उदंती का सफर...
आप सबके आशीर्वाद, सहयोग और प्रोत्साहन का परिणाम है कि हिन्दी मासिक पत्रिका उदंती नियमानुसार तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस पत्रिका के साथ न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के साथ विदेशों में बसे हमारे हिन्दी प्रेमी भारतीय भी लगातार जुड़ते चले गये हैं। अपने आरंभिक काल 2008 अगस्त से ही यह पत्रिका उदंती.com के नाम से वेब पर भी उपलब्ध है। आप सबसे मिले भरपूर स्नेह का प्रतिफल है कि उदंती ने संपूर्ण रंगीन पत्रिका के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाते हुए एक मुकाम हासिल कर लिया है।
आप सबके आशीर्वाद, सहयोग और प्रोत्साहन का परिणाम है कि हिन्दी मासिक पत्रिका उदंती नियमानुसार तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस पत्रिका के साथ न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के साथ विदेशों में बसे हमारे हिन्दी प्रेमी भारतीय भी लगातार जुड़ते चले गये हैं। अपने आरंभिक काल 2008 अगस्त से ही यह पत्रिका उदंती.com के नाम से वेब पर भी उपलब्ध है। आप सबसे मिले भरपूर स्नेह का प्रतिफल है कि उदंती ने संपूर्ण रंगीन पत्रिका के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाते हुए एक मुकाम हासिल कर लिया है।
लोग अक्सर एक सवाल खड़ा करते हैं कि आपकी पत्रिका का मुख्य उद्देश्य
क्या है। सच भी है कोई भी रचनात्मक कलात्मक कार्य किसी खास उद्देश्य से ही
किया जाता है। चाहे वह अपनी निजी व्यक्तिगत रचनात्मकता को बढ़ावा देने के
लिए हो या फिर समाज और देश के किसी बेहतर कार्य को अंजाम देने के लिए।
उदंती भी अपनी रचनात्मक कला को बढ़ावा देने के साथ-साथ समाज से जुड़े गंभीर
समसामयिक मुद्दों को सामने लाने का एक छोटा सा प्रयास है। इस प्रयास में
हम पर्यावरण, प्रदूषण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला- बच्चों
आदि समाज से जुड़ी समस्याओं को भी आगे लाने का प्रयास करते हैं ताकि इस
दिशा में पर्याप्त जागरूकता का संदेश फैला सकें। मात्र इतना ही नहीं उदंती
अपने देश की समृद्ध कला-संस्कृति, पुरातत्व-पर्यटन, इतिहास आदि से संबंधित
जानकारी संजो कर रखने का कार्य भी कर रही है। आरंभ में हमने उदंती में
साहित्य को ज्यादा स्थान नहीं दिया था पर पाठकों और स्नेहीजन गुरुजनों के
सुझाव पर इसमें साहित्य को भी स्थान देना आरंभ कर दिया है जिसमें साहित्य
की सभी विधाओं यथा- कहानी, कविता, गीत-ग़ज़ल, हाइकु, निबंध, लघुकथा,
संस्मरण, पुस्तक समीक्षा आदि शामिल हैं। यद्यपि पत्रिका में पृष्ठों की
संख्या कम है पर हम इन कम पृष्ठों में ही गागर में सागर भरने का प्रयास
करते हैं। हर माह एक रंगीन पत्रिका निकाल पाना आज के दौर में कितना मुश्किल
है इससे आप सब वाकिफ हैं ही।
पिछले वर्ष से तो माह का पूरा अंक किसी विषय विशेष पर केंद्रित किया
जाने लगा है। जैसे एक अंक हमने छत्तीसगढ़ी की पहली फिल्म कहि देबे संदेस पर
केन्द्रित किया था। एक अंक बारिश पर तो एक अंक पुरातत्व पर.... जो
संग्रहणीय अंक बन गए हैं।
उदंती का आगे का सफर यूं ही जारी रहे इसके लिए आप सबका स्नेह, संबल और
प्रोत्साहन मिलता रहेगा इसका पूरा विश्वास है। उदंती में रचनात्मक सहयोग
के साथ आपके अमूल्य सुझाव, सलाह और समालोचना का हमेशा स्वागत है।
शुभकामनाओं के साथ
संपादक
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