- डॉ. हरदीप कौर सन्धु
1
कभी लगती
सर्दी की धूप- जैसी
यह •जि़न्दगी
2
जीवन नहीं
है साँसों का चलना,
जी भर जियो
3
क्षण में मिले
ये साँस पवन से
तब तू जिए
4
भूखा हो पेट
तब नहीं चाहिए
सेहत की दवा
5
तुम जो मिले
किस्मत की स्याही भी
रंग ले आई
6
तू चुप रहा
चेहरा करे बयाँ
ये सारी दास्ताँ
7
तुम क्या गए
ले गए हँसी मेरी
अपने साथ
8
फूलों के अंग
खुशबू ज्यों रहती
तू मेरे संग
9
शीत के दिनों
सर्प- सी फुफकारें
चलें हवाएँ
10
यह जीवन
है एक उलझन
मिले न कंघी
11
तू बसा है
खुशबू की तरह
मेरे दिल में
12
आँसू -कतरा
बना जो समन्दर
डूब गया मैं
13
किया उजाला
काजल भी उगला
दीप जो जला
14
दुखों की झड़ी
मन और दामन
भिगोती रही
15
चप्पू न कोई
उमर की नदिया
बहती गई
16
भीगी पलकें
रात की शबनम
ये तेरे आँसू
17
मन निर्मल
सागर-सा गहरा
प्यार है तेरा
18
गाँव पुराना
क्या सँवर गया या
रहा उजड़
19
मिला जो प्यार
शबनम बिखरी
लगे ज्यों मोती
20
काजल लगा
अँधेरा मुस्कराया
चाँद जो आया
21
गैरों से मिले
खुद से कभी हुई
न मुलाकात
22
अँधेरे रास्ते
मिले तेरा साथ जो
उजाला बहे
23
भरी है नमी
जो इन हवाओं में
रोया है कोई
24
दिल के आँसू
दामन न भिगोएँ
दिल पे गिरें
25
तुझ में दिखे
मुझे मेरी तस्वीर
तू मेरे जैसा
26
तुम्हारी यादें
दिए दिल के जख्म
कभी न भरें
27
जब हो दर्द
बस एक चाहिए
तुम्हारा स्पर्श
28
बिछुड़े हम
इत्तिफाक से मिले
दिल हैं खिले
29
जी -जी के मरें
मर-मर के जिएँ
बिन आपके
30
तू जुदा कैसे
लहू बन दौड़ती
तेरी ख्वाहिश
लेखक के बारे में: कई वर्ष तक पंजाब के एस.डी. कालेज में अध्यापन, अब सिडनी (आस्ट्रेलिया में) रहती हूं। हिंदी व पंजाबी में नियमित लेखन। अनेक रचनाएँ पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित। वेब पर हिन्दी हाइकु त्रिवेणी नामक चि_े का सम्पादन। 'शब्द' आशीष स्वरूप मुझे विरासत में मिले। इन शब्दों की दुनिया ने मुझे कभी अपनों से दूर होने का अहसास नहीं होने दिया, जब कभी दिल की गहराई से कुछ महसूस किया मन-आँगन में धीरे से उतरता चला गया और भावनाएँ शब्दों के मोती बन इन पन्नों पर बिखरने लगीं । hindihaiku@gmail.com
कभी लगती
सर्दी की धूप- जैसी
यह •जि़न्दगी
2
जीवन नहीं
है साँसों का चलना,
जी भर जियो
3
क्षण में मिले
ये साँस पवन से
तब तू जिए
4
भूखा हो पेट
तब नहीं चाहिए
सेहत की दवा
5
तुम जो मिले
किस्मत की स्याही भी
रंग ले आई
6
तू चुप रहा
चेहरा करे बयाँ
ये सारी दास्ताँ
7
तुम क्या गए
ले गए हँसी मेरी
अपने साथ
8
फूलों के अंग
खुशबू ज्यों रहती
तू मेरे संग
9
शीत के दिनों
सर्प- सी फुफकारें
चलें हवाएँ
10
यह जीवन
है एक उलझन
मिले न कंघी
11
तू बसा है
खुशबू की तरह
मेरे दिल में
12
आँसू -कतरा
बना जो समन्दर
डूब गया मैं
13
किया उजाला
काजल भी उगला
दीप जो जला
14
दुखों की झड़ी
मन और दामन
भिगोती रही
15
चप्पू न कोई
उमर की नदिया
बहती गई
16
भीगी पलकें
रात की शबनम
ये तेरे आँसू
17
मन निर्मल
सागर-सा गहरा
प्यार है तेरा
18
गाँव पुराना
क्या सँवर गया या
रहा उजड़
19
मिला जो प्यार
शबनम बिखरी
लगे ज्यों मोती
20
काजल लगा
अँधेरा मुस्कराया
चाँद जो आया
21
गैरों से मिले
खुद से कभी हुई
न मुलाकात
22
अँधेरे रास्ते
मिले तेरा साथ जो
उजाला बहे
23
भरी है नमी
जो इन हवाओं में
रोया है कोई
24
दिल के आँसू
दामन न भिगोएँ
दिल पे गिरें
25
तुझ में दिखे
मुझे मेरी तस्वीर
तू मेरे जैसा
26
तुम्हारी यादें
दिए दिल के जख्म
कभी न भरें
27
जब हो दर्द
बस एक चाहिए
तुम्हारा स्पर्श
28
बिछुड़े हम
इत्तिफाक से मिले
दिल हैं खिले
29
जी -जी के मरें
मर-मर के जिएँ
बिन आपके
30
तू जुदा कैसे
लहू बन दौड़ती
तेरी ख्वाहिश
लेखक के बारे में: कई वर्ष तक पंजाब के एस.डी. कालेज में अध्यापन, अब सिडनी (आस्ट्रेलिया में) रहती हूं। हिंदी व पंजाबी में नियमित लेखन। अनेक रचनाएँ पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित। वेब पर हिन्दी हाइकु त्रिवेणी नामक चि_े का सम्पादन। 'शब्द' आशीष स्वरूप मुझे विरासत में मिले। इन शब्दों की दुनिया ने मुझे कभी अपनों से दूर होने का अहसास नहीं होने दिया, जब कभी दिल की गहराई से कुछ महसूस किया मन-आँगन में धीरे से उतरता चला गया और भावनाएँ शब्दों के मोती बन इन पन्नों पर बिखरने लगीं । hindihaiku@gmail.com
9 comments:
जीवन के विविध और गहन सन्दर्र्भों की बात की जाए तो मानवीय प्रेम सुख- दुख की गहनताको हाइकु जैसे छोटे छन्द में गम्भीरता और मार्मिकता से चित्रण करना कठिन है । भाषा की क्षमता की परख यहीं पर होती है । डॉ हरदीप कौर सन्धु की भाषा , हृदय की धड़कनों से प्रकट होती है।ये हाइकु इसका जीवन्त प्रमाण हैं।
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' , दिल्ली
एक से बढकर एक हाइकु
डा.रमा द्विवेदी
डा. हरदीप जी के सभी हाइकु एक से बढ़ कर एक हैं ....वह हाइकु का नियमित और बहुत संतुलित लेखन करती हैं ....बधाई एवं शुभकामनाएं ....
एक से बढ़कर एक हाइकु हैं प्यार,प्रकृति बहुत निखर कर आया है, ये हाइकु खासकर पंसद आया-
चप्पु न कोई
उमर की नदिया
बहती गई...
हार्दिक बधाई...
aapke haikuon ke bare me likha suraj ko diya dikhana hai .kis kis ke bare me likun shbdon ke bare me ya bhaon ke bare me dono ati uttam hai
rachana
सभी हाइकु बेहतरीन हैं... गहरे अर्थ समेटे हुए है...
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरे हाइकु आपको पसन्द आए | आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया | कोई भी कलम कुछ लिखने में तब सफल होती है जब उसकी बात पाठक के हृदय में प्रवेश करती है | मेरा प्रयास इसी दिशा में चलने का रहता है , जिसको समय-समय पर आप सभी के शब्दों से हुलारा मिलता रहता है | जिसके लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
हरदीप
sabhi haaiku behtareen hain, shubhkaamnaayen.
तू बसा है ... खुशबू कि तरह दिल में ... इतनी मामूली सी बात नहीं लगती जो केवल आठ शब्दों में कही जा सके ... पढनेके बाद थम कर सहना होता है कुछ ... अद्भुद ...
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