नींद में खलल और याददाश्त
गहरी नींद में विघ्न और याददाश्त के बीच सीधा सम्बंध है। अर्थात जिन लोगों में धीमी गति की मस्तिष्क तरंगों की सक्रियता सबसे कम रही, उन्हें सबसे कम शब्द भी याद रहे। और इन दोनों चीज़ों, यानी गहरी नींद की कमी और याददाश्त की कमज़ोरी का सम्बंध दिमाग के एक हिस्से में ग्रे मैटर की कमी के साथ देखा गया।
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नेचर न्यूरोसाइन्स में प्रकाशित एक ताज़ा शोध पत्र में बताया गया है कि उम्र बढऩे के साथ दिमाग के एक खास हिस्से में क्षति के चलते नींद में विघ्न पैदा होता है और याददाश्त भी कमज़ोर पड़ती है।
यह तो सर्वविदित है कि उम्र बढऩे के साथ मस्तिष्क की कोशिकाएँ धीरे-धीरे कम होती हैं, नींद में खलल पड़ता है और याददाश्त कमज़ोर होती है मगर सवाल यह है कि इन तीन चीज़ों के बीच कोई सम्बंध है क्या? और यदि कोई सम्बंध है, तो किस तरह का?
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के तंत्रिका वैज्ञानिक ब्रायस मैंडर और उनके साथियों ने इस सवाल का जवाब पाने के लिए एक अध्ययन किया। उन्होंने 33 स्वस्थ वयस्कों को इस अध्ययन में शामिल किया- इनमें से 18 तो करीब 20 वर्ष उम्र के थे जबकि 15 उम्र के सातवें दशक में थे। इन सबके दिमाग ठीक-ठाक थे।
इन वालंटियर्स को शब्दों की कुछ जोडिय़ाँ याद करने को कहा गया और दस मिनट बाद वही शब्द याद करने को कहा गया। इसके बाद उन्हें रात भर सोने दिया गया। जब वे सो रहे थे तब शोधकर्ता उनके दिमाग की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते रहे। अगले दिन सुबह वालंटियर्स को एक बार उसी सूची के शब्द याद करने को कहा गया। इस अभ्यास के दौरान उनके दिमाग का स्कैन भी जारी रहा।
जैसा कि पूर्व में किए गए अध्ययनों में देखा गया था, युवा वालंटियर्स के मुकाबले उम्रदराज़ वयस्क कम शब्द याद कर पाए। उम्रदराज़ लोगों में नींद के दौरान धीमी मस्तिष्क तरंगों में भी कमी देखी गई। धीमी मस्तिष्क तरंगें गहरी नींद से सम्बंधित होती हैं।
विश्लेषण में यह देखा कि गहरी नींद में विघ्न और याददाश्त के बीच सीधा सम्बंध है। अर्थात जिन लोगों में धीमी गति की मस्तिष्क तरंगों की सक्रियता सबसे कम रही, उन्हें सबसे कम शब्द भी याद रहे। और इन दोनों चीज़ों, यानी गहरी नींद की कमी और याददाश्त की कमज़ोरी का सम्बंध दिमाग के एक हिस्से में ग्रे मैटर की कमी के साथ देखा गया। दिमाग के इस हिस्से को मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स कहते हैं। शोधकर्ताओं का मत है कि उनके अध्ययन से पता चलता है कि गहरी नींद का अभाव, याददाश्त की कमज़ोरी और मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में ग्रे मैटर में कमी एक-दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं।
यह तो पहले से पता रहा है कि नींद आपको नई-नई बातों को याददाश्त में सहेजने में मदद करती है। यह भी पता रहा है कि धीमी मस्तिष्क तरंगें जानकारी को हिप्पोकैम्पस से मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित करने में मददगार होती हैं जहाँ उन्हें दीर्घावधि याददाश्त में संजोया जाता है।
ताज़ा शोध से पता चलता है कि मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में क्षति के चलते धीमी मस्तिष्क तरंगें कम हो जाती हैं जिसका असर गहरी नींद और याददाश्त दोनों पर पड़ता है।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके इस अध्ययन से इस मामले में सार्थक हस्तक्षेप के कुछ रास्ते खुल सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
गहरी नींद में विघ्न और याददाश्त के बीच सीधा सम्बंध है। अर्थात जिन लोगों में धीमी गति की मस्तिष्क तरंगों की सक्रियता सबसे कम रही, उन्हें सबसे कम शब्द भी याद रहे। और इन दोनों चीज़ों, यानी गहरी नींद की कमी और याददाश्त की कमज़ोरी का सम्बंध दिमाग के एक हिस्से में ग्रे मैटर की कमी के साथ देखा गया।
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नेचर न्यूरोसाइन्स में प्रकाशित एक ताज़ा शोध पत्र में बताया गया है कि उम्र बढऩे के साथ दिमाग के एक खास हिस्से में क्षति के चलते नींद में विघ्न पैदा होता है और याददाश्त भी कमज़ोर पड़ती है।
यह तो सर्वविदित है कि उम्र बढऩे के साथ मस्तिष्क की कोशिकाएँ धीरे-धीरे कम होती हैं, नींद में खलल पड़ता है और याददाश्त कमज़ोर होती है मगर सवाल यह है कि इन तीन चीज़ों के बीच कोई सम्बंध है क्या? और यदि कोई सम्बंध है, तो किस तरह का?
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के तंत्रिका वैज्ञानिक ब्रायस मैंडर और उनके साथियों ने इस सवाल का जवाब पाने के लिए एक अध्ययन किया। उन्होंने 33 स्वस्थ वयस्कों को इस अध्ययन में शामिल किया- इनमें से 18 तो करीब 20 वर्ष उम्र के थे जबकि 15 उम्र के सातवें दशक में थे। इन सबके दिमाग ठीक-ठाक थे।
इन वालंटियर्स को शब्दों की कुछ जोडिय़ाँ याद करने को कहा गया और दस मिनट बाद वही शब्द याद करने को कहा गया। इसके बाद उन्हें रात भर सोने दिया गया। जब वे सो रहे थे तब शोधकर्ता उनके दिमाग की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते रहे। अगले दिन सुबह वालंटियर्स को एक बार उसी सूची के शब्द याद करने को कहा गया। इस अभ्यास के दौरान उनके दिमाग का स्कैन भी जारी रहा।
जैसा कि पूर्व में किए गए अध्ययनों में देखा गया था, युवा वालंटियर्स के मुकाबले उम्रदराज़ वयस्क कम शब्द याद कर पाए। उम्रदराज़ लोगों में नींद के दौरान धीमी मस्तिष्क तरंगों में भी कमी देखी गई। धीमी मस्तिष्क तरंगें गहरी नींद से सम्बंधित होती हैं।
विश्लेषण में यह देखा कि गहरी नींद में विघ्न और याददाश्त के बीच सीधा सम्बंध है। अर्थात जिन लोगों में धीमी गति की मस्तिष्क तरंगों की सक्रियता सबसे कम रही, उन्हें सबसे कम शब्द भी याद रहे। और इन दोनों चीज़ों, यानी गहरी नींद की कमी और याददाश्त की कमज़ोरी का सम्बंध दिमाग के एक हिस्से में ग्रे मैटर की कमी के साथ देखा गया। दिमाग के इस हिस्से को मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स कहते हैं। शोधकर्ताओं का मत है कि उनके अध्ययन से पता चलता है कि गहरी नींद का अभाव, याददाश्त की कमज़ोरी और मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में ग्रे मैटर में कमी एक-दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं।
यह तो पहले से पता रहा है कि नींद आपको नई-नई बातों को याददाश्त में सहेजने में मदद करती है। यह भी पता रहा है कि धीमी मस्तिष्क तरंगें जानकारी को हिप्पोकैम्पस से मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित करने में मददगार होती हैं जहाँ उन्हें दीर्घावधि याददाश्त में संजोया जाता है।
ताज़ा शोध से पता चलता है कि मध्यम प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में क्षति के चलते धीमी मस्तिष्क तरंगें कम हो जाती हैं जिसका असर गहरी नींद और याददाश्त दोनों पर पड़ता है।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके इस अध्ययन से इस मामले में सार्थक हस्तक्षेप के कुछ रास्ते खुल सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
2 comments:
अच्छी जानकारी देने का आभार...
~सादर!!!
अच्छी जानकारी देने का आभार...
~सादर!!!
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