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Mar 8, 2020

माँ

 माँ   
- डॉ.आरती स्मित

वह गूँध रही खुशियाँ और सपने
काट रही बाधाएँ
झाड़ रही मन के मैल
बुहार रही घर के क्लेश
और अब
धुल रही बासी सोच
चमका रही मेधा

उसने सहेजीं संवेदनाएँ
ठीक कीं सिलवटें विचारों की
समेट दिए अविश्वास
धुल दिए मन-प्राण सबके
और  अब
लिख रही लेखा-जोखा
वर्तमान और भविष्य का

वह हटा रही अपनी आरजू
सजा रही  गौरव बच्चों का
उम्मीदों और सपनों को भी
 और अब
उखाड़कर खर-पतवार
बना दी है समतल राह।

वह
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना!
सबसे प्यारा संबंध
और संबोधन ... 

Email- dr.artismit@gmail.com

4 comments:

Om Sapra said...

उत्तम कविता।
ईश्वर की सर्वोत्तम रचना मां।
बधाई।
ओम सप्रा

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बहुत सुन्दर रचना। बधाई।

Unknown said...

बेहतरीन कविता, हार्दिक बधाई ।

RUBY said...

बहुत सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई