खुशहाली और विकास का काल छत्तीसगढ़
- सुखदेव कोरेटी, प्रकाश पांडेय
दस वर्ष पूर्व 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना से अब तक का काल राज्य में आम जनता की बेहतरी, खुशहाली और विकास का काल कहा जा सकता है। राज्य निर्माण के पूर्व विकास के लिए यह पिछड़ा क्षेत्र देश का 26 वां राज्य, छत्तीसगढ़ के रूप में स्थापित होने के बाद अपनी विशिष्ट उपलब्धियों के कारण न सिर्फ अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रहा है बल्कि कई क्षेत्रों में देश का अग्रणी राज्य साबित हो रहा है। विशेषकर विगत 7 वर्षों का काल तो जैसे समृद्धि व विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है।
यदि नक्सली समस्या को छोड़ दिया जाए तो रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व का यह काल राज्य में मानो प्राचीन भारत के गुप्त काल की याद दिलाता है। आज दूसरे प्रांतों से आने वाला हर व्यक्ति छत्तीसगढ़ की खुशहाली व प्रगति की चर्चा करता है। वह यहां के विकास को देखकर 'वाह रमन सिंह-वाह छत्तीसगढ़' कहे बिना नहीं रह पाता।
आज लोगों के बीच बस यही चर्चा है कि राज्य में विगत वर्षों में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं, विकास हुए हैं। विकास क्या है ? विकास यानी पहले से बेहतर स्थिति। चाहे वह क्षेत्र शिक्षा का हो या चिकित्सा का, कृषि का हो या उद्योग का या फिर खेल का, महिला सशक्तिकरण की बात हो या पर्यावरण के प्रति जागरूकता की, जीवन स्तर में सुधार की हो या प्रति व्यक्ति आय की।
यदि किसी क्षेत्र या प्रदेश के लोगों का जीवन स्तर सुधरा है तो इसका अर्थ यही है कि उस क्षेत्र तथा वहां के लोगों का विकास हुआ है। यदि किसी क्षेत्र की जनता खुशहाल है, उनमें संतोष है, भाई चारा है, राज्य में अमन चैन है तो इसका मतलब साफ है कि वहां विकास हुआ है। छत्तीसगढ़ के साथ आज यही बातें लागू हो रही हैं। विगत वर्षों में राज्य ने अनेक क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित करने में सफलता पाई है।
वास्तव में छत्तीसगढ़ में हुआ विकास केवल सम्पन्न व समर्थों का विकास नहीं है बल्कि दूर- दराज क्षेत्रों में समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े वंचित व उपेक्षित जनों का विकास है-अनुसूचित जाति, जनजाति व आदिवासियों का विकास है। याने 'सबके साथ सबका विकास'। 'सबके साथ सबका विकास' राज्य सरकार का नारा मात्र नहीं है बल्कि हकीकत में परिणित होता हुआ सपना है जिसे राज्य सरकार ने कभी देखा था। जो उसकी विभिन्न योजनाओं में परिलक्षित होता है।
आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के क्षेत्र में राज्य में प्रशंसनीय कार्य हुए हैं। चाहे वह रोटी, कपड़ा और मकान की बात हो या स्वास्थ्य व शिक्षा में बेहतरी की। खेल सुविधाओं से लेकर रोजगार के अवसर बढ़े हैं। केवल गौरव पथ का निर्माण नहीं हुआ है बल्कि राज्य का गौरव भी बढ़ा है।
शिक्षा का विकास से नजदीकी संबंध है। जहां शिक्षा है वहां विकास है। इस दृष्टि से छत्तीसगढ़ की रफ्तार तेज है चाहे वह स्कूली शिक्षा की बात हो या उच्च शिक्षा की, चिकित्सा शिक्षा की बात हो या तकनीकी शिक्षा की, प्राथमिक शिक्षा की बात हो या माध्यमिक शिक्षा की, बालिका शिक्षा की बात हो या साक्षरता की। राज्य निर्माण के बाद सभी क्षेत्रों में तरक्की हुई है। राज्य निर्माण के पश्चात हजारों स्कूल, आश्रम छात्रावास, कन्या शालाएं खोली गई हैं। प्रत्येक गांव में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था, प्रत्येक 3 कि.मी. में पूर्व माध्यमिक शाला तथा आवश्यकतानुसार हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों की स्थापना सरकार की प्राथमिकता रही है। फलस्वरूप प्राथमिक कक्षाओं में दर्ज संख्या बढ़ी है। सम्मिलित प्रयासों से राज्य में साक्षरता दर में निरन्तर वृद्धि हुई। स्कूली बालिकाओं को नि:शुल्क कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने का कार्यक्रम सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत वर्ष 2009-2010 में 78,000 छात्राओं को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया गया।
बिजली, आधुनिक युग में विकास का एक प्रमुख आधार है, मापदण्ड है। बिजली की आवश्यकता उद्योगों के लिए भी उतनी ही है जितना किसान, विद्यार्थियों व गृहणियों के लिए। राज्य में यदि विद्युत उत्पादन पर्याप्त है, विद्युत की उपलब्धता है तो इसका अर्थ यह माना जायेगा कि राज्य में विकास निरन्तर हो रहा है। उद्योगों तथा किसानों के लिए अनुकूल वातावरण है। एक ओर जहां अन्य प्रदेशों में विद्युत आपूर्ति की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन राज्यों में अनेक क्षेत्रों में दिन-दिनभर तथा अनेक क्षेत्रों में रात में भी विद्युत की आपूर्ति नहीं होती। वहीं छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जो वर्ष 2008 में ही विद्युत कटौती मुक्त राज्य बन गया है। इतना ही नहीं राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत की खपत बढ़ी है। एक ओर जहां दस वर्ष पूर्व प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 354 यूनिट थी, वर्ष 2009 में बढ़कर 838 यूनिट प्रति व्यक्ति हो गई। इस तरह यहां प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 25 यूनिट राष्ट्रीय स्तर प्रति व्यक्ति खपत से अधिक है। यह राज्य और यहां के रहवासियों के लिए अच्छा संकेत है, संतोष व प्रशंसा का विषय है।
जहां तक स्वास्थ्य सुविधाओं की बात है काफी उपलब्धियां हासिल की है छत्तीसगढ़ ने। इसका एक उदाहरण यह है कि जहां वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ में प्रति हजार शिशु मृत्यु दर 79 थी अब घटकर 57 रह गयी है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के करीब है। उसी तरह स्वास्थ्य सुविधाओं व बेहतरी के कारण मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 335 रह गई है। राज्य में कुपोषण दर में भी कमी आई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले करीब 10 लाख से अधिक
परिवारों को स्मार्ट कार्ड जारी कर महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधा व बीमारियों से लडऩे के लिए सक्षम बनाने का प्रयास किया गया है।
पीपली लाइव का नत्था छत्तीसगढ़ी जरूर है लेकिन छत्तीसगढ़ में पीपली लाइव जैसे हालात नहीं है। क्योंकि छत्तीसगढ़ देश में सबसे कम 3 प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को ब्याज उपलब्ध कराने वाला पहला राज्य है। 5 हॉर्स पावर तक के प्रदेश के पंपधारी किसानों को एक वर्ष में 6 हजार यूनिट बिजली मुफ्त देने, सिंचाई की कारगर व्यवस्था तथा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के कारण यहां के किसान खुशहाल व समृद्ध हुए हैं।
मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना राज्य सरकार की अत्यंत महत्वाकांक्षी व कल्याणकारी योजनाओं में से है। जिसके जरिये छत्तीसगढ़ के करीब 36 लाख गरीब परिवारों को 1 व 2 रुपए प्रति किलो की दर से हर माह 35 किलो अनाज तथा 2 किलो नमक मुफ्त दिया जाता है। अब तो जुलाई 2010 से ए.पी.एल. परिवारों को भी क्रमश: 13 व 10 रु. प्रति किलो की दर से हर माह 15-15 किलो चावल व गेहूं उपलब्ध कराया जाता है।
राज्य सरकार की इन योजनाओं के कारण राज्य अब भुखमरी शून्य, राज्य बन गया है। भूख से मुक्ति दिलाने का यह सरकार का भागीरथी प्रयास है।
सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से विकास दर के मामले में छत्तीसगढ़ ने उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड तथा गुजरात जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों के अनुसार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 11.49 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 09-10 में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद दर 9.4 प्रतिशत है। यह विकास के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राज्य सरकार की सर्व जनहितकारी नीतियों व योजनाओं के चलते राज्य में प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 10 वर्ष पूर्व जहां प्रति व्यक्ति आय 10,125 रुपए थी वह 2010 में बढ़कर 38,553 रु. हो गई है। यह उल्लेखनीय वृद्धि है। साथ ही राज्य की जनता की बेहतरी का प्रमाण भी।
37वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन तथा इंडिया एवं एशिया रीजन राष्ट्रकुल चतुर्थ संसदीय सम्मेलन जैसे आयोजनों का जिम्मा लेना राज्य के बुलंद हौसले का परिचायक है।
- सुखदेव कोरेटी, प्रकाश पांडेय
किसी क्षेत्र या प्रदेश के लोगों का जीवन स्तर सुधरा है तो इसका अर्थ यही है कि उस क्षेत्र तथा वहां के लोगों का विकास हुआ है। यदि किसी क्षेत्र की जनता खुशहाल है, उनमें संतोष है, भाई चारा है, राज्य में अमन चैन है तो इसका मतलब साफ है कि वहां विकास हुआ है। छत्तीसगढ़ के साथ आज यही बातें लागू हो रही हैं।
यदि नक्सली समस्या को छोड़ दिया जाए तो रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व का यह काल राज्य में मानो प्राचीन भारत के गुप्त काल की याद दिलाता है। आज दूसरे प्रांतों से आने वाला हर व्यक्ति छत्तीसगढ़ की खुशहाली व प्रगति की चर्चा करता है। वह यहां के विकास को देखकर 'वाह रमन सिंह-वाह छत्तीसगढ़' कहे बिना नहीं रह पाता।
आज लोगों के बीच बस यही चर्चा है कि राज्य में विगत वर्षों में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं, विकास हुए हैं। विकास क्या है ? विकास यानी पहले से बेहतर स्थिति। चाहे वह क्षेत्र शिक्षा का हो या चिकित्सा का, कृषि का हो या उद्योग का या फिर खेल का, महिला सशक्तिकरण की बात हो या पर्यावरण के प्रति जागरूकता की, जीवन स्तर में सुधार की हो या प्रति व्यक्ति आय की।
यदि किसी क्षेत्र या प्रदेश के लोगों का जीवन स्तर सुधरा है तो इसका अर्थ यही है कि उस क्षेत्र तथा वहां के लोगों का विकास हुआ है। यदि किसी क्षेत्र की जनता खुशहाल है, उनमें संतोष है, भाई चारा है, राज्य में अमन चैन है तो इसका मतलब साफ है कि वहां विकास हुआ है। छत्तीसगढ़ के साथ आज यही बातें लागू हो रही हैं। विगत वर्षों में राज्य ने अनेक क्षेत्रों में विकास के नए आयाम स्थापित करने में सफलता पाई है।
वास्तव में छत्तीसगढ़ में हुआ विकास केवल सम्पन्न व समर्थों का विकास नहीं है बल्कि दूर- दराज क्षेत्रों में समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े वंचित व उपेक्षित जनों का विकास है-अनुसूचित जाति, जनजाति व आदिवासियों का विकास है। याने 'सबके साथ सबका विकास'। 'सबके साथ सबका विकास' राज्य सरकार का नारा मात्र नहीं है बल्कि हकीकत में परिणित होता हुआ सपना है जिसे राज्य सरकार ने कभी देखा था। जो उसकी विभिन्न योजनाओं में परिलक्षित होता है।
आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के क्षेत्र में राज्य में प्रशंसनीय कार्य हुए हैं। चाहे वह रोटी, कपड़ा और मकान की बात हो या स्वास्थ्य व शिक्षा में बेहतरी की। खेल सुविधाओं से लेकर रोजगार के अवसर बढ़े हैं। केवल गौरव पथ का निर्माण नहीं हुआ है बल्कि राज्य का गौरव भी बढ़ा है।
शिक्षा का विकास से नजदीकी संबंध है। जहां शिक्षा है वहां विकास है। इस दृष्टि से छत्तीसगढ़ की रफ्तार तेज है चाहे वह स्कूली शिक्षा की बात हो या उच्च शिक्षा की, चिकित्सा शिक्षा की बात हो या तकनीकी शिक्षा की, प्राथमिक शिक्षा की बात हो या माध्यमिक शिक्षा की, बालिका शिक्षा की बात हो या साक्षरता की। राज्य निर्माण के बाद सभी क्षेत्रों में तरक्की हुई है। राज्य निर्माण के पश्चात हजारों स्कूल, आश्रम छात्रावास, कन्या शालाएं खोली गई हैं। प्रत्येक गांव में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था, प्रत्येक 3 कि.मी. में पूर्व माध्यमिक शाला तथा आवश्यकतानुसार हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों की स्थापना सरकार की प्राथमिकता रही है। फलस्वरूप प्राथमिक कक्षाओं में दर्ज संख्या बढ़ी है। सम्मिलित प्रयासों से राज्य में साक्षरता दर में निरन्तर वृद्धि हुई। स्कूली बालिकाओं को नि:शुल्क कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने का कार्यक्रम सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत वर्ष 2009-2010 में 78,000 छात्राओं को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया गया।
बिजली, आधुनिक युग में विकास का एक प्रमुख आधार है, मापदण्ड है। बिजली की आवश्यकता उद्योगों के लिए भी उतनी ही है जितना किसान, विद्यार्थियों व गृहणियों के लिए। राज्य में यदि विद्युत उत्पादन पर्याप्त है, विद्युत की उपलब्धता है तो इसका अर्थ यह माना जायेगा कि राज्य में विकास निरन्तर हो रहा है। उद्योगों तथा किसानों के लिए अनुकूल वातावरण है। एक ओर जहां अन्य प्रदेशों में विद्युत आपूर्ति की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इन राज्यों में अनेक क्षेत्रों में दिन-दिनभर तथा अनेक क्षेत्रों में रात में भी विद्युत की आपूर्ति नहीं होती। वहीं छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जो वर्ष 2008 में ही विद्युत कटौती मुक्त राज्य बन गया है। इतना ही नहीं राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत की खपत बढ़ी है। एक ओर जहां दस वर्ष पूर्व प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 354 यूनिट थी, वर्ष 2009 में बढ़कर 838 यूनिट प्रति व्यक्ति हो गई। इस तरह यहां प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 25 यूनिट राष्ट्रीय स्तर प्रति व्यक्ति खपत से अधिक है। यह राज्य और यहां के रहवासियों के लिए अच्छा संकेत है, संतोष व प्रशंसा का विषय है।
जहां तक स्वास्थ्य सुविधाओं की बात है काफी उपलब्धियां हासिल की है छत्तीसगढ़ ने। इसका एक उदाहरण यह है कि जहां वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ में प्रति हजार शिशु मृत्यु दर 79 थी अब घटकर 57 रह गयी है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के करीब है। उसी तरह स्वास्थ्य सुविधाओं व बेहतरी के कारण मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 335 रह गई है। राज्य में कुपोषण दर में भी कमी आई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले करीब 10 लाख से अधिक
परिवारों को स्मार्ट कार्ड जारी कर महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधा व बीमारियों से लडऩे के लिए सक्षम बनाने का प्रयास किया गया है।
पीपली लाइव का नत्था छत्तीसगढ़ी जरूर है लेकिन छत्तीसगढ़ में पीपली लाइव जैसे हालात नहीं है। क्योंकि छत्तीसगढ़ देश में सबसे कम 3 प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को ब्याज उपलब्ध कराने वाला पहला राज्य है। 5 हॉर्स पावर तक के प्रदेश के पंपधारी किसानों को एक वर्ष में 6 हजार यूनिट बिजली मुफ्त देने, सिंचाई की कारगर व्यवस्था तथा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के कारण यहां के किसान खुशहाल व समृद्ध हुए हैं।
मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना राज्य सरकार की अत्यंत महत्वाकांक्षी व कल्याणकारी योजनाओं में से है। जिसके जरिये छत्तीसगढ़ के करीब 36 लाख गरीब परिवारों को 1 व 2 रुपए प्रति किलो की दर से हर माह 35 किलो अनाज तथा 2 किलो नमक मुफ्त दिया जाता है। अब तो जुलाई 2010 से ए.पी.एल. परिवारों को भी क्रमश: 13 व 10 रु. प्रति किलो की दर से हर माह 15-15 किलो चावल व गेहूं उपलब्ध कराया जाता है।
राज्य सरकार की इन योजनाओं के कारण राज्य अब भुखमरी शून्य, राज्य बन गया है। भूख से मुक्ति दिलाने का यह सरकार का भागीरथी प्रयास है।
सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से विकास दर के मामले में छत्तीसगढ़ ने उड़ीसा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड तथा गुजरात जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों के अनुसार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 11.49 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 09-10 में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद दर 9.4 प्रतिशत है। यह विकास के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राज्य सरकार की सर्व जनहितकारी नीतियों व योजनाओं के चलते राज्य में प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 10 वर्ष पूर्व जहां प्रति व्यक्ति आय 10,125 रुपए थी वह 2010 में बढ़कर 38,553 रु. हो गई है। यह उल्लेखनीय वृद्धि है। साथ ही राज्य की जनता की बेहतरी का प्रमाण भी।
37वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन तथा इंडिया एवं एशिया रीजन राष्ट्रकुल चतुर्थ संसदीय सम्मेलन जैसे आयोजनों का जिम्मा लेना राज्य के बुलंद हौसले का परिचायक है।
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