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Feb 17, 2010

बर्फीली मेहमाननवाजी


- बिमल श्रीवास्तव
बचपन में हम लोग भूगोल की पाठ्य पुस्तकों में पढ़ा करते थे कि उत्तरी ध्रुव के आसपास रहने वाले एस्कीमो लोग बर्फ के मैदानों में रहते हैं, रेनडियर (बारहसिंघे जैसा दिखने वाला एक प्रकार का हिरण) पालते हैं तथा बर्फ से बने घरों में रहते हैं जिन्हें इग्लू कहा जाता है। यह भी पढ़ा था कि बर्फ से बने इन इग्लू के बाहर तो इतनी ठंडक रहती है कि पानी जम कर बर्फ बन जाता है किन्तु घरों के अन्दर का भाग अच्छा खासा गर्म रहता है, जिसके कारण एस्कीमो वहां अपने कपड़े तक उतार देते हैं। उस समय हम सोचते थे कि काश हम भी इस प्रकार के बर्फ के घरों में रह पाते।
तो अब यह कामना काफी हद तक पूरी की जा सकती है, क्योंकि अब योरप तथा अमरीका के अनेक भागों में ऐसे होटल बन गए हैं जो केवल बर्फ के बने हैं। उन होटलों में बर्फ की दीवारें, बर्फ की छतें, बर्फ के खंभे और बर्फ के फर्श तो हैं ही, साथ ही बर्फ के बिस्तर (जिन पर फोम के गद्दे हैं), बर्फ के सिनेमा घर, बर्फ के चर्च और यहां तक कि कुर्सियां, मे$ज, कप, प्लेट, मदिरा पान के गिलास और बर्तन तक बर्फ के बने हैं। ओढऩे के लिए वहां रेनडियर की खाल तथा विशेष रूप से तैयार किए गए खोल का उपयोग किया जाता है। जहां तक मदिरा का सवाल है तो अत्यधिक ठंडक के कारण यहां पर बीयर जम कर ठोस हो जाती है, इसीलिए वोडका या वोडका आधारित पेय उपयोग में लाए जाते हैं। कुछ पर्यटक यहां केवल शीत कालीन विवाह के प्रयोजन से आते हैं, जिसके लिए बर्फ के बने चर्च उपयोग में लाए जाते हैं।
आश्चर्य की बात तो यह है कि बर्फ तथा हिम (स्नो) से बनाए गए ये होटल केवल सर्दियों में बनते हैं तथा तीन चार महीनों तक उपयोग के बाद उन्हें तोड़ कर दुबारा पानी के रूप में नदियों में बहा दिया जाता है। अगली सर्दियों में नई ताजी बर्फ से एक बार फिर से बिलकुल नए सिरे से एक नया होटल तैयार किया जाता है, नई डिजाइन, नई वास्तुकला, नए आकार तथा नई सुविधाओं के साथ।
बर्फ से बना सबसे पहला होटल 1990 में उत्तरी स्वीडन के किरुना नगर के यूकसयार्वी नामक स्थान पर बनाया गया था। यह स्थान उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित आकर्टिक वृत्त से भी 200 किलोमीटर उत्तर में स्थित है, जहां भयंकर शीत लहर का प्रकोप होता है। यह काफी खूबसूरत जगह है, जो अपने घने ध्रुवीय जंगलों, जमी हुई झीलों तथा उत्तर ध्रुवीय क्षेत्रों में दिखाई देने वाले रहस्यमयी -उत्तरी प्रकाश- के लिए प्रसिद्घ है। यहां पर परिवहन के लिए कुत्तों द्वारा खींची जाने वाली स्लेज गाडियां अथवा स्नो मोबाइल वाहन ही उपयोग में आते हैं तथा यहां अधिकतर पर्यटक गर्मियों में ध्रुवीय क्षेत्रों के पर्यटन का आनन्द लेने के लिए आते थे। किन्तु सर्दियों के आते-आते यह क्षेत्र कड़ाके की ठंड तथा घनघोर अंधेरे से जूझने लगता था तथा वहां बहने वाली टार्ने नदी जम कर ठोस बन जाती थी।
उत्तर ध्रुवीय क्षेत्रों में गर्मियों में पर्यटन के उद्देश्य से भ्रमण सेवाएं चलाने वाली कम्पनी 'यूकस' (जिसका नाम अब 'आइस होटल' हो गया है) को तब यह विचार आया कि इस शीत रूपी प्रकोप का कुछ लाभ उठाया जाए तथा पर्यटकों के लिए आकर्षण की सामग्री बनाई जाए। परीक्षण के तौर पर उस कम्पनी ने जमी हुई टार्ने नदी पर 60 वर्ग मीटर का इग्लू घर बनवाया तथा उसमें फ्रेंच कलाकार की कला प्रदर्शनी लगाई। यह प्रयास काफी लोकप्रिय रहा। उसके बाद कुछ उत्साही युवकों ने उस इग्लू घर में रात बिताने की योजना बनाई। वे रेनडियर की खाल तथा स्लीपिंग बैग लेकर इग्लू में सफलतापूर्वक रात बिताकर सुबह वापस आ गए। और वहीं से बर्फ के होटल की नींव पड़ी।
वर्ष 1990 में जन्मे 60 वर्ग मीटर वाले उस 'आइस होटल' का आकार अब बढ़ कर 5000 वर्ग मीटर हो गया है, उसमें अब 60 कमरे हैं, 25 सुइट्स हैं, बर्फ का बना सिनेमा हाल, बार, बर्फ की कला दीर्घा तथा इस प्रकार के अन्य कई आकर्षण हैं। होटल का एक कमरा तो ऐसा है जहां ठहरने पर 'उत्तर ध्रुवीय प्रकाश' भी देखा जा सकता है। इसके लिए कमरे की छत में एक खिड़की बनाई गई है, जिससे आकाश का दृश्य दिखता है। (वैसे होटल से बाहर निकलने पर 'उत्तर ध्रुवीय प्रकाश' स्वत: ही दिख जाता है।)
इस होटल में प्रतिदिन 14,000 पर्यटक रात्रि में तथा 37,000 दिन में ठहरते हैं। होटल के अन्दर का तापमान लगभग शून्य से चार से नौ डिग्री सेल्सियस कम बना रहता है, जबकि बाहर का तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे या उससे भी कम रहता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस बर्फीले होटल में रेफ्रीजरेटर भी उपलब्ध हैं, किन्तु उनका काम ची$जों को ठंडा रखना नहीं, बल्कि गर्म रखना है, क्योंकि वस्तुओं को ठंडा करने के लिए उन्हें बाहर रख देना ही पर्याप्त होता है। इन होटलों के कमरों में प्रकाश के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल अथवा मोमबत्तियों की व्यवस्था की जाती है, क्योंकि यहां विद्युत की सप्लाई नहीं होती है।
बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ से होटल बनाना सुनने में सरल लगता हो किन्तु यह वास्तव में अत्यंत पेचीदा, खर्चीला एवं इंजीनियरिंग तकनीक से भरपूर कार्य है। निर्माण कार्य प्रति वर्ष अक्टूबर माह में आरम्भ होता है तथा दिसम्बर तक होटल तैयार हो जाता है। निर्माण के उपयोग में आने वाली बर्फ टार्ने नदी से निकाली गई कठोर बर्फ होती है, जिसे आरी से काट- काट कर उनकी लगभग दो- दो टन की बड़ी- बड़ी सिल्लियां तैयार की जाती हैं। (यह कार्य तो मार्च में ही आरंभ हो जाता है तथा सिल्लियों को शीत गृहों में रखा जाता है)। नदी के शुद्घ प्रवाहित जल के उपयोग के कारण ये बर्फ की सिल्लियां साफ व पारदर्शी होती हैं। फिर इन सिल्लियों को निर्माण स्थल तक पहुंचाया जाता है, जहां इनसे होटल की दीवारें, छत आदि बनाई जाती हैं। कठोर बर्फ के अतिरिक्त निर्माण के लिए नदी से निकाले गए बर्फ के चूरे का भी उपयोग किया जाता है, जिसे कुशल इंजीनियरों द्वारा सांचों में भर कर (अथवा तोपनुमा शक्तिशाली मशीनों द्वारा तीव्र गति से हिम के बर्फीले कणों की बौछार कर के) वांछित आकार प्रदान किया जाता है, जिससे छत का भार सहन करने वाले खम्भे तथा होटल के अन्य आवश्यक ढाचों का निर्माण किया जाता है। पूरे होटल को बनाने में लगभग 30,000 टन हिम तथा 4000 टन बर्फ लग जाती है। यह सारी बर्फ जमी हुई टार्ने नदी से उधार के तौर पर लाई जाती है तथा गर्मियां आने पर टार्ने नदी को सधन्यवाद वापस कर दी जाती है।
यह जान कर आश्चर्य होता है कि इतनी सारी बर्फ के बीच खड़ा हुआ होटल अन्दर से गर्म कैसे रह पाता है। इसका कारण यह है कि बर्फ वास्तव में ताप का कुचालक है, अर्थात न तो यह कमरों के अन्दर की गर्मी को बाहर जाने देता है और ना ही बाहर की ठंडक को अन्दर आने देता है। इसी कारण बाहर की कड़क ठंड के बावजूद इन होटलों के यात्रियों के लिए कमरे के अन्दर आरामदायी तापमान बना रहता है।
स्वीडन के 'आइस होटल' की तर्ज पर अब कई देशों में बर्फ के होटल खुल चुके हैं तथा खुलते जा रहे हैं। जैसे बर्फीले देश ग्रीनलैण्ड में होटल इग्लू तथा होटल आकर्टिक बने हैं। नॉर्वे का बर्फ का होटल 'आइस लॉज' समुद्र सतह से 1250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इसलिए वह गर्मियों में भी कई महीनों तक बना रहता है। फिनलैण्ड का आल्ता इग्लू होटल भी स्वीडन के 'आइस होटल' की तरह ही अति विकसित होटल है तथा उसमें भी तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। रोमानिया का बर्फ का होटल वहां की बैलिया नामक झील पर बना है, जो समुद्र सतह से 2034 मीटर की ऊंचाई पर फैगारास पर्वत पर स्थित है। इसे वर्ष 2006 में बनाया गया था।
कनाडा में वर्ष 2000 में क्यूबेक नगर के पास पहला बर्फ का होटल बनाया गया था जो दिसम्बर से अप्रैल तक रहता है। इसमें बर्फ के बने 85 बिस्तर हैं, जिन पर हिरन के फर के अस्तर लगे हैं। इस होटल के निर्माण में 4750 टन बर्फ का उपयोग होता है। इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमरीका ने वर्ष 2004 में अलास्का राज्य में ऑरारा आइस होटल नामक बर्फ का होटल बनाया। सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि इस होटल को एक वर्ष तक खोले जाने की अनुमति इसलिए नहीं दी गई थी क्योंकि उसमें आग लग जाने की अवस्था में उसे बुझाने के समुचित प्रबंध उपलब्ध नहीं थे। प्रश्न यह उठाया जा रहा था कि क्या बर्फ के बने उस होटल में आग लग सकती थी। किन्तु नियम तो नियम ही होते हैं। इसलिए अग्नि शमन के प्रबंध के बाद वर्ष 2005 में वह होटल खुल पाया।
बर्फ के होटलों की तरह ही कुछ देशों में बर्फ के किले (या महल) भी बनाए जाते हैं, जो सर्दियों में बनते हैं तथा गर्मियों में समाप्त हो जाते हैं। बर्फ का प्रथम ज्ञात किला लगभग पौने दो सौ वर्ष पूर्व रूस के सेंट पीटर्सबर्ग नगर में वहां की तत्कालीन महारानी अन्ना द्वारा बनवाया गया था। वर्ष 2005 से प्रति वर्ष उस स्थान पर बर्फ के किले की अनुकृति बनाई जाती है। इसी प्रकार अन्य कई देशों में बर्फ के किले पर्यटक आकर्षण, मनोरजन या खेलकूद के उद्देश्य से या अन्य कारणों से बनाए जाते हैं। बर्फ के होटल लोकप्रिय होते जा रहे हैं तथा महंगे होने के बावजूद इनमें रहने वाले पर्यटकों की संख्या वर्ष प्रति वर्ष बढ़ती ही जाती है। (स्रोत फीचर्स)

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