कुशल संपादन
उदंती जून 2012 का अंक प्राप्त हुआ। मेरी व्यंग्य रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभारी हूँ। नेट पर तो मैं हमेशा उदंती देखती ही रहती हूँ, हर अंक में आपके अच्छे संपादन की झलक दिखती है। आप निसंदेह बहुत प्रशंसनीय कार्य कर रही, इसके लिए आप बधाई की पात्र है। रचनाओं का चयन बहुत उत्कृष्ट रहता है, यह आपके कुशल संपादन को दर्शाता है। शुभकामनाओं सहित
- प्रेम गुप्ता मानी, premgupta.mani.knpr@gmail.com
प्रतीक्षा
उदंती के सभी स्तम्भ मनभावन होते हैं। एक को पढ़ कर आगे की प्रतीक्षा आरम्भ हो जाती है इस बार की सभी रचनाये अच्छी लगी प्रेमचंद जी और मंटो साहब की कालजयी रचनाएं पढऩे का अवसर देने के लिए हार्दिक आभार ... शुभकामनाओं के साथ।
- ज्योतिर्मयी पंत, pant.jyotirmai@gmail.com
वोट की राजनीति
सहिष्णुता लोकतन्त्र की रीढ़ है। धार्मिक विश्वास हो या राजनैतिक क्रियाकलाप। आजादी के बाद का सबसे दु:खद पहलू है लोकतान्त्रिक मूल्यों का विघटन। यही कारण है कि क्षुद्र राजनीति से लेकर अफसरशाही के हथकण्डों तक, आम आदमी को नहीं वरन नेताओं और अफसरों की सहनशीलता पूरी तरह स्वार्थ केन्द्रित हो चुकी है। वोट की राजनीति का खेल इतना निम्नस्तरीय हो गया है कि, जरा- सी बात पर हल्ला मचाना ही हमारा चरित्र बन गया है। आपात स्थिति हटने के बाद हिन्दी के स्कूली पाठ्यक्रम से निराला की कविता 'कुत्ता भौंकने लगा' हटाई गई, कभी 'रोटी और संसद' धूमिल की कविता को हटाया गया। आज ऐसे विश्वविद्यालय भी हैं जहाँ पुरानी और बेजान कविता ही पढ़ाई जा रही हैं। वहाँ सबसे बड़ा डर है कि न जाने कब, कौन किस बात पर हल्ला बोल कार्यक्रम आयोजित कर बैठे। दागदार को सबसे बड़ा डर रहता है, अत: वह सीधे लोकतन्त्र पर खतरा बताने लगता है, जबकि उस तन्त्र में रोजमर्रा पिसते हुए उस लोक का दर्द इन बहरे कानों तक नहीं पहुँचता। आने वाली पीढ़ी का दिमाग कितना विषाक्त कर दिया जाएगा, इसे सोचकर ही डर लगता है। आपने अनकही 'हसना मना है' में मुद्दे को जिस तरह से पेश किया है, उससे नासमझ लोगों के दिमाग की खिड़कियाँ खुल जानी चाहिए।
- रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, सहज साहित्य
सुखद आश्चर्य
उदन्ती का जून अंक पा कर और उसमें अपनी रचनाओं को देखकर, सुखद आश्चर्य हुआ। पत्रिका देख कर मन खुश हो गया। प्रेमचन्द जी की कहानी इस अंक की उपलब्धि है।
- गिरिजा कुलश्रेष्ठ, girija.kulshreshth@gmail.com
हाइकु
हिंदी हाइकु में डॉ. सुधा गुप्ता का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। हिंदी हाइकु पर उन्होंने बहुत काम किया है और श्रेष्ठ हाइकु हिंदी साहित्य को दिये हैं। इस अंक में प्रस्तुत उनके हाइकु इसका प्रमाण हैं।
- सुभाष नीरव, subhashneerav@gmail.com
लू के थपेड़े
सुधा जी के सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं। भाव, शिल्प, सौन्दर्य सभी स्तरों पर। नए रचनाकारों के सीखने के लिए श्रद्धेया सुधा जी जैसी महान कवयित्री की रचनाएँ हमेशा प्रेरणादायी होती हैं।
- उमेश महादोषी, aviramsahityaki@gmail.com
अनोखी खेती उतेरा
आज रासायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से यह भूमि प्रदूषित हो गयी है और उपजाऊ परत घट गयी। हमारे मालवा में सन बोया जाता था उसके उगने के बाद खेत में ही हाक दिया जाता था इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती थी। आज ऐसा नहीं होता आज लोगों ने ज्वार बोना बंद कर दिया। उदंती में प्रकाशित बाबा मयाराम का लेख 'सतपुड़ा की अनोखी खेती उतेरा' उन किसानों के लिए अनुकरणीय है जो सहज, सरल, सादगी से खेती कर इस धरती को बचाना चाहते हैं।
- बंशीलाल परमार, मध्यप्रदेश
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