चित्र ः डॉ. सुनीता वर्मा |
बीते समय के लिए मत रोइए, वो चला गया,
और भविष्य की चिंता करना छोड़ो,
क्योंकि वो अभी आया ही नहीं है,
वर्तमान में जियो, इसे सुन्दर बनाओ ! - गौतम बुद्ध
इस अंक में
अनकहीः प्रदूषण फैलाती गाड़ियाँ... - डॉ. रत्ना वर्मा
समाजः
स्कूल में भूत का नज़ारा - संतोष शर्मा
कविताः मुस्कुराती हुई स्त्री -रश्मि विभा त्रिपाठी
यात्रा
संस्मरणः कला की अमूल्य निधियाँ ‘एलोरा अजन्ता’ - यशपाल जैन
लघुकथाः
रेलगाड़ी की खिड़की - अंजू खरबंदा
पर्यावरणः हाइवे के बोझ तले गाँव की पगडंडी - भारत डोगरा
व्यंग्यः
ट्यूशन
पुराण - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
बाल कहानीः मिट्ठू - मुंशी प्रेमचंद
कविताः आ लौट चलें! - डॉ. सुरंगमा यादव
दो
ग़ज़लेंः 1. तसव्वुर, 2. खोमोशियाँ -विज्ञान व्रत
कलाकारः जो कला परमानंद में लीन कर दे वही सच्ची कला -प्रो. अश्विनी केशरवानी
कविताः बच्चोंऔर बड़ों का घर – हरभगवान चावला
प्रेरकः संयम
और अनुशासन का अनूठा प्रयोग- हिन्दी ज़ेन
कोविडः मास्क
कैसा हो? -स्रोत
फीचर्स
6 comments:
उदंती का नया अंक देखकर अत्यंत हर्ष हुआ। कवर पेज पर अपनी ही पेंटिंग देखकर नया सा लगा। लेख और अनकही बहुत ही सारगर्भित और समसामयिक है सुंदर लेखन और सुंदर पत्रिका के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं, बधाइयां।
शुक्रिया सुनीता 🌹❤️ तुम्हारी पेंटिंग हर बार खूबसूरत और नई होती है... जो हमेशा ताजगी और सुकून का एहसास कराती है
एक और सुंदर अंक। विभिन्न विषयों पर लेख और उनसे मेल खाते चित्र बहुत मनभावन लगते हैं। मेरी ओर से बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकारें आदरणीया रत्ना जी!
दिल से शुक्रिया प्रीति जी| आप सबका स्नेह और सहयोग ही है जो कुछ नया करने की प्रेरणा देता है|
आकर्षक आवरण के साथ उदंती का नया अंक बहुत ही सुंदर है। सारगर्भित अनकही ,मर्मस्पर्शी कहानी स्तरीय आलेख , संस्मरण लघुकथा, कविताएँ सभी स्तरीय सामग्री के लिए रत्ना जी आप तथा रचनाकारों, सुनीता वर्मा जी को हार्दिक बधाई।
हार्दिक धन्यवाद रत्नाकर जी. आप udanti.com की गंभीर पाठक है. आपकी प्रतिक्रिया हमारा मार्गदर्शन करती हैं. आपका दिल से आभार...
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