उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Nov 27, 2010

जड़ी- बूटी

अब नहीं कहना पड़ेगा चीनी कम है
लैटिन अमेरिकी देश पराग्वे में पाई जाने वाली स्टेविया नामक जड़ी- बूटी जिसे चीनी के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है अब भारत आ रही है। इसकी विशेषता यह है कि यह चीनी से भी अधिक मीठी है और इसे अपने घर की छोटी सी बगिया में भी उगाया जा सकता है।
स्टेविया बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सौरव अग्रवाल के अनुसार 'यदि आपने स्टेविया को चख लिया है, तो आपको इसकी मिठास का अंदाजा होगा। स्टेविया की पत्तियों से निकाला गया सफेद रंग का पाउडर चीनी से लगभग 200 से 300 गुना अधिक मीठा होता है।'
पर आप डरिए नहीं अधिक मीठी होने का मतलब अधिक नुकसानदायक नहीं बल्कि यह शून्य कैलोरी स्वीटनर है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसे हर जगह चीनी के बदले इस्तेमाल किया जा सकता है। पराग्वे में स्टेविया को सदियों से स्वीटनर और स्वादवर्धक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
खुशी की बात है कि कंपनी स्टेविया की खेती को बढ़ावा देने हेतु भारतीय कृषि मंत्रालय से संबंधित विभिन्न विभागों से संपर्क किया है।
स्टेविया डॉट नेट के अनुसार, 'स्टेविया का एक सफल उत्पादक बनने के लिए आपको कोई दक्षिण अमेरिकी किसान होना जरूरी नहीं है। हालांकि, इस वनस्पति का मूल स्थान दक्षिण अमेरिका होने के कारण यह कुछ मामले में बाहरी लग सकती है, लेकिन यह साबित हो चुका है कि इसे किसी भी जलवायु में उगाया जा सकता है।'
इन सब बातों से जाहिर है कि हमारे देश की जलवायु इस वनस्पति की खेती के लिए उपयुक्त है। फिर भी कुछ टेस्ट तो करने ही होंगे। स्टेविया की व्यावसायिक खेती के लिए तापमान, मिट्टी की किस्म, पानी की किस्म व उसकी उपलब्धता और अच्छी गुणवत्ता वाली अधिकतम उत्पादन देने वाली स्टेविया जैसे कारक को सुनिश्चित कर लेना जरूरी होता है।
अभी तो सिर्फ बातचीत शुरु की गई है लेकिन यदि इसकी खेती करना भारत में संभव हो पाया तो उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में चीनी की महंगाई से त्रस्त जनता को राहत मिलेगी।

1 comment:

सहज साहित्य said...

उदन्ती के माध्यम से पाठकों तक जो जानकारी पँचती है वह दुर्लभ है ।