सर राकेश है ना अपना प्यून उसको कुछ पैसों की जरुरत है वो बाहर बैठा है, आपसे मिलना चाहता है।
-रिसेप्शनिस्ट ने साफ्टवेयर कंपनी के मालिक मि. रावत को उनके कमरे में आकर बताया।
लेकिन वो तो कुछ दिनों से आ ही नहीं रहा है, रावत ने त्यौंरियां चढ़ाते हुये रिसेप्शनिस्ट को घूरा।
जी सर, वो घर गया हुआ था उसकी पत्नी बीमार थी और अब हास्पिटल में सीरियस कंडीशन में है। उसी के इलाज के लिये पैसे मांग रहा है।
इसी बातचीत के दौरान रावत जी का इंटरव्यू लेने आई नवयुवती ने हैलो के साथ अंदर आने की परमिशन मांगी।
सर ने मुस्कुराकर परमिशन दी और उनकी हैलो का जवाब दिया, साथ ही हाथ से कुर्सी पर बैठने का भी इशारा कर दिया फिर दोबारा रिसेप्शनिस्ट की ओर मुखातिब होते हुये बोले- क्या कह रही थी मैडम आप। कहते हुए मि. रावत ने गंभीर मुद्रा में कहा- इसमें पूछने जैसी कोई बात ही नहीं है आप अकाउंटेट को पच्चीस हजार का चैक बनाकर लाने को कहिये। चैक लाया गया उन्होंने तुरंत चैक पर साइन करते हुये खुद राकेश को पच्चीस हजार का चैक अपने हाथों से दिया और किसी अन्य चीज की आवश्यकता होने पर निसंकोच चले आने की बात कही।
राकेश धन्यवाद के साथ ही जल्द ही नौकरी पर दोबाारा आने की बात कहता हुआ चला गया। जिसके साथ ही रावत जी इंटरव्यू देने में व्यस्त हो गये।
साक्षात्कार के तुरंत बाद साक्षात्कार- कर्ता के विदा होते ही रावत जी ने अकाउंटेंट को अपने कमरे में बुलाकर प्यून से संबंधित चैक का पेमेंट रोकने का आदेश दिया और साथ ही नया चपरासी तलाशने की भी बात कही।
अगले दिन के समाचार पत्र में कंपनी के मालिक के इंटरव्यू की शुरुआत ही 'गरीबों के मसीहा' जैसे शब्दों के साथ हुई थी।
-रिसेप्शनिस्ट ने साफ्टवेयर कंपनी के मालिक मि. रावत को उनके कमरे में आकर बताया।
लेकिन वो तो कुछ दिनों से आ ही नहीं रहा है, रावत ने त्यौंरियां चढ़ाते हुये रिसेप्शनिस्ट को घूरा।
जी सर, वो घर गया हुआ था उसकी पत्नी बीमार थी और अब हास्पिटल में सीरियस कंडीशन में है। उसी के इलाज के लिये पैसे मांग रहा है।
इसी बातचीत के दौरान रावत जी का इंटरव्यू लेने आई नवयुवती ने हैलो के साथ अंदर आने की परमिशन मांगी।
सर ने मुस्कुराकर परमिशन दी और उनकी हैलो का जवाब दिया, साथ ही हाथ से कुर्सी पर बैठने का भी इशारा कर दिया फिर दोबारा रिसेप्शनिस्ट की ओर मुखातिब होते हुये बोले- क्या कह रही थी मैडम आप। कहते हुए मि. रावत ने गंभीर मुद्रा में कहा- इसमें पूछने जैसी कोई बात ही नहीं है आप अकाउंटेट को पच्चीस हजार का चैक बनाकर लाने को कहिये। चैक लाया गया उन्होंने तुरंत चैक पर साइन करते हुये खुद राकेश को पच्चीस हजार का चैक अपने हाथों से दिया और किसी अन्य चीज की आवश्यकता होने पर निसंकोच चले आने की बात कही।
राकेश धन्यवाद के साथ ही जल्द ही नौकरी पर दोबाारा आने की बात कहता हुआ चला गया। जिसके साथ ही रावत जी इंटरव्यू देने में व्यस्त हो गये।
साक्षात्कार के तुरंत बाद साक्षात्कार- कर्ता के विदा होते ही रावत जी ने अकाउंटेंट को अपने कमरे में बुलाकर प्यून से संबंधित चैक का पेमेंट रोकने का आदेश दिया और साथ ही नया चपरासी तलाशने की भी बात कही।
अगले दिन के समाचार पत्र में कंपनी के मालिक के इंटरव्यू की शुरुआत ही 'गरीबों के मसीहा' जैसे शब्दों के साथ हुई थी।
सुख की परिभाषा
सुनो, कल सुबह मेरी सहेली घर पर आ रही है अपने सारे काम वक्त से निपटा लेना और बाहर से कुछ पेस्ट्रीज या आइसक्रीम जरुर ले आना।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiugkE34k3cBa5rcRx6qChdB3Ppu7LEVHY5ZdQgAy1fY4PLNoKe7SEYJm6fqc29ptsHKq0w2229tKr2tW-tNLQ1_wyzQUxSC5APDpyPX79szNQjFuFPj6_fniwJD2qZSupc1mwJYPhLSps/s200/woman-2-1.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiugkE34k3cBa5rcRx6qChdB3Ppu7LEVHY5ZdQgAy1fY4PLNoKe7SEYJm6fqc29ptsHKq0w2229tKr2tW-tNLQ1_wyzQUxSC5APDpyPX79szNQjFuFPj6_fniwJD2qZSupc1mwJYPhLSps/s200/woman-2-1.jpg)
जो हुक्म मेरे आका, शेखर ने सुधा को सलाम की अदा में हाथ सर की ओर ले जाते हुआ कहा। जिसे देख सुधा मुस्कुराये बिना न रह सकी। रात को ही सुधा ने डिसाइड कर लिया था कि सुबह खाने में क्या बनाना है और नाश्ता क्या रहेगा। खुशी ने 11-12 बजे आने की बात की थी।
खुशी और सुधा कॉलेज में साथ पढ़ते थे। लास्ट इयर में दोनों का कैंपस सलेक्शन हो गया था, लेकिन जॉब ज्वाइन करती इससे पहले ही सुधा की शादी शेखर से हो गई और उसने वो शहर नौकरी के सपने के साथ ही छोड़ दिया। जबकि खुशी अभी भी उसी कंपनी में जॉब कर रही है। कंपनी की नई ब्रांच यहां सुधा के शहर में भी खुलने वाला है जिसके सेटअप के लिये एक टीम यहां आई है। जिसमें खुशी भी शामिल है। दोनों की फोन पर बात हुई थी। मिलने का दिन और समय तय हो गया था।
दूसरे दिन सुधा ने सिर धोकर जूड़ा थोड़ा ढीला बनाया, रोज की साड़ी की जगह नयी साड़ी पहनी। शेखर को भी नया कुर्ता पायजामा पहनने का आदेश मिला था। डाइनिंग कवर, फूलदान सब को करीने से सजाया गया था, खुशी के स्वागत के लिये।
11.30 बजे के करीब डोर बेल के बजते ही सुधा चहक उठी। खुशी आ गई। दरवाजे पर दोनों एक दूजे को कुछ सेकण्ड तक सिर्फ देखती रह गई थीं। तब शेखर ने ही उस चुप्पी को तोड़ते हुये खुशी को अंदर आने को कहा था। उस पूरी मुलाकात में खुशी अपने ऑफिस और अपने कलीग्स की बातें करती रही थी, और सुधा शेखर और अपने ससुराल की। मन ही मन सुधा को खुशी की बिना जिम्मेदारियों की उन्मुक्त उड़ान से ईष्र्या हो रही थी और खुशी को सुधा का खुशहाल परिवार देखकर अपना अधूरापन खटक रहा था। जबकि दोनों खुद को बातों के बीच एक दूसरे से ज्यादा सुखी दिखाने का असफल प्रयास कर रही थीं।
खुशी और सुधा कॉलेज में साथ पढ़ते थे। लास्ट इयर में दोनों का कैंपस सलेक्शन हो गया था, लेकिन जॉब ज्वाइन करती इससे पहले ही सुधा की शादी शेखर से हो गई और उसने वो शहर नौकरी के सपने के साथ ही छोड़ दिया। जबकि खुशी अभी भी उसी कंपनी में जॉब कर रही है। कंपनी की नई ब्रांच यहां सुधा के शहर में भी खुलने वाला है जिसके सेटअप के लिये एक टीम यहां आई है। जिसमें खुशी भी शामिल है। दोनों की फोन पर बात हुई थी। मिलने का दिन और समय तय हो गया था।
दूसरे दिन सुधा ने सिर धोकर जूड़ा थोड़ा ढीला बनाया, रोज की साड़ी की जगह नयी साड़ी पहनी। शेखर को भी नया कुर्ता पायजामा पहनने का आदेश मिला था। डाइनिंग कवर, फूलदान सब को करीने से सजाया गया था, खुशी के स्वागत के लिये।
11.30 बजे के करीब डोर बेल के बजते ही सुधा चहक उठी। खुशी आ गई। दरवाजे पर दोनों एक दूजे को कुछ सेकण्ड तक सिर्फ देखती रह गई थीं। तब शेखर ने ही उस चुप्पी को तोड़ते हुये खुशी को अंदर आने को कहा था। उस पूरी मुलाकात में खुशी अपने ऑफिस और अपने कलीग्स की बातें करती रही थी, और सुधा शेखर और अपने ससुराल की। मन ही मन सुधा को खुशी की बिना जिम्मेदारियों की उन्मुक्त उड़ान से ईष्र्या हो रही थी और खुशी को सुधा का खुशहाल परिवार देखकर अपना अधूरापन खटक रहा था। जबकि दोनों खुद को बातों के बीच एक दूसरे से ज्यादा सुखी दिखाने का असफल प्रयास कर रही थीं।
1 comment:
udanti aaj pahali bar net par dekhane ko mili .kuch naye purane ank dekhe .achchi patrika hai.'Garibon ka masiha'laghu katha me achcha vyang hai .dusarilaghu katha bhi achchi hai
pavitra agrawal
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