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Mar 5, 2021

प्रेरक- बेहतर और उपयोगी जीवन जीने के 7 सिद्धांत

-निशांत

जब कोई दुख गहराता है तो हम अक्सर फ़िलोसॉफ़िकल हो जाते हैं। ‘जीवन क्या है? हम यहां क्या करने के लिए आए हैं?’

क्या आप भी ऐसी ही बातें करते हैं?

कितना अच्छा होता हम अपने रचयिता को एक कॉल करके उससे पूछ सकते, ‘जीवन क्या है? इसका उद्देश्य क्या है?’

लेकिन इन प्रश्नों का उत्तर हमें खुद ही ढूँढना पड़ता है। एक अहम बात जो मैंने सीखी है वह यह है कि जीने का कोई सटीक सही या गलत तरीका नहीं है।

लेकिन कुछ ऐसे सार्वभौमिक सिद्धांत होते हैं जिनका हमें ज्ञान होना चाहिए। हमारी समस्या यह है कि हम घटनाओं और परिस्थितियों के लिए प्रतिक्रिया उस रूप में नहीं करते जैसी करनी चाहिए।

ऐसे में ही जब कुछ वर्ष पहले मैं एक निजी संकटकाल से गुज़र रहा था तब मैंने खुद से पूछा: ऐसी कौन सी चीज हैं जिनके बारे में लोग बातें बहुत करते हैं लेकिन कुछ करते नहीं हैं?

मेरे मन में जो बिंदु सामने जो आए उन्हें मैं अपने 7 निजी सिद्धांत कहता हूँ। तब से ही मैं अपना जीवन इन 7 सिद्धांतों के अनुसार जी रहा हूँ। वे सिद्धांत ये हैं:

1. दर्द से गुज़रे बिना हम ग्रो नहीं करते

कभी-कभी हम बहुत क्रेज़ी तरह के काम करने की बातें करते हैं। पहाड़ चढ़ना, मैराथन दौड़ना, स्काई-डाइविंग, स्टार्टअप बनाना, दुनिया घूमना, किताब लिखना, फ़िल्म बनाना- इसी तरह के बहुत से काम हमारी लिस्ट में शामिल होते हैं।

जिन कामों को हम अपनी ज़िंदगी में आगे कभी करने का सोचते हैं उनके लिए अंग्रेजी में एक एक्सप्रेशन इस्तेमाल किया जाता है जिसे ‘bucket list’ कहा जाता है। आपकी भी कोई बकेट लिस्ट होगी। उसपर एक निगाह डालिए और मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिए। आपने वे सब काम अभी तक क्यों नहीं किए हैं?

इसका उत्तर लगभग हमेशा ही यह होता है: यह बहुत मुश्किल है।

लेकिन यहाँ मैं आपको यह बताना ज़रूरी समझता हूं कि जीवन सरल होने के लिए बना ही नहीं है। यह मेरा सीखा सबसे अनमोल सबक है।

कठिन चीजों से मुँह मत फेरिए। इसके उलट स्वयं को ऐसा व्यक्ति बनाइए जो हर तरह की कठिनाइयों को झेल सके। शारीरिक भी और मानसिक भी।

यह कोई घिसी-पिटी किताबी बात नहीं है। यह 100% सत्य है कि टूटे बिना हम जुड़ नहीं सकते, गिरे बिना हम उठ नहीं सकते, कष्ट झेले बिना हम रोगमुक्त नहीं सकते।

यदि हम अपनी मांसपेशियों को उनकी सीमाओं तक इस्तेमाल नहीं करते हैं तो हमारे हाथ-पैर कमजोर हो जाते हैं। यदि हम अपने मस्तिष्क को झकझोरते नहीं हैं तो हमारी मानसिक शक्तियों का क्षय होने लगता है। यदि हम अपने चरित्र का परीक्षण नहीं करते हैं तो हम रीढ़-हीन हो जाते हैं।

2. नकारात्मकता को हर कीमत पर दूर रखिए

इस बात को हर व्यक्ति जानता है लेकिन शायद ही कोई इसे अपने जीवन में पूरी तरह से लागू कर पाता है।

लोग अपने घर, ऑफ़िस, परिवार और दोस्तों के साथ नकारात्मक वातावरण में रहते हैं।

इसमें कुछ भी अजीब नहीं है क्योंकि निगेटिविटी जीवन के हर क्षेत्र में इतनी व्यापक हो गई है कि इसकी उपस्तिथि सामान्य और स्वीकार्य हो गई है। यह एक स्थापित वैज्ञानिक तथ्य है कि लोग मूलतः नकारात्मक प्रवृत्ति के होते हैं और नकारात्मकता का प्रभाव और प्रसार अधिक प्रबलता से होता है।

यही कारण है कि दुनिया में लोग बहुत अधिक शिकायतें करते हैं, झूठ बोलते हैं, आरोप लगाते हैं, धोखा देते हैं, ईर्ष्या करते हैं, लोगों को झुकाते-दबाते हैं।

यह सारी नकारात्मकता और नकारात्मक चीजें हमें शारीरिक और मानसिक विकास व समृद्धि से दूर रखती है। आप नकारात्मकता को अपने करीब क्यों आने देते हैं?

आप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि मनुष्य होने के नाते आप व्यक्तियों से भलाई की उम्मीद करते हैं। आप उनमें यकीन करते हैं:

  • उसकी नीयत साफ़ है।
  • वह आइंदा ऐसा नहीं करेगी।
  • वह मुझे चोट नहीं पहुँचाना चाहता था।
  • आगे सब ठीक हो जाएगा।

आपको पता है कि आप लोगों को नहीं बदल सकते। तो फिर आप इसके लिए प्रयास क्यों करते हैं? लोग तभी बदलेंगे जब वे बदलना चाहेंगे।

नकारात्मकता को दूर रखिए। हर कीमत पर दूर रखिए।

3. आप जितना लेते हैं उससे अधिक दूसरों को दीजिए

जब आप छोटे बच्चे थे तब आपका पूरा ध्यान रखा जाता था। आपके माता-पिता आपके भोजन और सुरक्षा का प्रबंध करते थे, और यदि आप भाग्यशाली थे तो आपसे बहुत प्रेम भी करते थे। यदि आपका बचपन खुशहाल नहीं भी था तो भी उन्होंने आपको शिक्षा दिलाई और बीमार होने पर इलाज़ करवाया।

यह भी आपको पढ़ने में अजीब लगेगा लेकिन हमारे मन में तभी से वस्तुओं को लेने की प्रवृत्ति घर कर गई है जो हमारी युवावस्था तक चली आई है। हमें लगता है कि हम जितना चाहें उतना ले सकते हैं और हमें सब कुछ मिलना ही चाहिए।

बहुत वर्षों तक मैं भी इसी पैटर्न पर सोचता था। आज मैं पलट कर देखता हूँ तो पाता हूं कि वह मेरी मूढ़ता थी। मैं कुछ भी पाने का हकदार नहीं था।

कौन कहता है कि आपको वह नौकरी मिलनी चाहिए जिसके लिए आपने आवेदन किया? या वह प्रमोशन जिसके लिए आप लालायित थे? या क्लास की वह खूबसूरत लड़की या सबसे स्मार्ट लड़के की नज़दीकी? या बेजोड़ सफलता?

बजाए यह सोचने के कि आप दुनिया से कितना ज्यादा ले सकते हो, आप यह सोचना शुरु करो कि आपके पास देने के लिए क्या है।

ज़िंदगी सब कुछ प्राप्त कर लेने का नाम नहीं है। इसके विपरीत करके देखिए और लोगों की मदद कीजिए, उन्हें वह दीजिए जिसकी वे आपसे अपेक्षा करते हैं और आप पाएँगे कि आपको और अधिक मिलता है।

दूसरों की सहायता करना, उनका मार्गदर्शन करना, उनके भविष्य को सुधारने का काम ही एकमात्र वह काम हो सकता है जिसके लिए लोग आपको हमेशा याद रखेंगे।

4. समय सबसे अधिक मूल्यवान है

विश्व के सभी संसाधनों में से केवल समय ही वह संसाधन है जो हमारे लिए सबसे अधिक सीमित है और सबसे अधिक मूल्यवान है।

यह बात आप जानते हैं। समय के महत्त्व के बारे में हमें बचपन से ही समझाया जाता है। पूरे जीवनकाल में हमारे समय का एक-तिहाई भाग सोने में बीत जाता है और शेष भाग में ही हम कुछ सार्थक कर सकते हैं।

लेकिन लोग अपना समय इस प्रकार बिताते हैं जैसे उनके पास इसकी असीम मात्रा हो। हम यह क्यों नहीं समझ पाते कि जीवन अनिश्चित है और कभी भी कुछ भी घट सकता है?

क्या आपके मन में यह विचार कभी नहीं आता कि हमारे पास कुछ महत्त्वपूर्ण करने के लिए बहुत अधिक समय नहीं है? यदि हम मनुष्य की औसत आयु 80 वर्ष मान लें तो हमारे पास कितना समय बचा है? जितना भी शेष हो, उसे व्यर्थ बिताने में कोई सार नहीं है।

आपको अपने समय को लेकर बहुत सेलेक्टिव होना चाहिए। किसी भी ज़रूरी काम को यह सोचकर कल पर नहीं टालिए कि आप उसे जब चाहे तब कर लेंगे। यदि आप अपनी सेहत या धन गंवा दें तो उसकी भरपाई की जा सकती है लेकिन अवसरों को हाथ से निकल जाने की भरपाई नहीं की जा सकती। बीत चुका समय कभी वापस नहीं आता।

जो समय बीत जाता है वह हमेशा के लिए अनुपलब्ध हो जाता है। उसका 100% लॉस हो जाता है।

5. अपने मार्ग का निर्माण स्वयं कीजिए

हम सफल व्यक्तियों को अनुकरणीय उदाहरण मानकर उनकी ओर देखते हैं। हम अपने पिता, माता, भाई, बहन, दोस्त, बॉस, शिक्षक, मेंटर, और प्रसिद्ध लेखक, कलाकार, आंत्रपेन्यूर, लीडर, व बिजनेसमेन आदि से किसी-न-किसी रूप में प्रभावित होते हैं और उनके जैसा बनना चाहते हैं।

मैंने भी अतीत में यह किया है। अभी भी मैं कुछ लोगों जैसा बनना चाहता हूँ। दूसरों से सीखना जीवन में उन्नति करने का सबसे अच्छा उपाय है। दूसरे से सीखने के लायबक बनना भी बहुत बड़ा गुण है। इसके लिए अपने अहंकार को पीछे छोड़ना पड़ता है।

लेकिन इसमें एक समस्या है–  आप वे सभी व्यक्ति नहीं हैं। वे अलग हैं और आप अलग हो। उनका जीवन और उनकी सफलता उनकी अपनी है। वह आपका जीवन नहीं हो सकता।

ऐसे में आपके बस एक ही चीज़ बचती है: वह यह कि आप उनकी राह पर नहीं चलो। आप अपनी राह स्वयं बनाओ।

दूसरों की बनाई राह पर चलना बहुत आसान होता है। आपको यह पता होता है कि उन्होंने किन अवरोधों और कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन यह आपको परिपूर्णता की अनुभूति नहीं कराता। परिपूर्णता की अनुभूति का होना मनुष्य के लिए हर तरह की सुख-सुविधा, स्टेटस, और बहुत अधिक धन पास में होने से भी बड़ी उपलब्धि है।

इसीलिए मैं नवयुवकों से हमेशा यह कहता हूं कि उन्हें अनजान राहों पर चलने और उन कामों को करने से परहेज़ नहीं करना चाहिए जिन्हें कोई भी करने के लिए तैयार नहीं होता। उन्हें वहाँ जाना चाहिए जहाँ कोई नहीं जा रहा हो। उन्हें उस काम को हाथ में लेना चाहिए जिसे लोग सबसे कठिन बताकर छोड़ देते हैं।

आपको इस बात का पता कैसे चलता है कि आप किसी अनजान राह पर चल रहे हो? जब दुनिया भर के लोग आपको समझ नहीं पा रहे हों और आपको कुछ और करने के लिए कह रहे हों। यह इस बात का प्रमाण है कि आप जो कर रहे हैं वह सही है।

6. अपने जीवन और परिस्तिथियों का विरोध नहीं करें

जीवन बहुत ही रैंडम चीज़ है। आपका जन्म किसी और घर में क्यों नहीं हुआ? आप इस देश में ही क्यों जन्मे? आप किसी दूसरे स्कूल में क्यों नहीं पढ़ सके? क्यों, क्यों, क्यों?

मुझे पता है आपके पास इन प्रश्नों के कोई उत्तर नहीं हैं। क्योंकि यह सब चांस की बात है।

यह सोचने की बजाए कि ऐसा होता तो अच्छा होता, वैसा होता तो अच्छा होता, अपने जीवन की परिस्तिथियों को स्वीकार कर लीजिए। परिस्तिथियां कितनी ही बुरी क्यों न हों आप उनसे लड़ने में शक्ति व्यर्थ नहीं कर सकते।

जीवन में बहुत सी चीज़ों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता। इसे इस तरह से देखिए कि आज आप जीवन के जिस मोड़ पर हैं उसके पीछे कुछ कारण हैं। जीवन बहुत सी ज्ञात-अज्ञात अदृश्य शक्तियों द्वारा नियंत्रित होता है।

इससे कुछ फ़र्क नहीं पड़ता कि वे कौन सी ताकतें हैं जो आपको जीवन को संचालित करती हैं। किसी मोड़ पर जब जीवन आपसे कुछ करने के लिए कोई निर्णय लेने की अपेक्षा करे तो उठिए और कर्म कीजिए। जीवन से मुंह मत मोड़िए। किसी और को अपने जीवन के फैसले मत लेने दीजिए।

7. जीवन एक ही दिशा में आगे बढ़ता है

आप अपने मस्तिष्क में तीन अलग-अलग आयामों में रह सकते हैं

1.      अतीत

2.      भविष्य

3.      वर्तमान

यदि आप अतीतजीवी हैं तो आप हमेशा क्योंके चंगुल में फंसे हैं। आप हमेशा इसपर विचार करते रहते हैं कि जो कुछ भी हुआ वह क्यों हुआ। यह जीवन में दुःख को न्यौता देता है।

यदि आप भविष्य में जीते हैं तो आप यदिके चंगुल में फंसे हैं। आपकी मनःस्तिथि आपको उन बातों के बारे में चिंताग्रस्त रखती है जिनके भविष्य में होने की संभावना है। यह भी डर-डर के जीना है।

इन बातों के बारे में आप अच्छे से जानते हैं। आपको पता है कि जीवन एक ही वास्तविक आयाम में जिया जा सकता है। वर्तमान में।

तो फिर आप वर्तमान में क्यों नहीं जीते? क्योंकि अनगिनत कारक आपको वर्तमान में जीवन जीने से रोकते रहते हैं।

मुझे अतीत और भविष्य के चंगुल से निकालकर वर्तमान में जीवन जीने की प्रेरणा देने वाला विचार यह है: जीवन हमेशा आगे बढ़ता है – यह इस बात की परवाह नहीं करता कि मैं क्या सोचता या करता हूँ। इसीलिए मुझे उन बातों पर सोचविचार करके समय नष्ट नहीं करना चाहिए जिनपर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है।

अपनी भावनाओं को हाशिए पर रखकर थोड़ा प्रैक्टिकल होकर सोचिए। आप देखेंगे कि जीवन में परिस्तिथियों के वश में घटनेवाली घटनाओं पर प्रश्नचिह्न लगाने का कोई औचित्य नहीं है। हम हर परिस्तिथि में केवल आगे ही बढ़ सकते हैं।

ये वे बातें हैं जिन्हें आप जानते हैं। इन्हें आपने आज पहली बार नहीं पढ़ा है। ये सब आपको समय-समय पर बताई गई हैं लेकिन आप इनका संज्ञान नहीं लेते। इन बातों को मान लेने पर और इन्हें अपने जीवन में उतार लेने पर भी सफल और खुशहाल जीवन बिताने की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन यदि आप इन्हें मानते हैं तो जीवन के बेहतर होने की संभावनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं। इनका पालन करने पर आप आशान्वित बने रहते हैं, कठिनाइयों से हार नहीं मानते, अपनी राह खुद बनाते हैं, परिस्तिथियों का सामना करते हैं, अपने समय का सदुपयोग करते हैं, और जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए कर्म करते रहते हैं।

क्योंकि इन सिद्धांतो का एक ही लक्ष्य है: बेहतर और उपयोगी जीवन का निर्माण। इसमें किसी प्रकार का संदेह नहीं है।

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