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Apr 16, 2014

याददाश्त सुधारने वाला पोषक तत्त्व

याददाश्त सुधारने
वाला पोषक तत्त्व

हालाँकि अभी ये प्रयोग ड्रॉसोफिला नामक मक्खी पर हुए हैं मगर वैज्ञानिकों को लगता है कि इनके परिणाम मनुष्यों में याददाश्त की रक्षा करने में मददगार होंगे। यह बात शायद कम ही लोग जानते होंगे कि हमारी तरह ड्रॉसोफिला भी उम्र के साथ स्मृति-भ्रंश का शिकार होती है। ड्रॉसोफिला वह सूक्ष्म मक्खी है जो सड़ते हुए फल-सब्जि़यों पर मंडराती रहती है।
ड्रॉसोफिला पर किए गए इन प्रयोगों का ब्यौरा नेचर न्यूरोसाइंस के ताज़ा अंक में दिया गया है। ये प्रयोग बर्लिन मुक्त विश्वविद्यालय के स्टीफन सिग्रिस्ट ने किए हैं। प्रयोगों के दौरान पाया गया कि पोलीअमीन्स समूह के कुछ रसायन ड्रॉसोफिला को उम्रजनित स्मृति-भ्रंश से बचाने में कारगर हैं। इससे पहले भी वैज्ञानिक यह दर्शा चुके हैं कि ड्रॉसोफिला अथवा कुछ कृमियों को पोलीअमीन्स की खुराक मिले तो उनकी आयु बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि हमारी कोशिकाएँ अपने मलबे को साफ करने के लिए ऑटोफेजी नामक क्रिया का सहारा लेती हैं। उम्र के साथ यह क्रिया धीमी पड़ने लगती है। इसकी वजह से मलबा इकट्ठा होता रहता है और कई दिक्कतें पैदा होती हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि पोलीअमीन्स ऑटोफेजी को बढ़ावा देते हैं।
पोलीअमीन्स की भूमिका को समझने के लिए सिग्रिस्ट और उनके साथियों ने पहले तो कुछ ड्रॉसोफिला मक्खियों को प्रशिक्षण दिया कि वे एक खास गंध का सम्बन्ध बिजली के झटके से जोड़ लें। देखा गया कि युवा मक्खियाँ इस बात को जल्दी सीख लेती हैं और देर तक याद रखती हैं। इसके विपरीत बूढ़ी मक्खियाँ धीमी गति से सीखती हैं और जल्दी ही भूल भी जाती हैं। प्रयोग के अलग चरण में बूढ़ी मक्खियों को पोलीअमीन्स की अच्छी खुराक पर रखा गया। इसके बाद देखा गया कि उनमें और युवा मक्खियों के सीखने व याद रखने में कोई अंतर न रहा। इस प्रयोग के परिणामों की पुष्टि के लिए इसे कई बार किया गया और अलग-अलग शोधकर्ताओं से करवाया गया। वैज्ञानिकों ने इसी प्रयोग के एक संस्करण में कुछ बूढ़ी मक्खियों को पोलीअमीन्स खिलाने की बजाय उनके शरीर में ऐसे एंज़ाइम्स को सक्रिय किया जो पोलीअमीन्स का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। इस प्रयोग में वही देखने को मिला- इन बूढ़ी मक्खियों की याददाश्त पहले से काफी बेहतर रही। वैसे कई वैज्ञानिक पहले से कहते आए हैं कि पोलीअमीन्स स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। गेहूँ के अंकुर वाले हिस्से में या अंकुरित सोयाबीन में इनकी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है और कई वैज्ञानिक ऐसे खाद्य पदार्थों की अनुशंसा करते आए हैं। अब सिग्रिस्ट पोलीअमीन्स का असर इंसानों में देखने को उत्सुक हैं। शायद जल्दी ही हमारे सामने एक और उत्पाद होगा जो याददाश्त बढ़ाने का वायदा करेगा और हर बच्चे की ज़रूरत बन कर विज्ञापनों में छा जाएगा।

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