- डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
1
वल्लरियाँ विश्वास की, हों आशा के फूल ।
नूतन वर्ष मनाइए , तज तृष्णा के शूल ।।
2
अनाचार का अन्त हो, सत्पथ का निर्माण ।
करें सुमंगल शारदा, कलम रचे कल्याण ।।
3
शीश चुनरिया सीख
की, मन में मधुरिम गीत
।
बाबुल तेरी लाडली, कभी न भूले रीत ।।
4
खुशबू के मिस फूल
ने, भेज दिया सन्देश ।
हाल हमारा पूछने, आओ तो इस देश ।।
5
तितली ने छुपकर
पढ़े ,सभी सुमन के पत्र ।
'सोच समझ
उडऩा सखी, वन, उपवन सर्वत्र’।।
6
सृजनहार नव वर्ष में, सिरजो
ऐसा गीत ।
मन से मन सबके मिलें, बजे
मधुर संगीत । ।
7
कल किरणों की कुहर से, हुई
बड़ी तक़रार ।
धूप उमंगों -सी खिले, चहुँ
दिशि हो उजियार । ।
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