वर्तमान समय में तनाव हम सबके जीवन में घुसपैठ किए हुए है। यह किसी
उम्र विशेष की समस्या नहीं है। हर उम्र में तनाव देखा जाता है। चाहे वह बच्चे हो
या बड़े। हर व्यक्ति को हर समय किसी न किसी प्रकार का तनाव या चिंता रहती है। तनाव
एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, पर तब तक, जब तक यह कुछ हद तक हो। जब तक यह हमारे कार्य में सहायक हो, जिसे हम सावधानी रखना या पूर्व नियोजन कह सकते हैं। लेकिन
जब यही तनाव बढ़ने लगता है, तो यह
धीरे-धीरे अवसाद का रूप ले लेता है, तब यह एक गंभीर समस्या के रूप में उभरकर सामने आता है। तनाव
यदि हद से अधिक बढ़ जाए, तो किसी
व्यक्ति के लिए उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। अत: तनाव की पहचान करना
और समय रहते उस पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है।
एक बड़ी समस्या यह है कि
तनाव बढ़ रहा है इसकी पहचान कैसे की जाए? कैसे पता चले कि तनाव सामान्य से अधिक हो रहा है? जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसके कुछ शारारिक बदलाव दिखाई
देते हैं। आइए समझते हैं यह बदलाव कैसे होते हैं-
सिरदर्द होना- तनाव का सबसे पहला लक्षण है, बार-बार सिरदर्द होना। किसी बात को बार-बार, लगातार सोचते रहने से सिरदर्द होने लगता है अगर बार-बार सिरदर्द होता है, तो यह समझना चाहिए कि यह तनाव का कारण हो सकता है।
दाँत और जबड़े में दर्द- तनावग्रस्त
व्यक्ति अक्सर अपने जबड़ों में जकडऩ महसूस करता है। साथ ही दाँत में दर्द की
समस्या होने लगती है। तनावग्रस्त व्यक्ति बार- बार दाँत पीसता रहता है जिससे उसके
दाँतों में दर्द होने लगता है।
पाचन संबंधी समस्याएँ- तनाव में व्यक्ति का पाचन प्रभावित होता है जिससे कब्ज़, पेट फूलना, पेट
दर्द,
सीने में जलन जैसी समस्याएँ होती है। यदि बार- बार इस तरह की
समस्या हो, तो उसे नजरअंदाज करना
खतरनाक हो सकता है।
शरीर में अकडऩ या कमजोरी- तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर थकान महसूस करता है। उसे शरीर
में कंपकंपाहट, ऐंठन, गर्दन एवं पीठ में दर्द महसूस होता है। अत्यधिक तनाव में
व्यक्ति को चक्कर आना या बेहोशी भी हो सकती है।
नींद ना आना या अधिक नींद
आना- नींद न आना तनावग्रस्त की
निशानी है। तनावग्रस्त व्यक्ति हर समय चिंता करता है जिससे उसे नींद नहीं आती; किन्तु अगर व्यक्ति अधिक सोता है, तो यह भी तनाव का लक्षण हो सकता है। कभी- कभी व्यक्ति आँख
बंद करके सोने का नाटक करता है, जबकि
वह किसी विषय पर चिंता कर रहा होता है। किसी काम में मन न लगने पर व्यक्ति सोने का
प्रयास करने लगता है।
धड़कन तेज होना- तनावग्रस्त व्यक्ति की धड़कन अचानक तेज हो जाती है। साँस
फूलने लगती है। साँस तेज चलने लगती है। अत्यधिक चिंता के कारण या उदासी महसूस होने
कारण ऐसा होता है।
उदास होना- बिना किसी कारण के उदास रहना तनाव के निशानी है। यदि बिना
किसी उचित कारण के उदासी महसूस हो तो यह एक समस्या है।
वजन कम होना या तेजी से बढऩा- वजन में अचानक बदलाव तनाव की निशानी हो सकती है। तनाव में व्यक्ति भोजन ठीक से नहीं करता जिससे वजन कम हो जाता है या तनाव में व्यक्ति बहुत ज्यादा भोजन ग्रहण करने लगता है जिससे उसका वजन तेजी से बढऩे लगता है।
यदि किसी व्यक्ति में
उपर्युक्त लक्षण या इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दें, तो सावधान हो जाना आवश्यक है। ऐसे लक्षणों को पहचानकर समय
पर उनका उपचार किया जाना आवश्यक है।
तनाव से कैसे बचें- आइए देखते हैं कि तनाव से बचने के लिए क्या किया जाना
चाहिए।
सकारात्मक रहें- अपनी सोच को
सकारात्मक रखें। सोच को सकारात्मक रखना आवश्यक है, सकारात्मक सोच से हम बड़ी से बड़ी समस्या हल कर सकते हैं।
अपनी कमजोरियों को सकारात्मकता से स्वीकार करना और उन्हें सुधार कर बेहतर बनाना
चाहिए। सकारात्मकता आपमें नई ऊर्जा का संचार करती है।
सही जीवन शैली का चुनाव- नियमित दिनचर्या अपनाएँ। नियमित समय पर सोना- उठना एवं
भोजन का समय नियमित होना चाहिए। प्रतिदिन अपने कार्यों की योजना बनाकर योजना के अनुसार
अपने कार्य करना चाहिए।
मित्रों एवं संबंधियों के
साथ रहें- अपनों के साथ रहने से हमारी खुशी दुगनी हो जाती
है और दु:ख -तनाव आधे हो जाते हैं; अत: जितना अधिक हो सके अपने संबंधियों और मित्रों के साथ
रहें। उनसे बातचीत करें। फोन पर बात करें। किसी प्रकार का तनाव होने पर अपनों को
बताएँ। अपनों के साथ रहने से आप अकेलापन महसूस नहीं करेंगे।
व्यायाम एवं योग करें- संपूर्ण विश्व ने योग के महत्त्व को स्वीकार किया है। अत:
अपनी दिनचर्या में योग एवं व्यायाम को शामिल करें। इससे तनाव मुक्त होने में मदद
मिलती है। शरीर के अंग अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं। व्यायाम एवं योग से रक्त
का संचार बढ़ता है एवं मांसपेशियों को आराम मिलता है। व्यायाम एवं योग से अच्छी
नींद आती है।
पौष्टिक आहार एवं गहरी
नींद लें- स्वस्थ तन- मन के लिए संतुलित
एवं पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है। कहा भी गया है – ‘जैसा खाया अन्न, वैसा बना तन’। तनाव की अवस्था में पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। ऐसे में संतुलित आहार
लेने से पाचन क्रिया सुचारू हो जाएगी। साथ ही गहरी नींद लेना भी आवश्यक है। हर
व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन और
तनाव बढ़ जाता है।
अपने शौक एवं पसन्द के
कार्य करें- हमारे शौक हमारे अंदर
सकारात्मक एवं प्रसन्नता लाते हैं। ये कभी हमें अकेला नहीं रहने देते। अपने शौक को
पहचानें जैसे- संगीत सुनना, पेंटिंग
करना,
बागवानी, खेलकूद, गायन-नृत्य आदि को बढ़ावा दें। उन्हें जाग्रत करें। ऐसा
करने से आप व्यस्त रहेंगे एवं आपको मानसिक खुशी मिलेगी। आप शिक्षाप्रद और प्रेरक
किताबें भी पढ़ सकते हैं।
डॉक्टरी सलाह लें एवं दवा
लें- उक्त कार्यों को करते हुए
भी यदि आपको लगता है कि आप तनाव का शिकार हो रहे हैं तो इसे नजरअंदाज ना करें अपने
परिवार को बताएँ किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयाँ का
नियमित सेवन करें। अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें। सही समय पर उचित सलाह लें।
हमारा दुर्भाग्य है कि
हमारे समाज में मानसिक तनाव को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अकसर ऐसी समस्याओं को
मजाक में लिया जाता है। कभी-कभी इन्हें पागलपन का नाम दे दिया जाता है। ऐसे में
तनावग्रस्त व्यक्ति अपनी समस्याओं को किसी को नहीं बताता। जिससे इनका इलाज नहीं हो
पाता। जरूरी है कि हम स्वयं तनाव की अवस्था को पहचानें। हम अपने परिवार के सदस्यों
एवं मित्रों में यह पहचान करें कि कहीं कोई तनावग्रस्त तो नहीं है। उन्हें सही
सलाह दें। तनावग्रस्त व्यक्ति को अकेला ना छोड़ें। उन्हें उचित सलाह उपलब्ध करवाएँ
जिससे वे मानसिक तनाव से बच सकते हैं।
सम्पर्कः अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन- भाटापारा , ग्राम - रवान (Rawan), जिला- बलौदा बाजार (Baloda Bazar), राज्य- छत्तीसगढ़ , पिन- 493331 , मोबाइल – 09826812299, E mail – Manjusha.mann9@gmail.com
1 comment:
आज की भागदौड़ में हर दूसरा -तीसरा किसी न किसी कारण से तनावपूर्ण जीवन जी रहा है ऐसे में उपयोगी जानकारियाँ देता बहुत सुंदर आलेख। हार्दिक बधाई
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