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महान चित्रकार विन्सेंट वॉन गांग
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विन्सेंट ए फ्लैश बैक
- विनोद साव
चित्रकार और हमारे फेसबुक फ्रेंड गिलबर्ट
जोसेफ और उनके कलाकार बेटे पंकज, 4 मार्च 2020 को अपनी कार लेकर आ गए और बड़े आग्रहपूर्वक मुझे
रायपुर मुक्ताकाशी में ले गए; जहाँ अंतरराष्ट्रीय
चित्रकार वॉन गॉग पर निर्देशित एक नाटक खेला गया, जो एक
दमदार रिसर्च प्ले था।
19 वीं सदी के मशहूर डच आर्टिस्ट
विन्सेंट वॉन गॉग के जीवन पर आधारित नाटक है ‘विन्सेंट
ए फ्लैश बैक’। यह रायपुर में
प्रदर्शित इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़
के कलाकारों की बड़ी उम्दा प्रस्तुति थी। यह उनकी पाँचवीं
प्रस्तुति थी। इसके पहले मुम्बई में सफल प्रस्तुति हो चुकी
है और अगली प्रस्तुति बीकानेर में किए जाने की घोषणा मंच पर की गई।
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वॉन गांग की एक
मशहूर पेंटिंग 'गेहूं का खेत'
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अमूमन नाटकों की सबसे बड़ी समस्या उनकी
माइक व्यवस्था होती है, जिसके कारण नाटकों के
संवाद दर्शकों तक नहीं पहुँच पाते हैं। पर यहाँ निर्देशक ने इस बात का ध्यान रखा
और ध्वनि प्रसारण की ऐसी व्यवस्था रखी कि दर्शकों/श्रोताओं ने इसे सुना और इसकी
प्रस्तुति को सराहा व सफल बनाया। नाटक में ध्वनि के साथ-साथ
प्रकाश एवं संगीत सज्जा भी कथा के अनुकूल थी इसलिए भी इस दुखांत नाटक का सीधा असर
दर्शकों पर हुआ, जो उनके मन-मस्तिष्क को झकझोर गया।
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नाटक का सूत्रधार
पंडवानी गायक
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पिछले दिनों रायपुर फिल्म फेस्टिवल में
कुछ लघु-फिल्में दिखलाई गई थीं। उनके लिंक रायपुर की एक प्रशंसिका ने भेजे थे।
इनमें लेखिका अमृता प्रीतम और उनके चित्रकार पति इमरोज पर बनी एक लघु-फिल्म थी।
इसमें पति-पत्नी के अंतर-सम्बन्धों के बीच पति, पत्नी
और वह यानी साहिर की अंतरंग कथा को
आधार बनाया गया था। इसमें कलाकार की कला और रोमान के मध्य उपजे द्वन्द्व का प्रयोगात्मक चित्रण हुआ था।
इसे देखने के थोड़े दिनों बाद किसी
चित्रकार के जीवन पर बनी यह दूसरी कथा देखने को मिली- नाटक ‘विन्सेंट ए फ्लैश बैक’ में।
मैंने निर्देशक से पूछा था कि ‘विन्सेंट के जीवन पर एक
उपन्यास भी लिखा गया था इरविंग स्टोन द्वारा ‘लस्ट फॉर लाइफ’
(जीवन लिप्सा).. क्या आपके नाटक का कथानक उससे प्रभावित है?’
उन्होंने सहमति व्यक्त की और बताया कि ‘यह
उपन्यास मुझे खैरागढ़ विश्वविद्यालय के ग्रंथालय में प्राप्त हो गया था। इस उपन्यास
पर फिल्म भी बन चुकी है।’
नाटक के आरंभ में अपने मकान मालिक की
बेटी जेनी पर आसक्त होने के दृश्य हैं। विन्सेंट जेनी द्वारा नकारे जाने पर क्रोध
और
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नाटक में लाइट एंड साउंड का कमाल |
उत्तेजना में उसका गला पकड़कर चिल्लाता है ‘जेनी!
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।’
तब अपना गला छुड़ाते हुए जेनी भी गुस्से से कह
उठती है कि ‘तुम मुझे प्यार करते हो, वह तुम्हारा दोष है। मैं हर प्यार करने वाले आदमी से शादी तो नहीं कर सकती।’
नहीं अपनाने पर चोट खाया प्रेमी विन्सेंट एक दिन दुनिया का महान
चित्रकार बनता है। उसके जीवन में आईं एक अन्य विवाहित महिला के साथ भी नाटक में
विन्सेंट के जन्मदिन पर मद्यपान करने के कुछ दृश्य हैं। इन दृश्यों के जरिए
विन्सेंट के जीवन के अनेकों पृष्ठ खुलते चले जाते हैं।
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एक दृश्य में अपने
चित्रकार मित्रों से परामर्श
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विन्सेंट की कला और उसके दर्द को उसके
छोटे भाई थियो ने समझा और उसने दिलासा दी और उसकी
पेंटिंग्स के ग्राहक बनाकर उसे आर्थिक मजबूती दिलाई। विन्सेंट की मुलाकात अपने देश
हालैण्ड के वरिष्ठ चित्रकार अंतव माउव से हुई, जिन्होंने
उन्हें आगे बढ़ाया। माउव ने उसे कहा कि ‘विन्सेंट.. कला
वाहवाही पाने के सतही प्रयोगों से नहीं बल्कि गंभीर रचनाकर्म से ऊँचाई को हासिल करती है। तुम्हारे भीतर अपनी कला को ऊँचाई देने की पूरी
क्षमता है। तुम अब ड्राइंग और स्केच से बाहर निकलकर ऑइल पेंटिंग्स और पोर्ट्रेट पर
काम करो।’
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विन्सेंट वॉन गांग मुख्य अभिनेता
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विन्सेंट के कलाकर्म के प्रति समर्पण और
अपने समय से आगे निकल जाने के कारण पॉल गॉगा जैसे कुछ कला-समीक्षकों से उनके जमकर
मतभेद हुए, तब क्रोध में आकर विन्सेंट ने उन्हें
अपने घर से बाहर का रास्ता दिखाया। संभव है मूल्यांकन के अभाव में या यह किसी
सृजनशिल्पी के अपने समय से आगे निकल जाने की व्यथा होगी, जब
नाटक के अंत में विन्सेंट ने अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस तरह
उन्होंने सैंतीस बरस की कम उम्र में अपने जीवन का अंत तो कर लिया; पर अपने कला कर्म के केवल एक दशक की अल्पावधि में बड़ी कामयाबी हासिल कर
ली थी। सूरजमुखी, तारों भरी रात, गेहूँ के खेत पर कौव्वे, आइरिस, आलूहारी जैसी उनकी कई पेंटिंग्स हैं, जिन्हें हम यदा कदा देख तो पाते
हैं ,पर इस बात से अनजान होते हैं कि
ऐसे दुर्लभ पेंटिंग्स के विलक्षण कलाकार विन्सेंट वॉन गॉग थे। इनमें सूरजमुखी
ज्यादा जाना हुआ चित्र रहा। विन्सेंट कला के शहर पेरिस में रहे। उन्हें पेरिस की
धूप पसंद थी। इस धूप के पीलेपन का उनके चित्रों पर गहरा असर रहा। उनकी पेटिंग्स ‘सूरजमुखी’ और ‘गेहूँ के खेत’ में यह पीला रंग पूरे चटकपन के साथ चमकता
है।
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मुक्ताकाशी मंच रायपुर में नाटक के
प्रदर्शन के बाद परिचय देते कलाकार
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विन्सेंट वॉन गॉग के मुख्य किरदार की
भूमिका में डॉ. चैतन्य अठलावे अपने अभिनय से जान डाल देते हैं। उनमें अभिनय क्षमता
इतनी कूटकर भरी है कि वे फिल्मों के भी एक अच्छे चरित्र अभिनेता सिद्ध हो सकते हैं।
अपनी नुकीली नाक के कारण वे दिखते भी वॉन गॉग की तरह हैं। नाटक में अनेकों स्थान
पर झूमती हुई आकृतियों के माध्यम से चित्रकार के द्वंद्व और उसकी मानसिक उथलपुथल को दर्शाया गया है। नाटक के
युवा निर्देशक डॉ. आनंद कुमार पाण्डेय हैं। यह उनके नाट्य-निर्देशन की विशेषता कही
जा सकती है कि नाटक का सूत्रधार छत्तीसगढ़ी में पंडवानी गाते हुए एक महान चित्रकार
की दुखांत जीवन कथा को कहता है। रागी के साथ इसके संवाद बड़े चुटीले बन पड़े हैं।
मूल उपन्यास से लिए कुछ संवाद मार्मिक हैं। नाटक के सभी पात्र प्रभाव छोड़ते हैं।
सम्पर्क: मुक्तनगर, दुर्ग छत्तीसगढ़-491001, मो.9009884014, Email- vinod.sao1955@gmail.com
Labels: आलेख, विनोद साव
4 Comments:
धन्यवाद रत्ना जी आपने रचना को अच्छा डिस्प्ले किया है. यह संपादन में मेहनत का नतीजा है.
रोचक जानकारी देता अच्छा आलेख ।
रोचक जानकारी देता अच्छा आलेख ।
रोचक जानकारी देता अच्छा आलेख ।
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