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Nov 20, 2009

इस अंक के लेखक

रूपसिंह चन्देल
12 मार्च, 1951 को कानपुर के गांव नौगवां (गौतम) में जन्म। कानपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी.। अब तक उनकी 38 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 6 उपन्यास  जिसमें से रमला बहू, पाथरटीला, नटसार और शहर गवाह है चर्चित रहे हैं। 10 कहानी संग्रह, 3 किशोर उपन्यास, 10 बाल कहानी संग्रह, 2 लघु-कहानी संग्रह, यात्रा संस्मरण, आलोचना, अपराध विज्ञान, 2 संपादित पुस्तकें सम्मिलित हैं। इनके अतिरिक्त बहुचर्चित पुस्तक दॉस्तोएव्स्की के प्रेम (जीवनी)  संवाद प्रकाशन, मेरठ से प्रकाशित हुई है। उन्होंने रूसी लेखक लियो तोल्स्तोय के अंतिम उपन्यास हाजी मुराद का हिन्दी में पहली बार अनुवाद किया है जो 2008 में संवाद प्रकाशन मेरठ से प्रकाशित हुआ है। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन, दो चिट्ठे- रचना समय और वातायन पता- बी-3/230,सादतपुर विस्तार, दिल्ली - 110094, मो. 09810830957
Email- roopchandel@gmail.com, roopschandel@gmail.com 
जीवन यदु
खैरागढ़ (छ.ग.) के निम्न वर्गीय परिवार में 1 फरवरी 1947 को जन्म। एमए (हिन्दी), पीएचडी तक शिक्षा, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से कथाकार डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ी कविता पर लोक संस्कृति का प्रभाव विषय पर शोध। झील की मुक्ति के लिए (कविता संग्रह), अनकहा है जो तुम्हारा (गीत संग्रह), लोक स्वप्न में लिलिहंसा (निबंध संग्रह), अइसनेच रात पहाड़ी (छत्तीसगढ़ी काव्य नाटिका), छत्तीसगढ़ी कविता - संदर्भ एवं मूल्य तथा साक्षरता संबंधी चार पुस्तकें प्रकाशित। 1967 से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गीतों एवं लोक जीवन से संबंधित विश्लेषणपरक लेखों का प्रकाशन। प्रलेस का इकाई सचिव। छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रांतीय साहित्य मंत्री। पता - गीतिका, दाऊचौरा खैरागढ़ 491881।
बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण
मेरा पूरा नाम बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण है, पर लोग मुझे आमतौर पर बाला ही कहते हैं। पेशे से हिंदी अनुवादक और अहमदाबाद का निवासी हूं। वैसे मैं केरल का तमिल हूं। मेरा जन्म वर्ष 1962 में केरल के पोन्नानी नाम के समुद्र-तटीय गावं में हुआ था। केरल में ही, चिट्टूर और नूरणी नामक स्थानों में मेरी प्राथमिक शिक्षा मलयालम भाषा में हुई, पर मैं केरल में अधिक समय के लिए नहीं रहा। 7-8 साल का था, हम लखनऊ चले गए, जहां मेरी स्कूली पढ़ाई सेंट फ्रांसेस कालेज में पूरी हुई। बीएससी दिल्ली के हंसराज कालेज से की। हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए भी किया। तत्पश्चात इग्नू से एमसीए (मास्टर ओफ कंप्यूटर एप्लिकेशेन्स) की डिग्री भी हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद मुझे अहमदाबाद स्थित एक पर्यावरण शिक्षण संस्था में लेखक-अनुवादक की नौकरी मिली। यह 1985 की बात है। तब से मैं अहमदाबाद में ही हूं। वर्ष 2007 में मैंने नौकरी छोड़कर अनुवाद और स्वतंत्र लेखन को ही पूरा समय देना शुरू कर दिया। मैं हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल और मलयालम भाषाएं जानता हूं, और इनमें से प्रथम दो भाषाओं में खूब लिखता और अनुवाद करता हूं। मेरे ब्लाग - कुदरतनामा, प्रिंटेफ-स्कैनेफ, जयहिंदी, बाल जयहिंदी, केरल पुराण। Email- l.balasubramaniam@gmail.com
मुन्ना कुमार पांडे 
23 दिसंबर 1982 को बिहार के गोपालगंज में जन्म। दिल्ली के रामजस कॉलेज से बीए, एमए की शिक्षा। साहित्य, रंगमंच सिनेमा और घुमककड़ी से गहरा लगाव। दिल्ली यूनीवर्सिटी से एमफिल में हबीब तनवीर के बहादुर कालारिन के लोक आख्यान विषय पर लघु शोध प्रबंध। वर्तमान में इसी यूनीवर्सिटी के हिन्दी विभाग में यूनीवर्सिटी  शिक्षा सहयोगी होने के साथ ही पीएचडी।  jaaneanjaane.blogspot.com के नाम से ब्लॉग जगत में भी सक्रिय। पता- सेक्टर-41, माल अपार्टमेंट (गेट नं.1), माल रोड (दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास) दिल्ली - 110054 मो. 09968734648 Email- kunal23rs@gmail.com
संतोष कुमार
मीडिया में माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री। अमर उजाला, यूनिवार्ता और नवज्योति का कार्य अनुभव। दिल्ली में रहकर दिल्ली की रिपोर्टिंग और नवज्योति में नियमित इंडिया गेट कालम का लेखन। पत्रकार के साथ- साथ समालोचक। विस्फोट.कॉम के लिए विशेष लेखन।
आशा तनेजा

अलवर (राजस्थान) में जन्म। पत्रकारिता में स्नाकोत्तर, कुछ वर्षो तक पत्रकारिता महाविद्यालय में अध्यापन, संप्रति साहित्य पत्रिका 'पाखी' में उप- संपादक, कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां एवं कवितायें प्रकाशित। स्थाई पता- 363, लाजपत नगर, अलवर-301001( राजस्थान) वर्तमान पता - बी-107, सेक्टर-63, नोएडा-201301(उप्र)। मोबाइल-  9711850979  Email- taneja.asha@gmail.com
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वाह भई वाह
कमाल की दवा
बंठू को देर से उठने की आदत थी इसलिये वह हमेशा ऑफिस देर से पहुंचता था। उसका बॉस इस बात से बहुत नाराज था अंतत: उसने बंठू को चेतावनी दे डाली कि या तो समय पर आओ या नौकरी छोड़ दो।
हार कर बंठू एक डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने उसे कुछ गोलियां दी और कहा कि अब वह बिल्कुल समय पर जाग जाया करेगा।
रात को बंठू दवा खाकर सो गया। सुबह जब वह जागा तो सचमुच सूरज नहीं निकला था। दवा ने तो कमाल ही कर दिया था। वह खुशी- खुशी तैयार हुआ और समय से थोड़ा पहले ही ऑफिस पहुंच गया।
'सर' उसने बॉस से कहा, 'उस डॉक्टर की दवा तो कमाल की है!'
'वह तो ठीक है,' बॉस ने रुखाई से जवाब दिया, 'पहले यह बताओ कि कल तुम कहां थे ?'

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