दस
वर्ष के नेतराम ने अपने बाप की अर्थी को कंधा दिया, तभी कलप-कलपकर रो पड़ा। जो लोग अभी तक उसे बज्जर कलेजे वाला कह रहे थे,
वे खुश हो गए। चिता में आग देने से पूर्व नेतराम को भीड़ सम्मुख
खड़ा किया गया। गाँव के बैगा पुजारी ने कहा, ''नेतराम...!” साथ ही उसके सामने उसके पिता का पुराना
जूता रख दिया गया, ''नेतराम बेटा, अपने
बाप का यह जूता पहन ले।
''मगर ये तो मेरे पाँव से बड़े
हैं।
''तो क्या हुआ, पहन ले। भीड़ से दो-चार जनों ने
कहा।
नेतराम ने जूते पहन लिये तो बैगा
बोला,
''अब बोल, मैंने अपने बाप के जूते पहन लिये
हैं।
नेतराम चुप रहा।
एक बार,
दूसरी दफे, आखिर तीसरी मर्तबा उसे बोलना ही
पड़ा, ''मैंने अपने बाप के जूते पहन लिये हैं। और वह एक बार
फिर रो पड़ा।
अब कल से उसे अपने बाप की जगह पटेल
की मजदूरी-हलवाही में तब तक खटते रहना है, जब
तक कि उसकी औलाद के पाँव उसके जूते के बराबर नहीं हो जाते।
2.सर्वशक्तिमान

किसी से पूछते कि इस मंदिर में
किसकी मूर्ति रखी हुई है तो लोग एक ही उत्तर देते, 'सर्वशक्तिमान की, और श्रद्धा-भक्ति से आँख मूँद
लेते।
सरकार एक दिन खुद ताव खाते मंदिर
में घुस पड़े। आखिर उनसे ज्यादा ताकतवर यह कौन सर्वशक्तिमान अवतरित होकर एक धर्म
साम्राज्य पर फावड़ा चला रहा है? वे पहुँचे।
दर्शन पाते ही उनकी गर्दन झुक गई। वे फर्श से माथा टेककर बड़बड़ाए, ''हे सर्वशक्तिमान, मुझ दरिद्र पर कृपा करो। दरअसल वहाँ स्वर्ण-सिंहासन पर चांदी का एक गोल
सिक्का रखा हुआ था।
3.कारण
चमचमाती,
झंडीदार अंबेसडर कार बड़े फौजी साज-सामान बनाने वाली फैक्टरी के
मुख्य द्वार से भीतर समा गई। नियत स्थान पर वे उतरे। अफसरान सब पानी जैसे होकर
उनके चरणों को पखारने लगे। कुछ गणमान्य कहे जानेवाले खास लोग विनम्रता के स्टेच्यू
सरीखे खड़े हो गए। फैक्टरी के इंजीनियर स्वचालित मशीनों की तरह चल पड़े। उनकी
निगाहे बाईं ओर घूमीं।
उन्होंने दाईं ओर देखा।
''इधर टूलरूम है महोदय!
''इधर टूलरूम है महोदय!
वे आगे बढ़ गए।
''सामने बारूद का काम होता है
सरकार!
वे बारूद के ढेर में सम्मिलित हो
गए।
सुबह अखबारों ने मुँह खोल दिए। जब
मैंने निकाले गए मजदूर तथा तकनीशियनों से उनके निकाले जाने के कारण जानना चाहा तो
सात छोटे-बड़े पारिवारिक बेटों के मुखिया ने कहा, ''भइया जी, कल हमारे कारखानों में लोकतंत्र घुस आया
था।
सम्पर्क: बी-4, तृप्ति विहार , इन्दौर रोड ,उज्जैन
(म.प्र.)
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