-स्वराज्य कुमार
सिंचाई के लिए नि:शुल्क बिजली और गरीबों के भोजन के लिए नि:शुल्क नमक वितरण की अपनी योजनाओं के जरिए रमन सरकार ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और प्राथमिकता को स्पष्ट कर दिया है।
इक्कीसवीं सदी के प्रथम वर्ष सन् 2000 के ग्यारहवें महीने की पहली तारीख देश के नक्शे पर छत्तीसगढ़ प्रदेश की जन्म तिथि बनकर इतिहास के पन्नों में अमिट स्याही से हमेशा के लिए दर्ज हो गई। आज हम सब छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा के नवमें पड़ाव पर आ गए हैं, तो अब तक के सफर में मिले अनुभवों का आंकलन भी जरूरी हो गया है। नये राज्य के रूप में उभरने के तीन वर्ष बाद छत्तीसगढ़ की जनता को विधानसभा चुनाव में मतदान के जरिए अपनी सरकार बनाने का मौका मिला। शानदार जनादेश के साथ डॉ. रमन सिंह की सरकार बनी और उनकी प्रथम निर्वाचित सरकार ने पांच वर्ष के अपने पहले ही कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में विकास के एक ऐसे नये अध्याय की शुरूआत की, जिसके अगले पन्नों पर भी जनता ने अपनी तरक्की के सफर की दूसरी पारी की कमान भी उनके नाम कर दी।
याद करें जब नौ साल पहले धान कटाई के इन्हीं दिनों में 'धान का कटोरा' एक नये राज्य के सांचे में ढलकर देश के नक्शे पर अवतरित हुआ तो, उस वक्त हमारे अधिकांश इलाकों में सूखे का प्राकृतिक प्रकोप था और कम से कम पांच लाख खेतिहर श्रमिक रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों की ओर 'पलायन' के लिए मजबूर हो गए थे। सूखे का संकट कमोबेश इस साल भी है, लेकिन राज्य सरकार ने जिस बेहतर प्रबंधकीय कौशल से गांवों में रोजगार के मौके बढ़ाए हैं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए निर्माण कार्यों का एक नया सिलसिला शुरू किया है, उससे रोजी-रोटी के लिए मेहनतकशों के 'पलायन' का सिलसिला करीब-करीब थम-सा गया है और यही तो संकल्प है डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार का- पलायन की पीड़ा से छत्तीसगढ़ की मुक्ति का संकल्प। डॉ. रमन सिंह को गांवों के अपने जन- संपर्क दौरों में विशाल जन- सभाओं में बार- बार यह कहते सुना जा सकता है कि अगर हमने गांव के पानी और गांव की जवानी को गांव में ही रोक लिया, तो हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देकर छत्तीसगढ़ को देश का सबसे विकसित राज्य बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। उनकी सरकार लगातार उसी दिशा में काम कर रही है। नदी-नालों पर लघु और मध्यम सिंचाई योजनाओं और एनीकटों की श्रंृखला तेजी से विकसित हो रही है। राज्य निर्माण के बाद हमारी सिंचाई क्षमता तेरह लाख 28 हजार हेक्टेयर से बढ़कर सत्रह लाख 71 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गयी है। छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे की पैंतालिस प्रतिशत आबादी के लिए नौ साल पहले एक रूपए और दो रूपए किलो में चावल और नि:शुल्क नमक प्राप्त करना महज एक सपना भर था, जो आज सचमुच जमीनी हकीकत में बदल गया है।
कुछ पल रूक-कर जरा याद करें कि नौ साल पहले यहां के मेहनती किसानों को खेती के लिए सहकारी समितियों से किस ब्याज दर पर कर्ज मिलता था और आज कितना ब्याज लगता है ? नि:संदेह उस वक्त तेरह, चौदह और पन्द्रह प्रतिशत ब्याज पर कर्ज उठाने वाला किसान आज सिर्फ तीन फीसदी ब्याज पर खेती के लिए ऋण ले रहा है। क्या नौ साल पहले कभी किसी ने भी यह कल्पना की थी कि छत्तीसगढ़ के अन्नदाता किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नि:शुल्क मिल सकती है ? डॉ. रमन सिंह की किसान हितैषी सरकार ने 'कृषक जीवन ज्योति' योजना के जरिए इसे धरातल पर सच साबित कर दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिन पर पिछले महीने की दो तारीख से राज्य में पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए एक साल में छह हजार यूनिट तक नि:शुल्क बिजली की सुविधा शुरू हो गयी है। दो लाख से ज्यादा किसान इसका लाभ उठाएंगे।
खेतों में अनाज के लिए अगर सिंचाई जरूरी है, तो उस अनाज से बनने वाले भोजन के लिए नमक भी उतना ही आवश्यक। सिंचाई के लिए नि:शुल्क बिजली और गरीबों के भोजन के लिए नि:शुल्क नमक वितरण की अपनी योजनाओं के जरिए रमन सरकार ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और प्राथमिकता को स्पष्ट कर दिया है। क्या नौ साल पहले किसी को भी यह भरोसा था कि इस नव-गठित राज्य को बिजली कटौती की विरासत में मिली समस्या से इतनी जल्दी छुटकारा मिल जाएगा ? लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज डॉ. रमन सिंह के कुशल प्रबंधन से छत्तीसगढ़ आज देश का इकलौता ऐसा प्रदेश बन गया है, जहां चौबीसों घंटे निरंतर और नियमित बिजली मिल रही है। छत्तीसगढ़ के जन्म के समय हमारी कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता केवल एक हजार 360 मेगावाट थी, आज हम एक हजार 924 मेगावाट तक पहुंच गए हैं।
महंगाई के इस भयावह दौर में भी अगर छत्तीसगढ़ के किसानों को सिर्फ तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर कर्ज और सिंचाई के लिए नि:शुल्क बिजली, गरीब परिवारों को एक रूपए और दो रूपए किलो में चावल और नि:शुल्क नमक और 50 लाख स्कूली बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जा रही हैं और जहां हृदय रोग से पीडि़त बच्चों के कठिन से कठिन ऑपरेशन भी सरकारी खर्च पर हो रहे हैं और सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप इन सभी योजनाओं को जाति-बंधन से परे रखा गया है, तो निश्चित रूप से यह इस बात का सबूत है कि रमन सरकार की हर सोच मानवीय संवेदनाओं पर आधारित है।
याद करें जब नौ साल पहले धान कटाई के इन्हीं दिनों में 'धान का कटोरा' एक नये राज्य के सांचे में ढलकर देश के नक्शे पर अवतरित हुआ तो, उस वक्त हमारे अधिकांश इलाकों में सूखे का प्राकृतिक प्रकोप था और कम से कम पांच लाख खेतिहर श्रमिक रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों की ओर 'पलायन' के लिए मजबूर हो गए थे। सूखे का संकट कमोबेश इस साल भी है, लेकिन राज्य सरकार ने जिस बेहतर प्रबंधकीय कौशल से गांवों में रोजगार के मौके बढ़ाए हैं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए निर्माण कार्यों का एक नया सिलसिला शुरू किया है, उससे रोजी-रोटी के लिए मेहनतकशों के 'पलायन' का सिलसिला करीब-करीब थम-सा गया है और यही तो संकल्प है डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार का- पलायन की पीड़ा से छत्तीसगढ़ की मुक्ति का संकल्प। डॉ. रमन सिंह को गांवों के अपने जन- संपर्क दौरों में विशाल जन- सभाओं में बार- बार यह कहते सुना जा सकता है कि अगर हमने गांव के पानी और गांव की जवानी को गांव में ही रोक लिया, तो हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देकर छत्तीसगढ़ को देश का सबसे विकसित राज्य बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। उनकी सरकार लगातार उसी दिशा में काम कर रही है। नदी-नालों पर लघु और मध्यम सिंचाई योजनाओं और एनीकटों की श्रंृखला तेजी से विकसित हो रही है। राज्य निर्माण के बाद हमारी सिंचाई क्षमता तेरह लाख 28 हजार हेक्टेयर से बढ़कर सत्रह लाख 71 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गयी है। छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे की पैंतालिस प्रतिशत आबादी के लिए नौ साल पहले एक रूपए और दो रूपए किलो में चावल और नि:शुल्क नमक प्राप्त करना महज एक सपना भर था, जो आज सचमुच जमीनी हकीकत में बदल गया है।
कुछ पल रूक-कर जरा याद करें कि नौ साल पहले यहां के मेहनती किसानों को खेती के लिए सहकारी समितियों से किस ब्याज दर पर कर्ज मिलता था और आज कितना ब्याज लगता है ? नि:संदेह उस वक्त तेरह, चौदह और पन्द्रह प्रतिशत ब्याज पर कर्ज उठाने वाला किसान आज सिर्फ तीन फीसदी ब्याज पर खेती के लिए ऋण ले रहा है। क्या नौ साल पहले कभी किसी ने भी यह कल्पना की थी कि छत्तीसगढ़ के अन्नदाता किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नि:शुल्क मिल सकती है ? डॉ. रमन सिंह की किसान हितैषी सरकार ने 'कृषक जीवन ज्योति' योजना के जरिए इसे धरातल पर सच साबित कर दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिन पर पिछले महीने की दो तारीख से राज्य में पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए एक साल में छह हजार यूनिट तक नि:शुल्क बिजली की सुविधा शुरू हो गयी है। दो लाख से ज्यादा किसान इसका लाभ उठाएंगे।
खेतों में अनाज के लिए अगर सिंचाई जरूरी है, तो उस अनाज से बनने वाले भोजन के लिए नमक भी उतना ही आवश्यक। सिंचाई के लिए नि:शुल्क बिजली और गरीबों के भोजन के लिए नि:शुल्क नमक वितरण की अपनी योजनाओं के जरिए रमन सरकार ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और प्राथमिकता को स्पष्ट कर दिया है। क्या नौ साल पहले किसी को भी यह भरोसा था कि इस नव-गठित राज्य को बिजली कटौती की विरासत में मिली समस्या से इतनी जल्दी छुटकारा मिल जाएगा ? लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज डॉ. रमन सिंह के कुशल प्रबंधन से छत्तीसगढ़ आज देश का इकलौता ऐसा प्रदेश बन गया है, जहां चौबीसों घंटे निरंतर और नियमित बिजली मिल रही है। छत्तीसगढ़ के जन्म के समय हमारी कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता केवल एक हजार 360 मेगावाट थी, आज हम एक हजार 924 मेगावाट तक पहुंच गए हैं।
महंगाई के इस भयावह दौर में भी अगर छत्तीसगढ़ के किसानों को सिर्फ तीन प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर कर्ज और सिंचाई के लिए नि:शुल्क बिजली, गरीब परिवारों को एक रूपए और दो रूपए किलो में चावल और नि:शुल्क नमक और 50 लाख स्कूली बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जा रही हैं और जहां हृदय रोग से पीडि़त बच्चों के कठिन से कठिन ऑपरेशन भी सरकारी खर्च पर हो रहे हैं और सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप इन सभी योजनाओं को जाति-बंधन से परे रखा गया है, तो निश्चित रूप से यह इस बात का सबूत है कि रमन सरकार की हर सोच मानवीय संवेदनाओं पर आधारित है।
शिक्षा किसी भी देश, समाज अथवा राज्य के विकास की पहली सीढ़ी है। वर्ष 2004-05 से चालू वर्ष 2009-10 में अब तक छह वर्ष की अवधि में विभिन्न प्रकार के दस हजार 770 स्कूल राज्य शासन द्वारा खोले गए हैं।
राज्य निर्माण के साथ- साथ हमारे वित्तीय और भौतिक संसाधन भी लगातार बढ़ते चले आए हैं। मिसाल के तौर पर नए राज्य के प्रथम वित्तीय वर्ष 2001-02 का हमारा बजट सात हजार 295 करोड़ रूपए का था, जो आज वित्तीय वर्ष 2009-10 में चौबीस हजार 836 करोड़ रूपए (लगभग पच्चीस हजार करोड़ रूपए) तक पहुंच गया है। अगर जांजगीर-चाम्पा जिले के जामपाली नामक गांव के मूल निवासी, अनुसूचित जाति के युवक अशोक कुमार साण्डे जयपुर और हैदराबाद में उच्च तकनीकी प्रशिक्षण लेकर आज एक सुप्रशिक्षित विमान पायलट बन चुके हैं, तो यह रमन सरकार की उस विशेष योजना का ही कमाल है, जिसके जरिए छत्तीसगढ़ के आदिवासी, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्गों के युवाओं को पायलट बनने का और आकाश की ऊंचाईयों को छूने का मौका मिल रहा है। देश की संसद में महिलाओं के लिए तैंतीस प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव अब तक विचाराधीन है, लेकिन छत्तीसगढ़ की त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचन योग्य पदों में महिलाओं के लिए आरक्षण को तैंतीस प्रतिशत से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम 2008 लाया गया, जिसके पारित होते ही लोकतंत्र की इन बुनियादी संस्थाओं में अब महिलाएं पुरूषों की बराबरी करते हुए आम जनता का प्रतिनिधित्व करेंगी।
क्या नौ साल पहले कहीं भी यह सोचा गया था कि छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहे गांवों को आदर्श गांव के रूप में पहचान दिलाने की जरूरत है ? पहली बार डॉ. रमन सिंह की सरकार ने इस दिशा में सोचा और 'गौरव ग्राम' योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत अब तक 48 गांवों का चयन कर उनके समग्र विकास के लिए 14 करोड़ 58 लाख रूपए के 372 कार्य मंजूर किए जा चुके हैं। अगर कोई यह पूछे कि देश के कौन से राज्य में गर्मियों में तेन्दूपत्ता तोडऩे वाले मेहनतकश श्रमिक परिवारों को उनके पांवों के दर्द को महसूस कर नि:शुल्क चरण पादुकाएं दी जा रही हैं, अगर कोई यह सवाल करे कि भारत के कौन से प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों के कामकाज पर निगरानी के लिए जनभागीदारी वेबसाईट और नि:शुल्क कॉल सेन्टर जैसी योजनाएं संचालित की जा रही है, तो इन सवालों के जवाब में भी संकेत छत्तीसगढ़ की ओर जाएगा। क्या राज्य बनने से पहले कभी किसी ने यह कल्पना भी की थी कि पीढ़ी दर पीढ़ी मुकदमों का बोझ ढोते दो लाख से ज्यादा वनवासी परिवारों को इस दर्द से कभी राहत मिलेगी? लेकिन राज्य निर्माण के पांचवे साल में डॉ. रमन सिंह की सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेकर ऐसे करीब सवा दो लाख मुकदमों को हमेशा के लिए खत्म कर उन्हें राहत दिलाई। डॉ. रमन सिंह ने आम जनता के बोलचाल की भाषा 'छत्तीसगढ़ी' को राजभाषा का राज मुकुट पहनाकर और इसके समग्र विकास के लिए छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग बनाकर प्रदेश वासियों के वर्षों पुराने एक और सपने को साकार कर दिया।
शिक्षा किसी भी देश, समाज अथवा राज्य के विकास की पहली सीढ़ी है। इसे महसूस कर प्रदेश भर में वर्ष 2004-05 से चालू वर्ष 2009-10 में अब तक छह वर्ष की अवधि में विभिन्न प्रकार के दस हजार 770 स्कूल राज्य शासन द्वारा खोले गए हैं, जिनमें चार हजार 215 प्राथमिक और पांच हजार 647 माध्यमिक शालाओं सहित 563 हाईस्कूल और 352 हायरसेकेण्डरी स्कूल शामिल हैं। हाई स्कूलों में अध्ययनरत अनुसूचित जातियों, जनजातियों की बालिकाओं के लिए सरस्वती सायकल प्रदाय योजना प्रारंभ कर उन्हें नि:शुल्क सायकल दी जा रही है। अब इस योजना में पिछड़ी जातियों और सामान्य वर्ग के अन्तर्गत गरीबी रेखा श्रेणी की बालिकाओं को भी शामिल कर लिया गया है। वर्ष 2005 से 2009 तक राज्य में 43 नये सरकारी कॉलेजों की स्थापना की गयी, जिन्हें मिलाकर अब छत्तीसगढ़ में शासकीय महाविद्यालयों की संख्या 159 तक पहुंच गयी है।
राज्य में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने बीते पांच वर्ष में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत चौदह हजार किलोमीटर पक्की सड़कों और उन पर 18 हजार 706 पुल-पुलियों का निर्माण कर लगभग छह हजार ग्रामीण बसाहटों को बारहमासी यातायात की सुविधा दिलायी। लोक निर्माण विभाग ने इस दौरान बत्तीस हजार 260 किलोमीटर सड़कों का निर्माण और उन्नयन किया, 429 बड़े पुल बनाए, रेल्वे क्रॉसिंगों पर सुगम यातायात के लिए सात ओवरब्रिजों का निर्माण किया, प्रदेश सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों के सुव्यवस्थित विकास के लिए प्रतीक्षा बस स्टैंड योजना, ट्रांसपोर्ट नगर योजना, पुष्प वाटिका और महिला समृद्धि बाजार योजना, गोकुल नगर योजना, सरोवर-धरोहर योजना, गौरव-पथ निर्माण, महिला समूहों के लिए अन्नपूर्णा सामुदायिक सेवा केन्द्र योजना, शहरी गरीबों के लिए अटल आवास योजना जैसी अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। हाल ही में प्रदेश की 52 ग्राम पंचायतों को नगर- पंचायतों का दर्जा मिला, शहरी इलाकों की तंग-बस्तियों में ढाई लाख गरीब-परिवारों को पेयजल के लिए नि:शुल्क नल कनेक्शन देने 75 करोड़ रूपए की भागीरथी नल-जल योजना की उत्साहजनक शुरूआत हुई। राज्य की लगभग 73 हजार ग्रामीण बसाहटों में से 68 हजार बसाहटों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी और प्रत्येक 85 की जनसंख्या पर एक हैण्डपम्प की सुविधा दी गयी, जबकि राष्ट्रीय औसत ढाई सौ की आबादी पर एक हैण्डपम्प का है।
छत्तीसगढ़ में बुनियादी सामाजिक-आर्थिक सुविधाओं के विकास की यह कहानी केवल आंकड़ों की जुबानी नहीं है। बदलाव की यह बयार समाज की आखिरी पंक्ति के आखिरी घर तक पहुंचकर सबको शीतलता का एक खुशनुमा एहसास दिला रही है।
शिक्षा किसी भी देश, समाज अथवा राज्य के विकास की पहली सीढ़ी है। इसे महसूस कर प्रदेश भर में वर्ष 2004-05 से चालू वर्ष 2009-10 में अब तक छह वर्ष की अवधि में विभिन्न प्रकार के दस हजार 770 स्कूल राज्य शासन द्वारा खोले गए हैं, जिनमें चार हजार 215 प्राथमिक और पांच हजार 647 माध्यमिक शालाओं सहित 563 हाईस्कूल और 352 हायरसेकेण्डरी स्कूल शामिल हैं। हाई स्कूलों में अध्ययनरत अनुसूचित जातियों, जनजातियों की बालिकाओं के लिए सरस्वती सायकल प्रदाय योजना प्रारंभ कर उन्हें नि:शुल्क सायकल दी जा रही है। अब इस योजना में पिछड़ी जातियों और सामान्य वर्ग के अन्तर्गत गरीबी रेखा श्रेणी की बालिकाओं को भी शामिल कर लिया गया है। वर्ष 2005 से 2009 तक राज्य में 43 नये सरकारी कॉलेजों की स्थापना की गयी, जिन्हें मिलाकर अब छत्तीसगढ़ में शासकीय महाविद्यालयों की संख्या 159 तक पहुंच गयी है।
राज्य में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने बीते पांच वर्ष में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत चौदह हजार किलोमीटर पक्की सड़कों और उन पर 18 हजार 706 पुल-पुलियों का निर्माण कर लगभग छह हजार ग्रामीण बसाहटों को बारहमासी यातायात की सुविधा दिलायी। लोक निर्माण विभाग ने इस दौरान बत्तीस हजार 260 किलोमीटर सड़कों का निर्माण और उन्नयन किया, 429 बड़े पुल बनाए, रेल्वे क्रॉसिंगों पर सुगम यातायात के लिए सात ओवरब्रिजों का निर्माण किया, प्रदेश सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों के सुव्यवस्थित विकास के लिए प्रतीक्षा बस स्टैंड योजना, ट्रांसपोर्ट नगर योजना, पुष्प वाटिका और महिला समृद्धि बाजार योजना, गोकुल नगर योजना, सरोवर-धरोहर योजना, गौरव-पथ निर्माण, महिला समूहों के लिए अन्नपूर्णा सामुदायिक सेवा केन्द्र योजना, शहरी गरीबों के लिए अटल आवास योजना जैसी अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। हाल ही में प्रदेश की 52 ग्राम पंचायतों को नगर- पंचायतों का दर्जा मिला, शहरी इलाकों की तंग-बस्तियों में ढाई लाख गरीब-परिवारों को पेयजल के लिए नि:शुल्क नल कनेक्शन देने 75 करोड़ रूपए की भागीरथी नल-जल योजना की उत्साहजनक शुरूआत हुई। राज्य की लगभग 73 हजार ग्रामीण बसाहटों में से 68 हजार बसाहटों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी और प्रत्येक 85 की जनसंख्या पर एक हैण्डपम्प की सुविधा दी गयी, जबकि राष्ट्रीय औसत ढाई सौ की आबादी पर एक हैण्डपम्प का है।
छत्तीसगढ़ में बुनियादी सामाजिक-आर्थिक सुविधाओं के विकास की यह कहानी केवल आंकड़ों की जुबानी नहीं है। बदलाव की यह बयार समाज की आखिरी पंक्ति के आखिरी घर तक पहुंचकर सबको शीतलता का एक खुशनुमा एहसास दिला रही है।
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स्वराज्यजी ने आंकड़ों के साथ अपनी बात रखने का प्रयास किया है। आंकड़ों पर बहस हो सकती है लेकिन बदलाव की बयार की बात एकदम सही है। इस बदलाव की क्रांति को अब धूर नक्सली क्षेत्रों तक ले जाने की चुनौती सरकार के सामने है। देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह इसमें कितना सफल होते हैं। आपको याद होगा कि जनसत्ता में मैंने लिखा था कि किसानों के मर्म को मुख्यमंत्री ने समझा है। कर्जमाफी के फरेब में किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार ने नहीं उलझाया वरन उनके लिए सिंचाई, कम ब्याजदर में कर्ज की उपलब्धता आदि उपाय योजनाएं कीं। परिणाम सामने है। पड़ोसी राज्य के विदर्भ क्षेत्र में कर्ज माफी से उपजी अंतरिम राहत अब दम तोड़ चुकी है। सिंचाई सुविधाओं के अभाव में किसानों की आत्महत्या बदस्तूर जारी है। अब तो कोई चुनाव भी सामने नहीं है। इसलिए कहा जा सकता है कि कम से कम अगले तीन साल और इस क्षेत्र में आत्महत्याओं का दौर चलता रहेगा।
अंजीव पांडेय
डिप्टी सिटी एडीटर
दैनिक १८५७, नागपुर।
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