उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Apr 27, 2009

इस अंक के रचनाकार

अनुपम मिश्र
पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र का सीएसई की स्थापना में बहुत योगदान रहा है साथ ही नर्मदा पर सबसे पहली आवाज उन्होंने ही उठायी थी। 1948 में अनुपम मिश्र का जन्म वर्धा में हुआ था। उनके पिता हिन्दी के महान कवि भवानी प्रसाद मिश्र हैं। वे 1969 में जब गांधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़े तो एम.ए. कर चुके थे। उन्होंने पानी के मुद्दे पर बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन किये हैं। भारत और भारतीयता की गहरी समझ रखने वाले अनुपम मिश्र ने छोटी-बड़ी 17 पुस्तके लिखी हैं जिनमें अधिकांश अब उपलब्ध नहीं है। वे लोकजीवन और लोकज्ञान के साधक हैं। लेकिन उनकी खास बात यह है कि अपना परिचय देने के बजाएं अपनी किताब 'आज भी खरे हैं तालाबÓ के बारे में लिखा जाना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि वे चाहते हैं कि लोग पानी, पर्यावरण व भारत और भारतीयता के बारे में अपनी धारणा शुद्ध करे। उनकी किताब पर लिखा है कि इस पुस्तक पर कोई कॉपीराईट नहीं है, इस किताब में छिपी ज्ञानगंगा का अपनी सुविधानुसार जैसा चाहे वैसा प्रवाह निर्मित कर सकते हैं, यह जिस रास्ते गुजरेगी कल्याण करेगी। उनका पता है- संपादक, गांधी मार्ग, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीनदयाल उपाध्याय रोड, (आईटीओ), नई दिल्ली- 110002 फोन- 011 23237491, 23236734
कुमुदिनी खिचरिया
रायपुर छत्तीसगढ़ में जन्मी तथा एम. एस. सी., एफ. फिल फिजिक्स में शिक्षा प्राप्त कुमुदिनी दो युवा बच्चो की मां हैं। वे छत्तीसगढ़ की प्रथम ऐसी उद्यमी महिला हैं जिन्होंने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में सफलता पूर्वक अपने कदम बढ़ाए हैं। दुर्ग कातुलबोड में अपना पहला व्यवसायिक प्रतिष्ठान हर्षिल हाइट बनाकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और सच्ची लगन हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। हर्षिल हाइट के सर्व- सुविधा संपन्न फ्लैट्स का निमार्ण उन्होंने इस तरह किया है मानो वे स्वयं अपने रहने के लिए घर बना रही हों। उनका पता है- प्रोपराइटर, हर्षिल बिल्डर्स, नरसिंग विहार, कातुलबोड दुर्ग (छ. ग.) मो. 9827486967
अशोक सिंघई
25 अगस्त 1951 को नवापारा राजिम में जन्म। एम.एस.सी. एम.ए.(हिन्दी), बी.एड। धीरे धीरे बहती है नदी, शब्दश: शब्द, अनंत का अंत, अलविदा बीसवीं सदी, सम्हाल कर रखना अपनी आकाशगंगा, सुन रही हो ना, कविता संग्रह। दो दशक से म.प्र. प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई इकाई के सदस्य, म.प्र. साहित्य परिषद भिलाई पाठक मंच का विगत 11 वर्षों से संयोजन, 15 वर्षों से लिट्रेरी क्लब, भिलाई इस्पात संयंत्र के अध्यक्ष। संप्रति- सन् 1984 से 2006 तक भिलाई इस्पात संयंत्र में जनसंपर्क अधिकारी एवं संयंत्र के समस्त प्रकाशनों का संपादन। जनवरी 2007 से भिलाई इस्पात संयंत्र के राजभाषा प्रमुख। उनका पता है- 7 बी, सड़क 20, सेक्टर 5, भिलाई नगर (छ.ग.)  मो. 09907182061
Email:ashoksinghai101@sail-bhilaisteel.com
अश्विनी केशरवानी
शिवरीनारायण के मालगुजार परिवार में जन्में अश्विनी केशरवानी ने एमएससी (प्राणी शास्त्र) में पढ़ाई के दौरान ही लेखन का मार्ग चुन लिया था। देश भर के पत्र-पत्रिकाओं में छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, पुरातात्विक और साहित्यिक विषयों पर लिखे उनके लेखों का प्रकाशन होता रहा है। वर्तमान में वे चांपा महाविद्यालय में प्राणिशास्त्र के प्राध्यापक हैं। उनका पता है- राघव, डागा कालोनी, चांपा- 495671(छ.ग.) मो. 9425223212
Email:ashwinikesharwani@gmail.com
.........................
     

1 comment:

मुन्ना कुमार पाण्डेय said...

बेहतरीन पत्रिका ..बढ़िया लेख और आँखों को बरबस ही ठिठकने पर मजबूर करने वाला वाल ..बहुत ही बढ़िया