हमारा जीवन अर्थपूर्ण
इसीलि
ए है क्योंकि एक दिन इसका अंत हो जाएगा।
हमारा जन्म होते ही
प्रकृति हमें गुलेल से फेंके गए पत्थर की भांति एक बहुत लंबे अनियंत्रित चाप पर
उछाल देती है जिसकी परिणति हमारी मृत्यु में होती है।
मार्वल की फिल्म के एक
दृश्य में डॉ. स्ट्रेंज अपने मेंटर (गुरु) के साथ खिड़की पर खड़े हो प्रचंड तूफान
को आता देख रहा है।
डॉ. स्ट्रेंज के गुरु
की उम्र सैंकड़ों साल है। वह डॉ. स्ट्रेंज को अंतिम चुनौती का सामना करने के लिए
एक सलाह देता है।
डॉ. स्ट्रेंजः मैं अभी
तैयार नहीं हूँ।
गुरुः कोई कभी तैयार
नहीं होता। हमें अपना समय चुनने की आजादी नहीं मिलती।
मृत्यु ही जीवन को उसका
अर्थ देती है।
यह जान लेने पर कि
तुम्हें गिनती के दिन मिले हैं, तुम्हारा समय अपने आप कम
हो जाता है।
फिल्म को देखने के लगभग
साल भर बाद भी यह दृश्य मेरी आँखों के सामने एकदम ताज़ा है।
इसपर आप विचार करेंगे
तो पाएँगे कि जीवन को बहुत सुंदर बनाने वाली जितनी भी चीज़ें हैं वे नश्वर हैं।
आपकी आइसक्रीम बहुत
स्वादिष्ट इसलिए लगती है क्योंकि वह पिघलती रहती है।
अपने प्रेमी के साथ
बीतने वाला वक्त अनमोल जान पड़ता है क्योंकि पूरे जीवन भर में आप उसे कुछ सौ/हजार
बार ही चूम सकते हो।
दुनिया को बदलने का
आपका मिशन जल्दबाजी की माँग करता है क्योंकि आप नहीं जानते कि इसे पूरा करने में
आपको कितना समय लगेगा।
हर वह अनुभव जो हमारे
यहाँ होने को मूल्यवान बनाता है, बहुत जल्द ही बीत जाता है।
एक उम्र हो जाने के बाद सदा-सदा के लिए जीवित रहने की इच्छा खत्म हो जाती है। इसके
बावजूद मृत्यु ही हमें सबसे ज्यादा डराती है।
यही जीवन का सबसे बड़ा
विरोधाभास है।
अगली बार जब आपकी
आइसक्रीम जमीन पर गिर जाए, या आपका दिल टूट जाए, या आपको अपनी किसी ख्वाहिश को दरकिनार करना पड़ जाए तो याद रखें किः
मृत्यु ही जीवन को उसका
अर्थ देती है। हमें अपना समय चुनने की आजादी नहीं मिलती।
हर बीत रहा पल ही वह पल
था जिसने जीवन को कीमती बनाए रखा था।
भले ही आपने उसे कैसे
भी बिताया हो। ( हिन्दी जे़न से)
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