हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को नागपंचमी को त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी का त्योहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। नाग हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस दिन नाग देवता की पूजा कर भक्त अपने लिए सुख, समृद्धि और सुरक्षा का वरदान मांगते हैं।
वास्तव में देखा जाए तो नाग हमारी कृषि-संपदा की कृषिनाशक जीवों व कीटों से रक्षा करते हैं। पर्यावरण के संतुलन में नागों की महत्त्वपूर्ण होती है। अतः छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य प्रदेशों में नागपंचमी का पर्व कृषक जीवन से भी जुड़ा हुआ है। नागों की सुरक्षा करना यानी अपनी कृषि-संपदा और समृद्धि को सुरक्षित करना है। यही वजह है कि जब किसी को सार्वजनिक जगह में साँप दिखाई देता है, तो उसे मारने के लिए मना किया जाता है। जहरीला जीव होने की बाद भी इसे इसीलिए जीवित रखा जाता है; क्योंकि ये हमारे खेतों में खड़ी फसल को चूहों व अन्य विनाशकारी जंतुओँ से रक्षा करते हैं।
छत्तीसगढ़ में आज के दिन घर की दीवार पर साँप का चित्र बनाकर उसकी पूजा करते हैं। छोटे बच्चे अपनी स्कूल की स्लेट में साँप बनाकर पूजा करते हैं। प्रतिबंध के कारण अब सपेरे अपनी टोकरी में साँप लेकर नहीं घूमते ,अन्यथा एक समय था जब नागपंचमी के दिन घर-घर घूम कर वे दान प्राप्त करते थे। घरों में भी गृहणियाँ उनके लिए कच्चा दूध अलग से रखती थी और कटोरी में रखकर साँप को पिलाती थी। यदि किसी सर्प ने अपनी जीभ निकालकर दूध पी लिया तो वे अपनी पूजा को सार्थक मानती थीं।

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