1.जीवन-बाती
- सुधा भार्गव
- सुधा भार्गव
इतनी झुकी-झुकी क्यों लग रही
है। तेरी सारी अकड़ कहाँ गई?
माँ-बाप के आँगन में छूट गई।
तूने लाडो कब से झुकना सीख
लिया ।
शादी के बाद से ही। शादी के
समय माँ ने कहा था बेटा सबसे झुककर पेश आना। ससुराल में जो भी मिला उसका झुककर
अभिवादन किया। पैर छुए तो कमर नीचे तक झुकानी पड़ी।
-यह तो नई बहू को करना पड़ता
ही है। इसमें खास बात क्या है।
बाद में पति को झुकाने के लिए
कुछ और झुकना पड़ा।
पति-पत्नी में तो नोक-झोंक
होती ही रहती है।
बच्चों का मान रखने को कुछ
ज्यादा ही झुकना पड़ा। अब तो मन भी झुक गया है और कमर भी।
इतना मत झुक वरना कमर टूट जाएगी।
सहानुभूति के दो शब्दों ने
जीवन बाती को प्रज्ज्वलित कर दिया और वह ठंडी शिला होने से बच गई।
एक दिन जया ने कहा- तुम बहुत
सीधे हो। ज्यादा मुनाफा कैसे हो! तुम्हें अवसरवादी, सुविधावादी और समझौतावादी होना चाहिए।
दूसरे दिन समाचार पत्र में खबर
छपी- अब लड़कियाँ भी पिता की संपत्ति में
हकदार होंगी।
विशाल ने अखबार जया के हाथ में थमाते हुए कहा- अब तो तुम्हें भी
पिता की जायदाद में हिस्सा मिलेगा। मेरे
ससुर जी से कहो- वे अपने जीते जी तुम्हारा हिस्सा दे दें ताकि व्यापार में उसे लगा
सकूँ। मैं यह अवसर गँवाना नहीं चाहता।
3. गुबार
मैं कहे देता हूँ ,मेरे मरने के बाद गरुड़ पुराण ,बुढिय़ा पुराण या पंडित
पुराण बैठाने की कोई जरूरत नहीं। जीते जी तो
मैं भीड़ में भी रहकर अकेला रहा, मौत के बाद मृत्यु
भोज देकर भीड़ क्या जुटाना। यहाँ के नरक से छुटकारा मिलने पर तो खुद - ब- खुद
मोक्ष गले आकर लग जाएगा ।
क्या बात करते हो जी। घर में
इतने प्यारे-प्यारे पोता-पोती हैं। बहू-बेटे
खिदमत में खड़े रहते हैं। इनको छोड़कर आप जाने की कल्पना भी कैसे कर लेते हो। बूढ़ी पत्नी ने
मीठी आवाज में कहा।
जिन्दगी क्या घर तक ही सीमित
है। चिलचिलाती धूप में सड़कों की धूल खाकर घर आओ तो बिजली नहीं! न ठन्डी हवा न ठंडा
पानी। लेकिन बिजली का बिल नियम का पाबन्द। नहाने को नल खोलो तो पानी नदारद।
पानी का बिल भी कभी मेरे घर का रास्ता नहीं भूलता। जान से भी जाओ और माल से भी
जाओ।
रही नाते- रिश्तेदारों की बात!
बच्चे माँ-बाप से चिपके रहे ; क्योंकि उनके बिना काम नहीं चला। माँ-बाप बच्चों से
पटरी बैठाते रहे ; क्योंकि उनके बिना वे
रह नहीं सकते थे। मुझे जो कहना था बस मैं कह चुका।
बूढ़ा दिल का गुबार निकालकर
सोने चला गया।
जागने वालों ने कहा- बूढ़ा
सठिया गया है।
संपर्क: जे 703, स्प्रिन्गफ़ील्ड्स, 17/20 अम्बालीपुर विलेज़,
सरजापुर रोड, बेंगलुरु, कर्नाटक
- 560102 E-mail-subharga@gmail.com
1 comment:
bahut arthpurn laghu kathayen apane men ek sandesh de jati hain.
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