हृदयेश्वर का कमाल बड़े-बड़े मात खा जाएं
शतरंज का खेल दो व्यक्ति ही खेल सकते हैं ये सभी जानते हैं लेकिन हृदयेश्वर सिंह भाटी ने खेल- खेल में एक ऐसे खेल का आविष्कार कर दिखाया है जिसे 6 लोग एक साथ खेल सकते हैं। जयपुर के हृदयेश्वर को चेस- डिजाइन के लिए पेटेंट भी मिल गया है।जयपुर के देहली पब्लिक स्कूल में कक्षा 4 के इस जीनियस ने शतरंज के नेशनल और इंटरनेशनल नियमों में बिना कोई बदलाव किए यह डिजाइन तैयार किया है। अब से पहले भारत में कश्यप गोगी ने 17 वर्ष और बिप्लव शर्मा ने 16 वर्ष की उम्र में पेटेंट हासिल किया था।
हृदयेश्वर ने एक बार पिता के साथ चेस खेलते- खेलते कहा कि वह अपने दोस्त को भी खेल में शामिल करना चाहता है। इस पर पिता ने समझाया कि चेस केवल दो लोग ही खेल सकते हैं। उसी वक्त हृदयेश्वर ने निश्चय किया कि वह ऐसा डिजाइन तैयार करेगा जिस पर वह अपने पांच दोस्तों तनय विजय, धनंजय, केशव, हर्ष और कनिष्का के साथ खेल सके। पिता से ज्यामिति के नियम समझने के बाद हृदयेश्वर ने एक षट्कोणीय डिजाइन बनाया। इस बिसात पर साइड में चाल चलने पर कुछ परेशानी हुई तो इसके कोण हटाकर इसे गोलाकार कर दिया गया, क्योंकि गोलाई अनंत होती हैं।
इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया के तहत डिजाइन रजिस्ट्रेशन होने से पहले ही हृदयेश्वर का हौसला काफी ऊंचा था। अब वह पिता सरोवर सिंह भाटी के साथ मिलकर एक ऐसा शतरंज बोर्ड डिजाइन कर रहे हैं जिस पर 60 लोग एक समूह में शतरंज खेल सकेंगे।
व्हीलचेयर पर होने के बावजूद साढ़े नौ वर्षीय हृदयेश्वर भारत का सबसे कम उम्र का पेटेंट होल्डर बन गया है। वह एक मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी बीमारी के कारण व्हीलचेयर पर हैं।
स्टीफन हॉकिंस जैसे महान वैज्ञानिक को अपना आदर्श मानने वाले हृदयेश्वर भी वैज्ञानिक ही बनना चाहते हैं। हृदयेश्वर के इस कारनामें से यह तो साबित हो गया है कि कोई बड़ा काम उम्र का मोहताज नहीं होता और न ही कोई बीमारी बुलंद हौसलों का रोक सकती है।
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