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Apr 16, 2014

सौर ऊर्जा से मिटेगा अँधियारा

सौर ऊर्जा से

मिटेगा अँधियारा

- नवनीत कुमार गुप्ता


देश को आज़ाद हुए छह से अधिक दशक बीत चुके हैं लेकिन आज भी देश के लाखों गाँवों में अँधेरा छाया रहता है। हमारे देश में विद्युत उत्पादन उपभोग की तुलना में काफी कम है। इसलिए गाँवों की बात तो दूर, चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति करने का दम कोई महानगर भी नहीं कर सकता। माँग और उत्पादन के बीच की इस कमी को पूरा करने की दिशा में सौर ऊर्जा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
हाल ही में गुजरात राज्य में नहर के ऊपर स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र विकास में अपनी तरह का पहला संयंत्र है। इस संयंत्र से नहर के 750 मीटर हिस्से को सौर पैनलों से ढका गया है जिनसे ऊर्जा उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही नहर से वाष्प बनकर उडऩे वाली पानी की मात्रा में भी करीब 90 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। बचे हुए पानी को सिंचाई व अन्य कामों में उपयोग किया जा सकेगा। 600 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना देश ही नहीं समूचे एशिया के लिए एक उदाहरण है। हमारे देश में अभी सौर ऊर्जा से कुल 900 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। गुजरात के मेहसाणा जि़ले में स्थापित यह संयंत्र हर साल 16 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा। गुजरात में सरदार सरोवर बाँध से निकली नहरों की लंबाई 19 हज़ार किलोमीटर है। यदि इस लंबाई का 10 प्रतिशत भी उपयोग किया जाए तो 2400 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। नहरों पर संयंत्र स्थापित करने से 11 हज़ार एकड़ भूमि अधिग्रहण से बच सकेगी, वहीं 2 अरब लीटर पानी की वार्षिक बचत भी होगी।
राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2012 को 'सबके लिए टिकाऊ ऊर्जा वर्ष’के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष के तहत आम जनता को ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता के प्रति जागरूक बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। साथ ही नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।
पृथ्वी पर जीवाश्म र्इंधन ऊर्जा के मुख्य स्रोतों  रहे हैं। वैसे आज भी तीन अरब आबादी जैव र्इंधन का उपयोग करती है। विकास स्तर पर जीवाश्म र्इंधनों का उपयोग बढ़ा है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के उत्पादन में जीवाश्म र्इंधनों का योगदान 90 प्रतिशत है। जीवाश्म र्इंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाईऑक्साइड व अन्य ग्रीनहाउस गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इससे निपटने के लिए ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने की आवश्यकता है।
जीवाश्म र्इंधन के उपयोग में कमी लाने के साथ ही आज विश्व में इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि कम कार्बन संसाधनों का प्रयोग करते हुए ऊर्जा का उत्पादन किया जाए। इसके तहत नवीकरणीय एवं वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा के अंतर्गत जैव र्इंधन, सौर ऊर्जा, ज्वारीय एवं महासागरीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि शामिल हैं।

सौर ऊर्जा

सौर ऊर्जा ऊर्जा संकट को दूर करने का सबसे अहम विकल्प साबित हो सकती है। सूर्य पिछले साढ़े चार अरब वर्षों से चमक रहा है और अगले साढ़े पाँच अरब वर्षों तक चमकने के लिए अब भी उसमें पर्याप्त हाइड्रोजन शेष है। इसके केंद्र का तापमान 1.40 करोड़ डिग्री सेंटिग्रेड है। वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि संलयन प्रक्रिया पर महारत हासिल करके ऊर्जा समस्या का स्थाई हल निकाला जाए। सौर ऊर्जा कई मायनों में फायदेमंद है। मसलन यह ऊर्जा किसी भी प्रकार के प्रदूषण से मुक्त है। छोटे और दुर्गम इलाकों में सौर ऊर्जा एक महत्त्वपूर्ण विकल्प है। सोलर तकनीक का उपयोग हम दैनिक कार्यों में सौर कुकर और वॉटर हीटर के रूप में कर सकते हैं। सूर्य की ऊर्जा को मानव ज़रूरत के लिए इस्तेमाल करने के अनेक उपाय हैं। सौर ऊर्जा से घरेलू तथा औद्योगिक उद्देश्यों के लिए गर्म पानी की आपूर्ति कर पाना व्यावसायिक तौर पर संभव हो चुका है। छत पर लगे सौर तापक का उपयोग होटलों, अस्पतालों, औद्योगिक इकाइयों और आवासीय मकानों में व्यापक तौर पर किया जा रहा है। खाना पकाने, सुखाने के लिए विभिन्न संस्थाओं में सौर एयर हीटिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। सर्दियों और गर्मियों में आरामदायक जीवन के लिए ऐसे भवनों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें सौर ऊर्जा से जुड़ी प्रणालियों का उपयोग किया जा सके। हमारे देश के अधिकांश क्षेत्रों में सौर ऊर्जा उपलब्ध है। भारत में प्रति वर्ष 50,000 खरब किलोवॉट सौर ऊर्जा प्राप्त होती है। यानी प्रति वर्ष प्रति वर्ग मीटर में 1.2 बैरल पेट्रोल के बराबर सौर ऊर्जा उपलब्ध है। यहाँ प्रति वर्ग कि.मी. 20 मेगावॉट सौर विद्युत उत्पन्न की जा सकती है। यह भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। भारत में सौर ऊर्जा का उत्पादन दो माध्यमों से किया जा रहा है। पहला सौर-तापीय, दूसरा सौर फोटोवोल्टेइक।
सौर तापीय ऊर्जा के अंतर्गत सौर ऊर्जा को सौर संग्रहकों एवं रिसीवरों के माध्यम से ताप ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस ऊर्जा का उपयोग पानी गर्म करने व लवणमुक्त करने, स्थान गर्म करने, सुखाने, उद्योगों में ताप उपलब्ध कराने, विद्युत उत्पादन एवं भाप बनाने में किया जा सकता है। सौर फोटोवोल्टेइक तकनीक द्वारा सौर विकिरण को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। इससे गाँवों, अस्पतालों, सड़कों, पम्पिंग केंद्रों, दूरसंचार केंद्रों आदि में विद्युत आपूर्ति की जा सकती है। सौर ऊर्जा का बढ़ता उपयोग फिलहाल देश में सौर ऊर्जा से 3,88,000 घरों में बिजली एवं पम्प से पानी की सुविधा प्रदान की जा रही है। लगभग 20,000 रेडियो तथा टेलीफोन सौर ऊर्जा से चल रहे हैं। वर्तमान में 2,78,000 सौर लालटेन, 1,10,000 घरों में बिजली, सड़कों पर 39,000 लाइटें व 3,400 पानी के पम्प स्थापित किए जा चुके हैं। भारत सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन सोलर सेल का उत्पादन करने वाला विश्व का तीसरा देश बन गया है। हमारे देश में सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सौर वॉटर हीटर और सोलर कुकर जैसे छोटे-छोटे तापीय यंत्रों का विकास किया गया है। फिलहाल 60,000 से अधिक घरों में 50 से 100 लीटर क्षमता के घरेलू वॉटर हीटर से लेकर प्रतिदिन 2,40,000 लीटर गर्म पानी की क्षमता वाले औद्योगिक तंत्र विकसित किए गए हैं और 6 लाख से भी अधिक सौर कुकर का प्रयोग किया जा रहा है। राजस्थान में विश्व के सबसे बड़े सौर वाष्प तंत्र का विकास किया गया है जिससे 10,000 लोगों का भोजन पकाया जा सकता है। राजस्थान के जोधपुर जि़ले के मझडिय़ाँ गाँव में 140 मेगावॉट का एक संकर बिजली तंत्र और 35 मेगावॉट का सौर ताप संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। भारत एशिया का एकमात्र देश है जहाँ सौर तालाब का निर्माण किया गया है। इसी तरह एक रेगिस्तान एवं अन्य दूर-दराज़ के क्षेत्रों में सौर ऊर्जा विकास हेतु तैयार की जा रही है। देश में अधिकतर सौर ऊर्जा अनुसंधान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन सौर ऊर्जा केंद्र में किया जाता है। सौर ऊर्जा के विकास हेतु दिल्ली के निकट ग्वाल पहाड़ी में एक केंद्र की स्थापना की गई है। भारत में विद्युत ऊर्जा की वार्षिक खपत 480 (यूएसए 13,680) किलोवाट/घंटा है। वर्तमान में भारत की 65 प्रतिशत विद्युत का उत्पादन कोयले या अन्य जीवाश्म र्इंधन के द्वारा किया जाता है। ऊर्जा की दीर्घकालीन पूर्ति में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की अहम भूमिका होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की ओर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। अनुमान लगाया है कि 2050 तक भारत अपनी आवश्यकता का 50 प्रतिशत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतोंसे पूरा करेगा। पश्चिम बंगाल में भारत के सबसे पहले सौर फोटोवोल्टेक संयंत्र की आधारशिला रखी गई है। इस ग्रह को बेहतर बनाए रखने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करना होगा। इसके लिए कार्बन की कम मात्रा उत्सर्जन करने वाले र्इंधनों के राष्ट्रीय मानक तय करने के साथ-साथ सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर जीवाश्म र्इंधन की खपत में कमी करनी होगी।(स्रोत फीचर्स) 

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