प्रेम और सद्भावना का रंग...
-डॉ. रत्ना वर्मा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGyf5PYloWcp9YtpyXFYiwMJO5t1L0D7aVQMwrSXKMRUdtQ90ZO6eiUQ5M9OrE1Cs_hBk4ij5caGr6Y-ZU0b7q-VvLvpl03lUHbdq_gBlUxM809Li0TDzk0dl6AQ2ynjLfCNjc3uwV8DzB/s200/holi-2-edt.jpg)
कुल
मिलाकर मौसम में आ रहे लगातार बदलाव और राजनैतिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय,
अन्तर्राष्ट्रीय सरगर्मियों के बीच सारे राग-द्वेष भुलाकर भारतवासी आने वाले दिनों में रंगों का
त्योहार होली मनाकर, देश में लम्बे समय से चल रहे तनाव को दूर भगाने का जतन कर ही
रहे थे कि तभी कोरोना वायरस के हमले ने समूचे देशवासियों को हिलाकर रख दिया। इस
वायरस ने सबको इतना अधिक भयभीत कर दिया है कि अपनों से गले मिलना तो दूर, उनका आपस
में बात करना भी दूभर हो गया है। कोई पास से छींकते या खाँसते हुए निकलता है, तो मन में बस एक ही सवाल आता है, कहीं इसे कोरोना वायरस तो नहीं?
किसी भी महामारी से भयभीत होकर इस तरह की
प्रतिक्रिया व्यक्त करना ठीक नहीं है, बल्कि देश के प्रत्येक जिम्मेदार नागरिकों
का दायित्व है कि वे लोगों में जागरुकता लाएँ । ऐसे समय में सबसे ज्यादा सक्रिय
सोशल मीडिया हो जाता है और सबसे पहले अफवाहों का दौर वहीं से शुरू होता है, जो
महामारी से भी ज्यादा तेजी से फैलता है। सोशल मीडिया इतना शक्तिशाली माध्यम है कि
एक ही पल में करोड़ों लोगों तक एक साथ खबर पहुँच जाती है, तो क्यों न इसका उपयोग
अफवाहें फैलाने के बजाय, भय
फैलाने वाली खबरों पर रोक लगाने के लिए किया जाना चाहिए।
जब
देश और दुनिया में किसी भी महामारी का हमला होता है, तो सबसे जरूरी है कि पूरी
सावधानी बरती जाए। अभी तक कोरोना
वायरस को समाप्त करने के लिए किसी दवाई का पता नहीं चल पाया है; अतः जरूरी हो जाता है कि इसके बचाव के
तरीकों पर शासकीय और अशासकीय स्तर पर प्रत्येक नागरिक को काम करना चाहिए। यदि लोग
भूले नहीं होंगे तो 2003 में सार्स वायरस ने
पूरी दुनिया में आतंक मचा रखा था, लेकिन
भारत ने उस वायरस को अपने यहाँ घुसने
नहीं दिया था।
कोरोना वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है ,
एक के बाद एक कई राज्यों से इसकी चपेट में आए संक्रमित लोगों की खबरें आ रही हैं; इसीलिए अब और अधिक सावधान रहने की ज़रूरत
है। इससे बचाव के किन- किन चीजों से परहेज़ करें, स्वच्छता का कितना ध्यान रखें,
लोगों से कैसे मिलें, भीड़ वाली जगहों से कैसे बचें, यात्रा में क्या सावधानी
बरतें, जैसी वायरस से बचने के लिए जरूरी बातें प्रत्येक इंसान तक पहुँचाई जानी चाहिए।
यह समय
संयम का है, घबराने का नहीं और दुनिया को आपस में मिलकर इस जानलेवा बीमारी का इलाज
खोजना आज की पहली जरूरत है। कोरोना को लेकर सावधानी बरतते हुए इस बार प्रधानमंत्री
के साथ कई लोगों ने सार्वजनिक रूप से होली मिलन के कार्यक्रमों में शामिल न होने
का निर्णय लिया है, तो कइयों ने दिल्ली में हुई हिंसा के चलते होली न मनाने का फैसला किया है। भारत में मनाया जाने वाला रंगों का यह त्योहार
प्रेम, सद्भाव और मिलन का पर्व है, भले ही
इस बार आप रंग मत खेलिए, गले मत मिलिए, हाथ मत मिलाइए परंतु
आपसी नफ़रत भुलाकर इस संकट की घड़ी से उबरने के लिए शांति और सहयोग बनाकर रखिए। तो आइए
देश की आबोहवा में फैले अलगाव और नफ़रत के इस ज़हर को प्रेम और सद्भावना के रंग
में रँगकर दूर भगाएँ।
No comments:
Post a Comment