संकट में जैव विविधता
- संदीप पौराणिक
पशु, पक्षी, वनस्पति
प्राकृतिक परिवेश और मनुष्य मिलकर हमारे विश्व का निर्माण करते हैं, उसे रहने
लायक बनाते हैं। विश्व अथवा हमारी धरती के विकास में इनमें से प्रत्येक की निश्चित
और महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जिस प्रकार शरीर के सभी अंग मिलकर मनुष्य की रचना करते
हैं उसी प्रकार विभिन्न जीव-जंतु, नदियाँ, पर्वत, वन, झीलें और
मनुष्य मिलकर हमारी धरती का निर्माण करते हैं उसे विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान करते
हैं। भारत के
समृद्ध वन्य प्राणी हमारी प्राकृतिक धरोहर के प्रतीक हैं। भारत के गौरव के रूप में
इनकी रक्षा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। दुनिया के कुछ अन्य क्षेत्रों की
प्रजातियाँ भी भारत में मौजूद हैं। भारत जैविक विविधता से सम्पन्न होने के साथ-साथ
आकर्षक वन्य प्राणियों का भी केन्द्र भी हैं। इन वन्य प्राणियों में प्रमुख रूप से
बाघ, शेर, हाथी, गेंडे और जंगली
भैंसे जैसी प्रमुख प्रजातियाँ भी शामिल हैं। कुदरत की इस अनमोल धरोहर के संरक्षक होने
के नाते हमारा कत्र्तव्य है कि हम इनकी रक्षा का संकल्प लें। भारत में हमारे साथ
कम से कम स्तनपायी जीवों की 397 प्रजातियाँ, पक्षियों
की 1232 प्रजातियाँ, उभयचर
जीवों की 240 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 460 प्रजातियाँ, मछलियों की
2546 प्रजातियाँ, और कीटपतंगों की 59353
प्रजातियाँ निवास करती हैं। भारत में 18664 पौधे विभिन्न
प्रजातियों के भी हैं। भारत का कुल क्षेत्रफल विश्व के कुलभाग का मात्र 2.4 प्रतिशत
ही है ;लेकिन सम्पूर्ण विश्व की जैव विविधता में भारत का योगदान 8 प्रतिशत है। जैव
विविधिता की दृष्टि से भारत के पश्चिमी घाट और पूर्वी क्षेत्र बहुत समृद्ध हैं।
भारत के वनों, घास के मैदानों, आर्द्र भूमि, तटवर्ती
समुद्री और मरु प्रजातियों से इसकी जैव विविधता का अंदाजा लगाया जा सकता है। किसी
पारिस्थितिक प्रणाली में पायी जाने वाली जैव विविधता से इसके स्वास्थ्य का अनुमान लगाया
जा सकता है। जितनी अधिक जैव विविधता होगी, प्रणाली उतनी ही अधिक स्वस्थ होगी; लेकिन
प्राकृतिक पर्यावास छिनने और चोरी छिपे किए जाने वाले शिकार के कारण इनमें से कई
प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। अपने जानवरों और पक्षियों के
साथ अपने वनों का संरक्षण करके ही हम आने वाली पीढिय़ों के लिए नई कृषि फसलों और
जड़ी बूटियों की उपलब्धता सुनिश्चित कर पाएँगे और उन्हे प्रकृति को उसके मूल
स्वरूप मे देखने का आनंद दे पाएँगे। यह तभी
संभव है जब हम अपनी जैव विविधता को बचाए रखने में सफल होते हैं। पृथ्वी पर जीवन की
निरंतरता को बनाए रखने के लिए वनों एवं वन्य प्राणियों का संरक्षण एवं
संवर्धन अत्यावश्यक है। वन प्रागैतिहासिक
काल से ही महत्त्वपूर्ण रहे हैं। वनों का मतलब केवल पेड़ नही है ;बल्कि यह एक
संपूर्ण जटिल जीवंत समुदाय है। वन की छतरी के नीचे कई सारे पेड़ और जीव जंतु रहते
हैं। वनभूमि बैक्टीरिया कवक जैसे कई प्रकार के अकशेरूकी जीवों के घर हैं। ये जीव
भूमि और वन में पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हम पेड़ लगा सकते हैं ;लेकिन वन नही लगा सकते। किंतु भारत जैसे विकासशील देशों में
हम यह समझते हैं कि वन्य प्राणी संरक्षण पर धन खर्च करना फिजूलखर्ची है। बाघ, चीतल, सोनचिड़ियाया
दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति सदा के लिए हमारी धरती से समाप्त हो जाए तो क्या फर्क
पड़ेगा इस पर गंभीरता पूर्वक चिंतन किया जाए तो इस अपूरणीय
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लेखक छत्तीसगढ़ वन्य प्राणी बोर्ड के सदस्य हैं। Email- ranushanu2002@gmail.com
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