अंतरिक्ष में चहलकदमी
लम्बाई बढ़ी, उम्र घटी
- शर्मिला पाल
इंसान रोज नए-नए रहस्यों को
सुलझाने में जुटा रहता है। ब्रह्माण्ड में आज क्या, कैसे, क्यों और आगे क्या, यह जानने की
जिज्ञासा वैज्ञानिकों को चैन से नहीं रहने देती है। और जब इन रहस्यों की कुछ
जानकारियाँ सामने आती हैं तो आम इंसान तो क्या खुद वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित रह
जाते हैं।
ऐसा ही तब हुआ जब अमेरिका
के अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्कॉट केली 340 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद धरती पर
लौटे। स्वाभाविक रूप से मन में यह सवाल उठता है कि इतने लंबे समय तक वे अंतरिक्ष
में कैसे रहे होंगे, उनपर क्या प्रभाव पड़ा होगा। दिलचस्प
बात यह पता चली कि उनकी लम्बाई दो इंच बढ़ गई थी, जबकि उम्र 10
मिली सेकंड घट गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि वहाँ पर रहकर अंतरिक्ष यात्री कैसे
अंतरिक्ष में चहलकदमी करते हैं।
जब कोई अंतरिक्ष यात्री
मिशन पर जाता है तो उसके लिए तैयारियाँ काफी पहले से ही शुरू हो जाती हैं।
स्पेस सूट

इस स्पेस सूट को तैयार करने
के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत और शोध किया है। यह सूट उस कपड़े से नहीं बना
होता है, जिसे हम और आप पहनते हैं। अंतरिक्ष की स्थितियों का
आकलन करने के बाद यह सूट तैयार किया जाता है। इस सूट को पहनने के बाद शरीर का
तापमान और बाहरी वातावरण से शरीर पर पडऩे वाला दबाव नियंत्रित रहता है। इसके साथ
ही यह सूट इस तरह से बनाया जाता है कि यह एक कवच के समान अंतरिक्ष में मौजूद
हानिकारक किरणों से शरीर की रक्षा करे। इस सूट के अंदर ही एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम
होता है, जिससे अंतरिक्ष यात्री को शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त
होती है। इस सूट के अंदर गैस और द्रव पदार्थों को रीचार्ज और डिस्चार्ज करने की
व्यवस्था भी होती है। इस सूट में ही अंतरिक्ष यात्री वहाँ से एकत्रित किए गए ठोस
कणों को सुरक्षित रख सकते हैं।
विशेष तरह के दरवाज़े
जब कोई अंतरिक्ष यात्री यान
से निकलकर अंतरिक्ष में कदम रखता है, तो उसे स्पेस
वॉक कहते हैं। 18 मार्च, 1965 को रूसी अंतरिक्ष यात्री
एल्केसी लियोनोव ने पहली बार स्पेस वॉक की थी। आज समय-समय पर अंतरिक्ष यात्री
स्पेस वॉक के लिए अंतर्राट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर जाते हैं। स्पेस वॉक पर
जाते समय वे एक विशेष प्रकार की पोशाक पहनते हैं जो उन्हें अंतरिक्ष में सुरक्षित
रखती है। वहाँ हवा का अभाव होने के कारण इन स्पेस सूट के अंदर ही ऑक्सीजन की
व्यवस्था रहती है जिससे वे सांस लेते हैं। सांस के तौर पर सिर्फ ऑक्सीजन लेने से
अंतरिक्ष यात्री के शरीर से पूरी नाइट्रोजन बाहर निकल जाती है। यदि उनके शरीर में ज़रा-सी
भी नाइट्रोजन हो तो उससे स्पेस वॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्री के शरीर में
नाइट्रोजन का बुलबुला बन सकता है। इस बुलबुले से उनके जोड़ों में तेज़ दर्द हो
सकता है। यह स्पेससूट उन्हें वॉक पर जाने से कई घंटे पहले ही पहन लेना पड़ता है।
यह सूट इतना बड़ा होता है कि इसे पहनकर अभ्यास करना ज़रूरी होता है, ताकि वे सहज हो जाएँ और सूट से जुड़ी तकनीकी बातों
को समझ लें। इतना ही नहीं, स्पेस सूट
अंतरिक्ष यात्री को सामान्य तापमान उपलब्ध कराता है। अंतरिक्ष में तापमान शून्य से
200 डिग्री कम या 200 डिग्री अधिक भी हो सकता है।
इन तैयारियों के बाद
अंतरिक्ष यात्री स्पेस वॉक के लिए तैयार रहते हैं। इस वॉक के लिए यान से वे एयरलॉक
से बाहर निकलते हैं। एयरलॉक में दो दरवाज़े होते हैं। जब अंतरिक्ष यात्री यान के
अंदर होते हैं तो एयरलॉक इस तरह बंद होता है कि अंदर की जऱा-सी भी हवा बाहर न जाने
पाए। जब अंतरिक्ष यात्री स्पेस वॉक के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं तो वे
एयरलॉक के पहले दरवाज़े से बाहर जाते हैं और पीछे से उसे मज़बूती से बंद कर दिया
जाता है। इसके बाद वे एयरलॉक का दूसरा दरवज़ा खोलते हैं। स्पेस वॉक करने के बाद
फिर एयरलॉक से ही वे यान के अंदर आते हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों में घर
से दूर रहने का तनाव या होमसिकनेस जैसा भाव उत्पन्न होने लगता है। आम तौर पर मिशन
के चौथे महीने में अंतरिक्ष यात्री घर लौटना चाहता है। वे स्पेस स्टेशन में रहकर
थक जाते हैं और अपने परिवार वालों से मिलना चाहते हैं। अब नासा के ज़्यादातर
अभियान छह महीने से लेकर साल भर के होते हैं। नासा इसलिए अब ज़्यादा चॉकलेट पुडिंग
भेजने पर विचार कर रहा है।
इतना ही नहीं अलाबामा में
बैठी ज़मीनी टीम को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों की इधर-उधर गुम
हो चुकी चीज़ों पर भी नज़र रखनी होती है। यह स्पेस प्रोग्राम का सबसे मुश्किल काम
होता है। अंतरिक्ष यात्री अपना सामान इधर-उधर रखकर भूल जाते हैं। ज़्यादातर समय चीज़ें
सुराखों में फंसी हुई मिलती हैं। ज़ाहिर है, एक अंतरिक्ष
यात्री के साथ में हज़ारों का सपोर्ट स्टॉफ काम करता है।
स्लीप सेंटर
लोगों के मन में हमेशा यह
जानने की जिज्ञासा रहती है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में कैसे रहते होंगे।
अंतरिक्ष में गुरुत्त्वाकर्षण का प्रभाव खत्म हो जाता है, ऐसे में उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता
होगा। अंतरिक्ष यात्री क्या खाना खाते होंगे। उनका वॉशरूम कैसा होता होगा? उनका बिस्तर कैसा होता है?

कंट्रोल हब
अमेरिका के अलाबामा स्थित
एक सैन्य अड्डे से संचालित इस कंट्रोल हब में एक समय में आठ पुरुष और महिलाएँ होती
हैं। उनकी नज़रें कंप्यूटर मॉनिटर्स पर जमी होती हैं और चेहरों पर आँकड़ों
का बोझ स्पष्ट नज़र आता है। यह सेंटर दरअसल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के वैज्ञानिक
प्रयोगों का नियंत्रण केंद्र है जहाँ चौबीसों घंटे काम होता है। पेलोड
कम्यूनिकेशन्स मैनेजर सैम शाइन कहती हैं कि हम वैज्ञानिकों और स्पेस स्टेशन के
अंतरिक्ष यात्रियों के बीच सम्पर्क सेतु का काम करते हैं। शाइन उन लोगों में शामिल
हैं जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के वैज्ञानिकों से सीधे बात करते रहते हैं। यह काफी
मुश्किल होता है- भाषायी अंतर होता है, टाइम ज़ोन का
अंतर होता है; कई बार इटली के अंतरिक्ष यात्री को कोई जानकारी देनी
होती है, तो कई बार किसी जर्मन यात्री से जानकारी लेनी होती
है।
2011 में 100 अरब डॉलर की
लागत से तैयार हुए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपीय
प्रयोगशालाएँ हैं और इसमें काम करने वाले अंतरिक्ष यात्री अब छह माह से एक साल तक
वहाँ बिताते हैं।
शाइन कहती हैं, आप विज्ञान की किसी भी शाखा का नाम लें, हम उसके किसी न किसी विषय पर ज़रूर रिसर्च कर रहे
होंगे। हम सूक्ष्म गुरुत्व अनुसंधान से लेकर पौधों की वृद्धि और तरल धातुओं के
गुणों की समझ तक के बारे में प्रयोग कर रहे हैं।
एक अह्म अध्ययन इन
परिस्थितियों में हड्डियों और मांसपेशियों के वेस्टेज पर हो रहा है। अंतरिक्ष
यात्रियों पर पृथ्वी से बाहर धातु के बक्से में रहने, कृत्रिम भोजन खाने, रिसाइकिल किए
मूत्र को पीने और महीनों तक चंद अंतरिक्ष यात्रियों के साथ रहने का असर भी देखा
जाता है। ये वे अहम अध्ययन हैं जिनके बाद तय होगा कि मनुष्य अंतरिक्ष में, ग्रहों-उपग्रहों पर कितनी देर रह सकता है। इतना ही
नहीं, महीनों तक पृथ्वी से दूर रहने से सम्बंधित
मनोवैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन भी किया जा रहा है।

सुरक्षा भी ज़रूरी
स्पेस वॉक के दौरान
अंतरिक्ष यात्री खुद को यान के करीब रखने के लिए टेदर का इस्तेमाल करते हैं। यह
रस्सी की तरह होता है, जिसका एक सिरा स्पेस वॉक करने
वाले से और दूसरा यान से जुड़ा होता है। टेदर यात्री को अंतरिक्ष में यान से काफी
दूर जाने से रोकता है। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री सेफर (सिम्प्लीफाइड एड फॉर इवीए
रेसक्यू) भी पहनते हैं। इसे पीठ पर थैले की तरह पहना जाता है। स्पेस वॉक के दौरान
यदि अंतरिक्ष यात्री से बंधी रस्सी खुल जाए और वह यान से काफी दूर जाने लगे, तो यह सेफर उसे वापस यान में लौटने में मदद करता है।
स्पेस वॉकर सेफर को जॉय स्टिक से नियंत्रित करता है।
अंतरिक्ष में पहला स्पेस
वॉक करने वाले अंतरिक्ष यात्री थे रूस के एल्केसी लियोनोव। उन्होंने 8 मार्च 1965
को पहली बार 10 मिनट तक स्पेस वॉक किया था। अंतरिक्ष यान एंडेवर के साथ गए
अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में विशेष पोशाक में कार्बन डाइऑक्साइड
गैस भर जाने के कारण तय समय से पहले स्पेस वॉक खत्म करनी पड़ी थी। अब तक दुनिया के
कई देशों के कई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में स्पेस वॉक कर चुके हैं। (स्रोत
फीचर्स)
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