
Aug 12, 2015
कथ्य और पथ्य

एक बच्चे की जिम्मेदारी आप भी लें
अभिनव प्रयास- माटी समाज सेवी संस्था, जागरुकता अभियान के क्षेत्र में काम करती रही है। इसी कड़ी में गत कई वर्षों से यह संस्था बस्तर के जरुरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए धन एकत्रित करने का अभिनव प्रयास कर रही है। बस्तर कोण्डागाँव जिले के कुम्हारपारा ग्राम में बरसों से आदिवासियों के बीच काम रही 'साथी समाज सेवी संस्था' द्वारा संचालित स्कूल 'साथी राऊंड टेबल गुरूकुल' में ऐसे आदिवासी बच्चों को शिक्षा दी जाती है जिनके माता-पिता उन्हें पढ़ाने में असमर्थ होते हैं। इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ परंपरागत कारीगरी की नि:शुल्क शिक्षा भी दी जाती है। प्रति वर्ष एक बच्चे की शिक्षा में लगभग चार हजार रुपये तक खर्च आता है। शिक्षा सबको मिले इस विचार से सहमत अनेक जागरुक सदस्य पिछले कई सालों से माटी समाज सेवी संस्था के माध्यम से 'साथी राऊंड टेबल गुरूकुल' के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेते आ रहे हैं। प्रसन्नता की बात है कि नये साल से एक और सदस्य हमारे परिवार में शामिल हो गए हैं- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' नई दिल्ली, नोएडा से। पिछले कई वर्षों से अनुदान देने वाले अन्य सदस्यों के नाम हैं- प्रियंका-गगन सयाल, मेनचेस्टर (यू.के.), डॉ. प्रतिमा-अशोक चंद्राकर रायपुर, सुमन-शिवकुमार परगनिहा, रायपुर, अरुणा-नरेन्द्र तिवारी रायपुर, डॉ. रत्ना वर्मा रायपुर, राजेश चंद्रवंशी, रायपुर (पिता श्री अनुज चंद्रवंशी की स्मृति में), क्षितिज चंद्रवंशी, बैंगलोर (पिता श्री राकेश चंद्रवंशी की स्मृति में)। इस प्रयास में यदि आप भी शामिल होना चाहते हैं तो आपका तहे दिल से स्वागत है। आपके इस अल्प सहयोग से एक बच्चा शिक्षित होकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल तो होगा ही साथ ही देश के विकास में भागीदार भी बनेगा। तो आइए देश को शिक्षित बनाने में एक कदम हम भी बढ़ाएँ। सम्पर्क- माटी समाज सेवी संस्था, रायपुर (छ. ग.) 492 004, मोबा. 94255 24044, Email- drvermar@gmail.com
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लेखकों सेः उदंती.com एक सामाजिक- सांस्कृतिक वेब पत्रिका है। पत्रिका में सम- सामयिक लेखों के साथ पर्यावरण, पर्यटन, लोक संस्कृति, ऐतिहासिक- सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े लेखों और साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे कहानी, व्यंग्य, लघुकथाएँ, कविता, गीत, ग़ज़ल, यात्रा, संस्मरण आदि का भी समावेश किया गया है। आपकी मौलिक, अप्रकाशित रचनाओं का स्वागत है। रचनाएँ कृपया Email-udanti.com@gmail.com पर प्रेषित करें।

4 comments:
अनावश्यक बयानबाज़ी से सुर्ख़ियों में रहना एक फ़ैशन सा बनता जा रहा है। इसके लिए मीडिया की भूमिका भी काफ़ी हद तक नकारात्मक ही कही जा सकती है। TRP के चक्कर में सतही ख़बरों और चेहरों को प्रमुखता देना आजकल के हिन्दी ख़बरिया चैनलों की आदत बन चुकी है। अब पाठकों और श्रोताओं को ऐसी ख़बरों का बहिष्कार कर एक सख़्त सन्देश देने की आवश्यकता है। तभी इन भौंकने वालों को एक ही जन्म में दो जन्मों का आनंद लेने से हम रोक सकते हैं। आदरणीय हिमांशु महोदय के संकेतों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
आज के जीवन की यही सत्यता है कि सब को अपनी बात से मतलब है ।मैं के भाव ने इन्सान को इतना संकुचित कर दिया कि वह मात्र स्वयं हित की बात ही सोचता है ।अपनी बात कही बात खत्म ।दूसरा जाये भाड में ।यही नियति है जो समाज की जडें खोखली कर रही है।
हिमांशु सर के विषय ने चिन्तन के दायरे को तो विशाल किया ही है साथ ही हमें सचेत भी किया है कि वक्ता के साथ साथ अच्छे श्रोता भी बनना चाहिये ।
Lagam dena jaruri hai bahut achha lekh hai sach hai kuchh logon ko prsidhi chaiye vo kuch bhi karenge ..kamboj ko hardik badhai..
अपनी ढोलक बजा कर अपना बेसुरा राग गा जाओ...दूसरे के सुर-ताल से हमको क्या लेना-देना...कुछ लोग इसी मनोवृति के होते हैं...| ऐसे लोगों पर बहुत सटीक व्यंग्य किया गया है आदरणीय काम्बोज जी द्वारा...|
हर इंसान अपनी बात कहना चाहता है, पर कितना कहना है, कब और कैसे कहना है, यह तय करने के साथ-साथ उसे अपने सामने वाले की बात भी तो उतने ही धैर्य और ध्यान से सुननी चाहिए न...| पर जो लोग ऐसे होते हैं, उन्होंने सुधारना सीखा ही नहीं...|
कुल मिला कर सिर्फ बातों की जुगाली करने वाले ऐसे स्वार्थी, मतलबपरस्त और राजनीतिबाज लोगों पर इस कटाक्ष को पढ़ कर बेहद आनंद आया...| आदरणीय काम्बोज जी को मेरी हार्दिक बधाई...|
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