-अख़्तर अली
यहाँ
शब्दों की धुलाई और रंगाई की जाती है। आड़े तिरछे शब्दों को सीधा किया जाता है। शब्दों
में धार लगाईं जाती है। पीतल के शब्दों में सोने का पानी चढ़ाने का यह एकमात्र
स्थान है। यहाँ शब्दों में जमा कार्बन साफ़ किया जाता है। यहाँ शब्दों की नाक छेदी
जाती है, शब्दों के पैरों में घुँघरू बाँधे जाते हैं। शब्दों की कूलिंग कम हो
गई है तो यहाँ उसमें गैस भरी जाती है। यहाँ शब्दों में ऑयल डाला जाता है, शब्दों की सर्विसिंग की जाती है, शब्दों को
थ्रू किया जाता है, शब्दों की तुरपाई, रफ़ू होती है। शब्दों की ड्रायक्लीन और इस्तरी करने का यह एक मात्र स्थान है।
पुराने
शब्द लाइए नये शब्द ले जाइए। हमारे यहाँ शब्दों में कलफ़ चढ़ाया जाता है। अब पाइए एक
किलो शब्द लेने पर बीस प्रतिशत अतिरिक्त शब्द। काँच जैसे शब्द, रुई जैसे शब्द, गुलकंद जैसे शब्द, बारूद जैसे शब्द, कारतूस जैसे शब्द।
ज़बानी
जंग में घायल शब्दों की यहाँ मरहम पट्टी की जाती है,
उनकी सोनोग्राफ़ी और एक्सरे रिपोर्ट निकाली जाती है। शब्दों के घुटने बदले जाते है, शब्दों के सीने में जमा कफ़ सिकाई पद्धति से निकाला जाता है, शब्दों की किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है।
बिन
शब्द सब सून। शब्दों से समझौता मत करिये। जब इंसान नहीं रहेगा तब वह शब्दों में ही
बचा रहेगा। आपके पास सौ पचास शब्द हमेशा ज़हन में रहना चाहिए। शब्द किसी भी भाषा के
हों अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम होते है।
शब्दों
से फूलों की बारिश भी की जा सकती है और शब्दों के पथराव से किसी को लहूलुहान कर देना भी मुमकिन है। ज़बान के गमले में शब्दों के फूल उगाइए या विचार
की गुलेल में रख कर शब्द चलाइए।
क्या
कहा, उपन्यास लिखने के बाद कुछ शब्द बच गये हैं ,
अब पड़े- पड़े उनका दम घुट रहा है ? यहाँ ले आइए उन शब्दों में आक्सीजन भर कर उन्हें
तरोताज़ा कर देंगे, इतना महीन और पारदर्शी कर देंगे कि
लगेगा ही नहीं कि यह उपन्यास का शब्द है, हर कोई यही कहेगा
यह कविता से निकल कर आया हुआ शब्द है।
क्या
कहा, आपको पटकथा लिखना है और आपके पास कहानी के शब्द है ? नहीं- नहीं
श्रीमान ऐसा अनर्थ नहीं करना। कहानी के शब्द पटकथा के लिये किसी काम के नहीं। हर
माध्यम के अपने शब्द अपनी भाषा होती है। आप एक काम कीजिए कहानी वाले शब्द लेकर आ
जाइए और यहाँ से पटकथा के उपयुक्त शब्द ले जाइए। कहानी के शब्द हम कही और खपा देंगे।
अगर
आप रचनाकार हैं, गीत, कविता, लघुकथा, निबंध,
कहानी, नाटक, उपन्यास, संस्मरण, यात्रा वर्णन, आत्मकथा, समाचार लेखन करते हैं तो आपको यहाँ
आना ही चाहिए। यहाँ न सिर्फ़ शब्दों की विशाल रेंज मिलेगी बल्कि इस्तेमाल की आधुनिक
तकनीक भी मालूम पड़ेगी।
अरे- अरे
जनाब उसे हाथ मत लगाइए, वह आपके काम के शब्द नहीं
है। आपकी पसंद इधर रखी है। मैं ग्राहक का चेहरा देख कर ताड़ जाता हूँ कि उसकी ज़रूरत
क्या है। आपको लिखना है प्रेम पत्र और उस पैकेट में है विरह गीत के शब्द। विरह के
शब्दों से मिलन का संदेश लिखोगे तो प्यार परवान चढ़ने के पहले ही खत्म हो जायेगा।
कुदरत
ने हमें बहुत सी नैमते दी हैं उनमें एक नैमत शब्द है। यह शब्द साधक का गोदाम है
यहाँ हर भाव के हर तेवर के शब्द मिल जाएँगे, पैसों की
कोई बात नहीं, आप तो शब्द ले जाइए पैसे कहाँ जाएँगे ?
बस
इतना ध्यान रखना यह शब्द बहुत साधना के बाद प्राप्त हुए हैं। इसमें एक ख़ास बात है, अगर इन शब्दों से झूठ, अश्लील, भ्रामक और देशद्रोह की बातें लिखोगे तो यह शब्द अपना प्रभाव तुरंत खो
देगे, पाठकों पर इन शब्दों का कोई असर नहीं होगा, संपादक की खेद की टिप्पणी के साथ रचना लौट आयेगी।
मैं
समझ गया आप सोच रहे है मैं तो ऐसी बात कर रहा हूँ मानो शब्दों का बहुत बड़ा जानकार
हूँ, भाषा का पंडित हूँ। बिलकुल ठीक सोच रहे हैं आप। मेरे पास शब्दों का
कोई वर्कशाप नहीं है, लेकिन मेरे को विश्वास है कि ऐसा एक
वर्कशाप आपके अंदर मौजूद है, मैं उसी बंद पड़े वर्कशाप को
एक्टिव करना चाहता था, लगता है मेरा काम हो गया।
अब
शब्दों से समझौता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहाँ जिस शब्द की ज़रूरत है वहाँ वही शब्द रखिए,
उपयुक्त शब्द को तलाशिए। बहुत समृद्ध होती है भाषाएँ इसमें शब्दों की कमी नहीं
होती। रचना में एक शब्द बैठा दिया गया तो फिर वह अनंतकाल तक वहीं उसी रूप और रंग
में मौजूद रहेगा। कई पीढ़ी पढ़कर जाती रहेंगी पर शब्द अपने स्थान पर डटा रहेगा, क्योंकि शब्द कभी मरते नहीं।
सम्पर्कः निकट मेडी हेल्थ हास्पिटल, आमानाका, रायपुर
(छत्तीसगढ़), मो.न. 9826126781
1 comment:
वाह,बेहतरीन,सच हर शब्द की अपनी ही जगह होती है।बधाई।
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