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Dec 1, 2021

लघुकथाः लाठी

 - अर्चना राय


"सुनिए जीआज हमारा बेटाबहू से कह रहा था किशहर में बनने वाला मकान कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा और वे लोग वहाँ चले जाएँगे।"

"चलो अच्छा है।"- वृद्ध ने ठंडी साँस भरते हुए कहा।

क्या अच्छा हैहम यहाँअपने पोते के बिना कैसे रह पाएँगेअरे! वही तो हमारे बुढ़ापे की लाठी है।"- कहतेकहते उनकी आँखें नम हो गईं।

"भाग्यवान यही आज का चलन है। बच्चे अब अपने माँ-बाप को साथ नहीं रखना चाहतेइसलिए अपने मन को कड़ा कर लो।"- कहते -कहते उनकी सांसेंसे तेज हो गईं।

"अच्छा,... मुझे मन कड़ा करने के लिए कह रहे हैंऔर आप अपने मन को  कर पाए। रुकिए मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूँ।"

 पानी लेने के लिए जैसे ही भी रसोई की ओर मुड़ी बहू की आवाज सुनकर ठिठक गई।

"घर के नक्शे में इस कमरे के साथ में लगा बाथरूम भी बनवा दीजिए।"

 "बाहर आँगन में तो बना हैकमरे में क्या ज़रूरत है?"

"ज़रूरत हैमाँ- बाबूजी को इतनी दूर जाने में परेशानी होगी।"

 बहू की बात सुनकर उनकी आँखें छलक आईं।वह आँसू पोंछकर वापस चली गई।

"पता नहीं बाबूजी हमारे साथ शहर आएँगेइस उम्र में अपना घर को छोड़कर जाना उनके लिए मुश्किल होगा।" 

"क्यों नहीं जाएँगेवे हमारे साथ जरूर जाएँगे,क्योंकि घर दीवारों से नहीं अपनों से बनता है।"- बहू ने कहा

"हाँ,... तुम ठीक कह रही हो।"

 "और अगर न जाने की जिद करेंगे तो हमारे पास उनकी जिद तोड़ने की लाठी तो है ही।" सोते हुए बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए बहू ने इत्मीनान से कहा। 

 C/o आदर्श होटल पंचवटीभेड़ाघाट जबलपुर म. प्र.  पिन - 483053, ईमेल-  archana.rai1977@gmail.com

9 comments:

Vibha Rashmi said...

संबंधों पर बुनी गयी भावमय लघुकथा । मूल से सूद अधिक प्यारा होता है , और वो बुढ़ापे की लाठी भी बन सकता है । बधाई ।

Archana rai said...

मेरी कथा को स्थान देने के लिए सभी का हार्दिक आभार

Archana rai said...

विभा जी सराहना के लिए हृदय तल से आभार

Dr. Purva Sharma said...

भावपूर्ण सुंदर लघुकथा
बधाई अर्चना जी

Archana rai said...

हृदय तल से आपका आभार आदरणीया

http://bal-kishor.blogspot.com/ said...

सकारात्मक लघुकथा,शुभकामनाएं।

Sudershan Ratnakar said...

सुंदर सकारात्मक अभिव्यक्ति। बधाई

Shrikant said...

उच्च कोटि की प्रेरक लघुकथा। बधाई आपको

Reet Mukatsari said...

बहुत सुंदर संदेश पूर्ण लघुकथा ,,