जब दोस्त पुराना मिलता है
-अख़्तर अली
पुराने दोस्त से मिलना सिर्फ दोस्त से मिलना नहीं होता है। यह उन
लम्हों से मिलना होता है जो बीत गए है, यह उन दृश्यों में विचरण करना होता है जो बदल गए है,
यह उन बुजुर्गो से बतियाना होता है जो गुजऱ गए है।
बरसो का बिछड़ा
दोस्त जब पीछे से आवाज़ देता है तब वह शब्द कानो में रस घोल देता है,
वह शब्द ऐसी झंकार पैदा करता है कि पूरा व्यक्तित्व झूमने
लगता है। फिर रे, तू , बे जैसे शब्द दुनिया की सबसे शालीन भाषा बन जाते है। उस
वक्त तो खुशियों की बारिश हो जाती है, जब वह उसी पुराने लहज़े में गाली देकर पूछता है–
ये बता इतने सालों से था कहाँ?
इस एक प्रश्न के
जवाब में पिछले बीस पच्चीस तीस वर्षो का लेखा जोखा शामिल होता है। दोस्त की गाली
सुन कर पहली बार अहसास होता है कि गाली इतनी मीठी, इतनी पौष्टिक, इतनी रूमानी, इतनी रसीली, इतनी नशीली, इतनी चुम्बकीय होती है। दोस्ती के बही खाते में सिर्फ आय ही
होती है,
व्यय का इसमें कोई काँलम नहीं होता। दुनिया जिसे हानि मानती
है, दोस्ती में वही शुद्ध लाभ कहलाता है।
रोज़ी रोटी दोस्त
को दोस्त से दूर कर देती है, वरना दो दोस्त के बीच एक ज़माना ऐसा भी गुजऱा होता है, जब लोग एक दोस्त के हाल चाल की जानकारी
दूसरे दोस्त से लिया करते थे।
हर उस्ताद अपने
दोस्त का शागिर्द होता है। बिछड़े दोस्त से मिलते ही मदरसे का भूला सबक याद आ जाता
है। दोस्त जब गले में हाथ डालकर पूछता है– कैसा है? तब जीवन सार्थक हो जाता है, बढ़ती उम्र घट जाती है, जून दिसंबर लगने लगता है। जब दोस्त पुराना मिल जाता है, तब जि़ंदगी के चौराहे पर खड़ी साँसों की
गाड़ी को उमंग का ग्रीन सिंग्नल मिल जाता है। जब दोस्त की कमर में हाथ डालकर
पथरीली ज़मीन पर भी चलो, तो नर्म कालीन पर चलने का अहसास होता है।
जीवन के प्रात:काल
वाले मित्र के साथ जब जीवन के संध्याकाल में घूमते हुए शहर के बाहर किसी छोटी सी
बस्ती में किसी टपरीनुमा होटल में फूटे कप में चाय पियो, तब जो आनंद मिलता है वह कश्मीर,
शिमला, मसूरी और नैनीताल की वादियों में भी नसीब नहीं हो सकता।
वहाँ चुप बैठे जब दो दोस्त एक दूसरे को देख रहे होते है तब होठ तो चुप रहते है
लेकिन आँखों ही आँखों में सवाल जवाब, शिकवे शिकायत की तकऱीर जारी रहती है।
मित्रता का जो
रसायनशास्त्र है,
उसके भूगोल ने जो इतिहास रचे है, उससे गणित के सभी सूत्र विफल हो गए हैं। ढाई अक्षर से बने इस शब्द पर
वर्णमाला भी गर्व करती होगी। बोलने वालो की भीड़ में दोस्त ही एकमात्र ऐसा शख्स है, जो सुनता है। दोस्त एक रूहानी
रिश्ता है, इसका कोई बाहरी आवरण नहीं होता। दोस्त बनाने की
कोई रेसिपी है, न कोई मन्त्र है। किसी
कारखाने में दोस्ती का निर्माण नहीं किया जा सकता। इस ब्रह्माण्ड में किसी का किसी का दोस्त हो जाना, फूल खिलने,
चाँद चमकने और बारिश होने जैसी प्राकृतिक घटना है।
मै हर पल हर घड़ी ऊपर वाले से यही दुआ माँगता रहता हूँ कि या अल्लाह
इस दुनिया में हर शख्स को एक दोस्त ज़रूर देना। जिसका कोई दोस्त न हो किसी को भी
इतना दरिद्र इतना निर्धन नहीं रखना।
सम्पर्क: निकट मेडी हेल्थ हास्पिटल, आमानाका, रायपुर (छत्तीसगढ़) मो.न. 9826126781
3 comments:
सच लिखा आज के माहौल में वही धनी है जिसका सच्चा मित्र है।
सच लिखा आज के माहौल में वही धनी है जिसका सच्चा मित्र है।
जीवन में सच्चे मित्र का होना अत्यन्त आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है।यह अलग बात है कि आज के समय में सच्चा मित्र मिलना कठिन है ।
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