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Mar 17, 2019

हे मातृभूमि !


हे मातृभूमि !
- राम प्रसाद बिस्मिल
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ

मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।


माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ;

जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।


जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;

उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।


माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;

करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।


सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;

वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।

तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।

मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।

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