिखाने में कभी चूक नहीं करता फिर भी पहले भ्रष्टाचार विरोधी अंदोलन की अब तक की उपलब्धियों को देखना उचित होगा।
अन्ना हजारे ने अपने थोड़े से साथियों और कर्मठ सहायकों के साथ भ्रष्टाचार के विरूद्ध अंदोलन चलाकर पूरे देश को आंदोलित कर दिया। भ्रष्टाचार के विरूद्ध सर्वव्यापी व्याधि से लोहा लेने के लिए पूरे राष्ट्र को जागृत कर देना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। एक अकेले व्यक्ति ने पारदर्शी इमानदारी से सुवासित नैतिक और देश प्रेम के बल पर तेरह दिन के अल्पकाल में भ्रष्टाचार में सराबोर सर्वशक्तिमान केन्द्रीय सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर करने की अभूतपूर्व ऐतिहासिक मिसाल कायम कर दी। इस अंदोलन ने देश में जो जागृति पैदा की उसी का परिणाम है कि उत्तराखंड में एक मजबूत लोकपाल कानून पास हुआ और झारखंड में राज्य सभा के लिए चुनाव निरस्त कर दिया गया। इसी अंदोलन ने भ्रष्टाचार की पोषक केन्द्रीय सरकार को लोकपाल कानून बनाने का नाटक करने पर मजबूर किया। जन लोकपाल अधिनियम के स्थान पर एक बेहद लचर कानून बनाने की जो नौटंकी संसद में खेली जा रही है उससे संसद सदस्यों ने जनता को स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी भ्रष्टाचार का विरोध करनेकी कोई इच्छा नहीं है। आखिर चुनाव भी तो भ्रष्टाचार की रकम से जीते जाते हैं।
उपरोक्त उपलब्धियों से ही आहत होकर भ्रष्टाचार में लिप्त शक्तिशाली समूह ने अपने विरोधियों पर लगातार प्रहार करना जारी रखा है। कहीं जोड़- तोड़ से बनाई सीडी प्रगट होती है तो कहीं मीडिया में इन पर तरह- तरह के कपोल- कल्पित अभियोगों के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। जो बड़बोले नेता पहले अन्ना हजारे का चरण स्पर्श करके सम्मानित महसूस करते थे वे ही अब अन्ना हजारे के बारे में दुष्प्रचार में जुटे रहते हैं। जो नेता अन्ना हजारे के मंच पर आकर उनके अंदोलन के प्रति निष्ठा प्रगट करने का नाटक करते हैं वे ही संसद के अंदर अन्ना हजारे के प्रयास के बारे में विष- वमन करते हैं। संसद और मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के, सुप्रीम कोर्ट से सजा पाए आतंकवादी अ$फ•ाल गुरू और कसब को फाँसी दिलवाने की ओर सांसद कभी ध्यान नहीं देते। परंतु अन्ना हजारे के मंच से एक वक्ता के मुंह से 'चोर की दाढ़ी में तिनका' जैसे मुहावरे से नेताओं को इतनी तिलमिलाहट होती है कि आंदोलनकारियों के खिलाफ संसद में घंटों लंबे- लंबे भाषण देते रहते हैं। जिस लोक सभा में 162 संसद सदस्य अपराधिक पृष्ठभूमि के हों उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है।
इसी परिपेक्ष्य में भ्रष्टाचार उजागर करने पर महालेखापरीक्षक पर छींटाकशी का जा रही है। अत्यंत इमानदार, देशप्रेमी और पराक्रमी सेनाध्यक्ष द्वारा सेना के लिए आवश्यक सामान की खरीद में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल लगाने से बौखलाए विदेशी शस्त्र- निर्माताओं और उनके दलालों द्वारा मीडिया में उनके विरूद्ध तरह- तरह की मनगढ़ंत कहानियां छपवाई जा रहीं हैं। एक अंग्रेजी अखबार ने तो हद ही कर दी और भारतीय सेना, जिस पर प्रत्येक भारतीय गर्व करता है, की वफादारी पर ही शंका व्यक्त करने की धूर्ततापूर्ण खबर छाप दी। देश प्रेम और नैतिक बल से ओत- प्रोत सेनाध्यक्ष के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों से कुछ नेता तो इतने बौखला गए कि सेनाध्यक्ष को बर्खास्त किए जाने की मांग तक करने लगे।
देश के शासन और राजनीति को लम्बे समय से पूर्णतया जकड़े हुए भ्रष्टाचार से भिडऩे का बीड़ा उठाए वीर यह भी जानते हैं कि उपरोक्त किस्म की धूर्ततापूर्ण हरकतों को भी झेलना होगा। वे भ्रष्टाचार के पोषक तत्वों की ऐसी बदमाशियों से विचलित भी नहीं होते। हां इतना अवश्य है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध संघर्ष लम्बे समय तक चलना है। बीते वर्ष अन्ना हजारे की टीम, महालेखापरीक्षक और सेनाध्यक्ष के प्रयत्नों से भ्रष्टाचार की भयानकता के प्रति आम जनता, भ्रष्टाचार के उन्मूलन के प्रति प्रतिबद्ध होती जायेगी। हमारी कामना है कि अन्ना हजारे स्वस्थ रहें और अपने नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी संगठन के सक्रिय सदस्य देश के प्रत्येक गांव, कस्बे और शहर में बनाएं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकार भ्रष्टाचार विरोधी अंदोलन तेजी पकड़ेगा और सफल भी होगा।
अन्ना हजारे ने अपने थोड़े से साथियों और कर्मठ सहायकों के साथ भ्रष्टाचार के विरूद्ध अंदोलन चलाकर पूरे देश को आंदोलित कर दिया। भ्रष्टाचार के विरूद्ध सर्वव्यापी व्याधि से लोहा लेने के लिए पूरे राष्ट्र को जागृत कर देना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। एक अकेले व्यक्ति ने पारदर्शी इमानदारी से सुवासित नैतिक और देश प्रेम के बल पर तेरह दिन के अल्पकाल में भ्रष्टाचार में सराबोर सर्वशक्तिमान केन्द्रीय सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर करने की अभूतपूर्व ऐतिहासिक मिसाल कायम कर दी। इस अंदोलन ने देश में जो जागृति पैदा की उसी का परिणाम है कि उत्तराखंड में एक मजबूत लोकपाल कानून पास हुआ और झारखंड में राज्य सभा के लिए चुनाव निरस्त कर दिया गया। इसी अंदोलन ने भ्रष्टाचार की पोषक केन्द्रीय सरकार को लोकपाल कानून बनाने का नाटक करने पर मजबूर किया। जन लोकपाल अधिनियम के स्थान पर एक बेहद लचर कानून बनाने की जो नौटंकी संसद में खेली जा रही है उससे संसद सदस्यों ने जनता को स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी भ्रष्टाचार का विरोध करनेकी कोई इच्छा नहीं है। आखिर चुनाव भी तो भ्रष्टाचार की रकम से जीते जाते हैं।
उपरोक्त उपलब्धियों से ही आहत होकर भ्रष्टाचार में लिप्त शक्तिशाली समूह ने अपने विरोधियों पर लगातार प्रहार करना जारी रखा है। कहीं जोड़- तोड़ से बनाई सीडी प्रगट होती है तो कहीं मीडिया में इन पर तरह- तरह के कपोल- कल्पित अभियोगों के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं। जो बड़बोले नेता पहले अन्ना हजारे का चरण स्पर्श करके सम्मानित महसूस करते थे वे ही अब अन्ना हजारे के बारे में दुष्प्रचार में जुटे रहते हैं। जो नेता अन्ना हजारे के मंच पर आकर उनके अंदोलन के प्रति निष्ठा प्रगट करने का नाटक करते हैं वे ही संसद के अंदर अन्ना हजारे के प्रयास के बारे में विष- वमन करते हैं। संसद और मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के, सुप्रीम कोर्ट से सजा पाए आतंकवादी अ$फ•ाल गुरू और कसब को फाँसी दिलवाने की ओर सांसद कभी ध्यान नहीं देते। परंतु अन्ना हजारे के मंच से एक वक्ता के मुंह से 'चोर की दाढ़ी में तिनका' जैसे मुहावरे से नेताओं को इतनी तिलमिलाहट होती है कि आंदोलनकारियों के खिलाफ संसद में घंटों लंबे- लंबे भाषण देते रहते हैं। जिस लोक सभा में 162 संसद सदस्य अपराधिक पृष्ठभूमि के हों उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है।
इसी परिपेक्ष्य में भ्रष्टाचार उजागर करने पर महालेखापरीक्षक पर छींटाकशी का जा रही है। अत्यंत इमानदार, देशप्रेमी और पराक्रमी सेनाध्यक्ष द्वारा सेना के लिए आवश्यक सामान की खरीद में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल लगाने से बौखलाए विदेशी शस्त्र- निर्माताओं और उनके दलालों द्वारा मीडिया में उनके विरूद्ध तरह- तरह की मनगढ़ंत कहानियां छपवाई जा रहीं हैं। एक अंग्रेजी अखबार ने तो हद ही कर दी और भारतीय सेना, जिस पर प्रत्येक भारतीय गर्व करता है, की वफादारी पर ही शंका व्यक्त करने की धूर्ततापूर्ण खबर छाप दी। देश प्रेम और नैतिक बल से ओत- प्रोत सेनाध्यक्ष के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों से कुछ नेता तो इतने बौखला गए कि सेनाध्यक्ष को बर्खास्त किए जाने की मांग तक करने लगे।
देश के शासन और राजनीति को लम्बे समय से पूर्णतया जकड़े हुए भ्रष्टाचार से भिडऩे का बीड़ा उठाए वीर यह भी जानते हैं कि उपरोक्त किस्म की धूर्ततापूर्ण हरकतों को भी झेलना होगा। वे भ्रष्टाचार के पोषक तत्वों की ऐसी बदमाशियों से विचलित भी नहीं होते। हां इतना अवश्य है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध संघर्ष लम्बे समय तक चलना है। बीते वर्ष अन्ना हजारे की टीम, महालेखापरीक्षक और सेनाध्यक्ष के प्रयत्नों से भ्रष्टाचार की भयानकता के प्रति आम जनता, भ्रष्टाचार के उन्मूलन के प्रति प्रतिबद्ध होती जायेगी। हमारी कामना है कि अन्ना हजारे स्वस्थ रहें और अपने नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी संगठन के सक्रिय सदस्य देश के प्रत्येक गांव, कस्बे और शहर में बनाएं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकार भ्रष्टाचार विरोधी अंदोलन तेजी पकड़ेगा और सफल भी होगा।
1 comment:
बेहतरीन, सार्थक और प्रासंगिक आलेख। बधाई।
-हरिहर वैष्णव
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