ख्वाब तो यही है...
- अनिता निहालानी
यदि मेरे हाथों में शासन की बागडोर हो
.....तो खोल डालूं पांच सितारा होटल के द्वार
उन निर्धन मजदूरों के लिये
जिन्होंने कड़ी धूप में तपकर खड़े किये थे
वे गगनचुम्बी महल....
और दूर दराज के गावों में
जहाँ न सड़के हैं न बिजली
रहने को भेज दूँ मोटे-मोटे खादी धारियों को...
आलीशान बंगलों में
खाली पड़े हैं जो, सन्नाटा गूंजता है जहाँ
स्कूल और अस्पताल चलाऊँ
विवश हैं जो लम्बी कतारों में लगने को
उनको वहाँ दाखिला दिलाऊँ...
मिलावट करने वाले हों या कालाबाजारी
भेज दूँ उनको, उनकी सही जगह
और मेहनतकश, कर्मठ हाथों को
ईमानदारी से शुद्ध सामान बेचने में लगा दूँ...
जो भूल गए हैं ड्यूटी पर आना
ऐसे अध्यापकों, डाक्टरों, अधिकारियों या
पायलटों को रिटायर कर दूँ किसी भी उम्र में
और काम करने को आतुर लोगों की
रिटायरमेंट उम्र बढ़ा दूँ जितनी वे चाहें....
जहरीली दवाएं और जहरीली खादें
धरती को विषैला न बनाएँ
ऐसा फरमान निकालूं
विकलांग न हों जिससे
दूषित भोजन को खाकर और बच्चे...
टीवी पर आने वाले झूठे विज्ञापनों के
जाल से मुक्त करूं आम जनता को
बढ़ावा मिले योग और सात्विकता को
हर बच्चे की पहुँच हो
संगीत व नृत्य तक
पेड़ लगाना अनिवार्य हो जाये
हर बच्चे के जन्म पर....
विज्ञान के साथ-साथ
साहित्य पढऩे वाले विद्यार्थी भी
उच्च पदों पर आयें
कलाविहीन मानव
पशु रूप में और न बढऩे पाएँ...
गर्व हो अपनी संस्कृति पर ऐसे
मंत्री बनाऊँ
सरकारी ठेके की दुकानों पर दूध-लस्सी की
नदियाँ बहाऊँ...
ख्वाब तो यही है कि
न हो अन्याय किसी के साथ
हर किसी के पास हो
सम्मान से जीने का अधिकार...
.....तो खोल डालूं पांच सितारा होटल के द्वार
उन निर्धन मजदूरों के लिये
जिन्होंने कड़ी धूप में तपकर खड़े किये थे
वे गगनचुम्बी महल....
और दूर दराज के गावों में
जहाँ न सड़के हैं न बिजली
रहने को भेज दूँ मोटे-मोटे खादी धारियों को...
आलीशान बंगलों में
खाली पड़े हैं जो, सन्नाटा गूंजता है जहाँ
स्कूल और अस्पताल चलाऊँ
विवश हैं जो लम्बी कतारों में लगने को
उनको वहाँ दाखिला दिलाऊँ...
मिलावट करने वाले हों या कालाबाजारी
भेज दूँ उनको, उनकी सही जगह
और मेहनतकश, कर्मठ हाथों को
ईमानदारी से शुद्ध सामान बेचने में लगा दूँ...
जो भूल गए हैं ड्यूटी पर आना
ऐसे अध्यापकों, डाक्टरों, अधिकारियों या
पायलटों को रिटायर कर दूँ किसी भी उम्र में
और काम करने को आतुर लोगों की
रिटायरमेंट उम्र बढ़ा दूँ जितनी वे चाहें....
जहरीली दवाएं और जहरीली खादें
धरती को विषैला न बनाएँ
ऐसा फरमान निकालूं
विकलांग न हों जिससे
दूषित भोजन को खाकर और बच्चे...
टीवी पर आने वाले झूठे विज्ञापनों के
जाल से मुक्त करूं आम जनता को
बढ़ावा मिले योग और सात्विकता को
हर बच्चे की पहुँच हो
संगीत व नृत्य तक
पेड़ लगाना अनिवार्य हो जाये
हर बच्चे के जन्म पर....
विज्ञान के साथ-साथ
साहित्य पढऩे वाले विद्यार्थी भी
उच्च पदों पर आयें
कलाविहीन मानव
पशु रूप में और न बढऩे पाएँ...
गर्व हो अपनी संस्कृति पर ऐसे
मंत्री बनाऊँ
सरकारी ठेके की दुकानों पर दूध-लस्सी की
नदियाँ बहाऊँ...
ख्वाब तो यही है कि
न हो अन्याय किसी के साथ
हर किसी के पास हो
सम्मान से जीने का अधिकार...
मेरे बारे में -
यह अनंत सृष्टि एक रहस्य का आवरण ओढ़े हुए है, काव्य में यह शक्ति है कि उस रहस्य को उजागर करे या उसे और भी घना कर दे। लिखना मेरे लिये सत्य के निकट आने का प्रयास है। कविता लिखना और पढऩा मुझे भाता है। ध्यान, प्राणायाम आदि आर्ट ऑफ लिविंग से जुडऩे के बाद जीवन का अंग बन गए हैं। बागवानी, घूमना, प्रकृति दर्शन भी अच्छा लगता है, किताबें बचपन से मित्र रही हैं।
संपर्क- C/o M C Nihalani, D + 207, OIL COLONY, DULIAJAN - 786 602 ASSAM
संपर्क- C/o M C Nihalani, D + 207, OIL COLONY, DULIAJAN - 786 602 ASSAM
No comments:
Post a Comment