उन दिनों आवाजाही के अधिक साधन नहीं थे। लोग अधिकतर पैदल ही सफर करते थे। रास्ता बहुत लम्बा था। गरमी भी बहुत थी। इसलिए राधा जल्दी ही थक गई। उसने सोचा, थोड़ा आराम कर लूँ। आराम करने के लिए वह एक वृक्ष के नीचे बैठ गई। घी की मटकी उसने एक तरफ रख दी। वृक्ष की शीतल छाया में बैठते ही राधा को नींद आ गई। जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा, घी की मटकी वहाँ नहीं थी। उसने घबरा कर इधर-उधर देखा। उसे थोड़ी दूर पर ही एक औरत अपने सिर पर मटकी लिये जाती दिखाई दी। वह उस औरत के पीछे भागी। उस औरत के पास पहुँच राधा ने अपनी मटकी झट पहचान ली।
राधा ने बहुत विनती की, परंतु उस औरत पर कुछ असर न हुआ। उसने राधा की एक न सुनी। राधा उसके साथ-साथ चलती नगर पहुँच गई। नगर में पहुँच कर राधा ने मटकी के लिए बहुत शोर मचाया। शोर सुनकर लोग एकत्र हो गए। लोगों ने जब पूछा तो उस औरत ने घी की मटकी को अपना बताया। लोग निर्णय नहीं कर पाए कि वास्तव में मटकी किसकी है। इसलिए वे उन दोनों को हाकिम की कचहरी में ले गए।
"तुम्हारे पास यह घी कहाँ से आया? और इसने कैसे चुरा लिया?" हाकिम ने पूछा।
"मेरे पास एक भेड़ है। उसी के दूध से मैने यह घी जमा किया है। रास्ते में आराम करने के लिए मैं एक वृक्ष की छाया में बैठी तो मुझे नींद आ गई। तभी यह औरत मेरी मटकी उठा कर चलती बनी।"
हाकिम ने उस औरत से पूछा तो वह बोली, " हुजूर, आप ठीक-ठीक न्याय करें। मैने पिछले माह ही एक गाय खरीदी है, जो बहुत दूध देती है। मैने यह घी अपनी गाय के दूध से ही तैयार किया है। ज़रा सोचिए, एक भेड़ रखने वाली औरत एक मटकी घी कैसे जमा कर सकती है? "
हाकिम भी दोनों की बातें सुनकर दुविधा में पड़ गया। वह भी निर्णय नहीं कर पा रहा था कि वास्तव में घी की मटकी किसकी है। उसने दोनों औरतों से पूछा, "क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है?"
दोनों ने कहा कि उनके पास कोई सबूत नहीं है।
दोनों को एक-एक लोटा पानी दे दिया गया। राधा ने तो उस एक लोटा पानी में से ही अपने हाथ-पाँव धोकर थोड़ा-सा पानी बचा लिया। परंतु गाय वाली वह औरत एक लोटा पानी से हाथ भी साफ नहीं कर पाई। उसने कहा, "इतने पानी से क्या होता है! मुझे तो एक बाल्टी पानी दो, ताकि मैं ठीक से हाथ-पाँव धो सकूँ।"
हाकिम के आदेश से उसे और पानी दे दिया गया।
सब लोग हाकिम के न्याय से बहुत खुश हुए; क्योंकि उन्होंने स्वयं देख लिया था कि भेड़ वाली औरत ने कितने संयम से सिर्फ़ एक लोटा पानी से ही हाथ-पाँव धो लिये थे। गाय वाली औरत में संयम नाम मात्र को भी नहीं था। वह भला घी कैसे जमा कर सकती थी।
No comments:
Post a Comment