गिरीश पंकज
उस दिन हिंदुस्तान बनाम भारत
की मुलाकात खुराफात के लिए चर्चित पाकिस्तान से हो गई। हिंदुस्तान ने उसके कंधे पर
हाथ रखते हुए कहा,
"मेरे छोटे भाई ! तुम्हारे यहाँ न तो ठीक से खाने के लिए है, और न पीने के लिए, लेकिन तुम लोग का कलेजा बहुत
बड्डा है। कमाल ही करते हो।"
अपनी तारीफ सुनकर पाकिस्तान फूल कर चीन टाइप का चौड़ा हो गया। वह बोला,
"हमारी तो बात ही निराली है। वैसे, तुम
कहना क्या चाहते हो ? मैं ठीक से समझ नहीं सका?"
हिंदुस्तान
ने कहा, " हम
कहना यह चाहते हैं बंधु कि तुम खाली पेट रह कर भी भारत में आए दिन जो आतंकवाद की
गंदगी फैलाने की कोशिश करते रहते हो न,वह देखकर हम सोचते हैं
कि तुम लोग ऐसा कब तक करोगे और आख़िर करते ही क्यों हो? अमन
चैन से रहते क्यों नहीं? ...इससे तुम लोगों को क्या फायदा पहुँचताहै
?"
पाकिस्तान
ने दाँत निपोरते हुए कहा,
"इससे हमें बड़ा सुख मिलता है । बड़ा मजा आता है। हमको लगता है
कि ऊपर वाला खुश होगा। शाबाशी देगा। सुना है कि जन्नत में हूरें होती है। हमारे
आतंकवादी लोगों को मारने के बाद जब एक दिन मरेंगे तो सीधे हूरों के पास जाएँगे। तो
हम लोग एक बड़ा काम करते हैं। धीरे-धीरे अपने लोगों को हूरों के पास भेज रहे हैं, और क्या।"
"लेकिन ऐसा करते वक्त तुम लोग यह नहीं सोचते कि भारत देश के निर्दोष लोग
मारे जाते हैं। ऐसा खून- खराबा देखकर ऊपरवाला तो नाराज ही होता होगा। और तुम सबके
लिए दोजख में यानी नरक में जगह तैयार करके रखता होगा?"
भारत
की बात सुनकर पाकिस्तान ने कहा,
"नहीं, हम ऐसा नहीं सोचते। हमें पता है
कि अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी। और हम हिंदुस्तान के लोगों की कुर्बानी देकर
अल्लाह को खुश करते हैं ।"
हिंदुस्तान
ने हँसते हुए कहा,
"अगर कुर्बानी देनी है ,तो अपनी ही दो
न!! दूसरों की क्यों देते हो ?"
पाकिस्तान
ने कहा," यही
तो मजा है। दूसरों की कुर्बानी देने से ऊपरवाला खुश होता है।"
हिंदुस्तान ने कहा, "इसका मतलब है, तुमने ऊपर वाले को ठीक से समझा नहीं है। तुम्हारा ऊपरवाला हो, चाहे हमारा ऊपरवाला, किसी को खून -खराबा पसंद नहीं।
सब अमन- चैन चाहते हैं। पता नहीं, तुमने किस किताब में गलत-
सलत पढ़ लिया है कि ऊपर वाले को हिंसा पसंद है। अरे, ऊपरवाला
प्रेम का भूखा होता है। उसे करुणा चाहिए। उसे दया
चाहिए ।उसे सद्भावना चाहिए। वह दुर्भावना की खेती करने वालों को नापसंद करता है।
और तुम लोग पिछले सत्तर सालों से दुर्भावना की खेती किए जा रहे हो। कभी हमारे देश
में आकर आतंकवाद फैलाते हो और कभी अपने देश में भी बेकसूरों की जान लेते रहते हो।
धन्य है तुम्हारी सोच।"
अब
पाकिस्तान थोड़ा
गुस्से में आ गया। उसने कहा, "बहुत देर से मैं तुम्हारी
बकवास सुन रहा हूँ। हमें मत सिखाओ। तुम्हारे यहाँ महावीर हुए, बुद्ध हुए
।स्वामी विवेकानंद हुए। और वो क्या कहते हैं... हाँ, महात्मा
गांधी हो गए। इन सब लोगों के कारण तुम लोग करुणा- करुणा,
दया- दया करते रहते हो। हमारे यहाँ तो ऐसा कोई महापुरुष नहीं हुआ। हालांकि 1947
के पहले सारे महापुरुष हमारे ही महापुरुष थे। लेकिन जब विभाजन हो
गया, तो हो गया। हम एक देश हो गए। हमारे यहाँ अब कोई गाँधी
नहीं है। कोई महापुरुष नहीं है। हमारे यहाँ महापुरुषों का भयंकर अकाल है। कोई हमें
समझाने वाला नहीं। दो -चार अच्छे शायर हमें समझाने में लगे रहते हैं लेकिन हम
समझने की कोशिश ही नहीं करते। कोई हमारा माई- बाप नहीं। कोई
यह नहीं कहता कि बेटे आत्मघाती मत बनो। बम बारूद से दूर रहो। पढ़ाई-लिखाई करो।
अच्छे विश्व नागरिक बनो और सुख चैन से रहो। हमारे यहाँ तो जो भी बड़ा नेता आता है, वही पट्टी पढ़ाता है कि जा बेटा, चुपचाप कश्मीर जा
और वहाँ जाकर के देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों की हत्या करके आजा। तो हमने यही
सीखा है भविष्य में भी यही करते रहेंगे तुम लोगों अमन चैन की बात करते रहो शांति
की बात करते रहो और हमको खाली पीली धमकाते रहो कि बहुत हो गया, अब बर्दाश्त नहीं करेंगे, पानी सर से ऊपर जा चुका है।
लेकिन हमें पता है कि तुम लोग शांति प्रिय देश हो। कभी हमला नहीं करोगे। इसलिए हम
लोग बहुत निश्चिंत हैं ।"
भारत
ने हँसते हुए कहा,
"अद्भुत है तुम्हारी सोच। तुमने देखा होगा कि अनेक घरों में चूहे होते हैं। तुम्हारे
यहाँ भी होंगे। चूहे कितना परेशान करते हैं, घर के मालिक को।
सामान कुतरते हैं। गंदगी करते हैं और पकड़ में नहीं आते। अब तो चूहे जहरीली
गोलियाँ भी पचा जाते हैं। मरते ही नहीं। मरते भी है तो बड़ी मुश्किल से। तुम लोग
को देखता हूं, तो लगता है कि चूहे
परेशान करने की कला पाकिस्तान से सीख कर आ रहे हैं या फिर पाकिस्तान यह कला इनसे सीख चुका है।"
भारत
की बात सुनकर पाकिस्तान चुप हो गया। उसने सिर झुका लिया ।फिर धीरे से कहा, "तुमने चूहे वाला
उदाहरण बहुत सही दिया। हम बिल्कुल वैसा ही करते हैं; लेकिन
अल्लाह की कसम, अब से हम ऐसा नहीं करेंगे। बड़े भाई,
तुमने हमारी आँखें खोल दी हैं। अब हम लोग सुधर जाएँगे।"
पाकिस्तान की बात सुनकर भारत बहुत खुश हुआ। उसने दिल से दुआ दी कि
"तुम फलो फूलो। खुश रहो, आबाद रहो। लाहौर रहो या
इस्लामाबाद रहो।'
इतना बोल कर भारत अपने रास्ते चला गया ।दो दिन नहीं बीते थे कि फिर कश्मीर
में बम का धमाका हुआ और कुछ लोग शहीद हो गए। भारत ने अपना माथा टोका और और बड़बड़ाया,
" लातों के भूत बातों से नहीं मानते।"
इतना
बोलकर भारत उठ खड़ा हुआ। भारत की बात सुनकर मैं प्रसन्न हो गया। मैं बधाई देने के
लिए तेजी के साथ उसकी ओर लपका। लेकिन... तब तक मेरी नींद खुल गई ।... ओह! तो मैं
सपना देख रहा था?
मेरा सुंदर सपना टूट गया।सम्पर्क: एचआइजी-2, घर नं. 2, सेक्टर-3, दीनदयाल उपाध्याय नगर, रायपुर-492010, मो.- 8770969574, E-mail- girishpankaj1@gmail.com
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