चांदनी भारत में उगने वाला एक आम पेड़ है और इसमें जो दूध जैसा पदार्थ बनता है उसमें दर्द निवारक गुणों का पता चला है।
स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, फ्लोरिडा के रसायनज्ञों के एक दल ने चांदनी के तने में से एक ऐसा रसायन प्राप्त किया है जो बढिय़ा दर्द निवारक है। इस रसायन को कोनोलिडीन नाम दिया गया है और इसकी विशेषता यह है कि इसके साइड इफेक्ट भी नहीं होते।
चांदनी भारत में उगने वाला एक आम पेड़ है और इसका वानस्पतिक नाम टेबर्नेमोन्टाना डाईवेरिकेटा है। इसमें जो दूध जैसा पदार्थ बनता है उसमें दर्द निवारक गुणों का पता तो बहुत पहले से था मगर सम्बंधित रसायन को निकालकर उसकी जांच कर पाना संभव नहीं हुआ था क्योंकि इस रसायन की बहुत ही कम मात्रा पेड़ में पाई जाती है। शोधकर्ता बताते हैं कि इसकी छाल में कोनोलिडीन मात्र 0.00014 प्रतिशत ही होता है। वैसे स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता ग्लेन मिकेलिजियो की रुचि इस पदार्थ के चिकित्सकीय गुणों में नहीं थी। उन्हें तो इसकी रासायनिक संरचना आकर्षित कर रही थी। मगर एक बार इसकी रासायनिक संरचना का खुलासा करके प्रयोगशाला में इसे बना लेने के बाद उन्होंने संस्थान की लौरा बॉन से इसके चिकित्सकीय असर की जांच करने का अनुरोध किया। बॉन के दल ने पाया कि कोनोलिडीन एक अच्छा दर्द निवारक है। यह भी पता चला कि दर्द निवारण की कोनोलिडीन की क्रियाविधि अन्य दर्द निवारकों से भिन्न है।
जहां मॉर्फीन जैसे नशीले दर्द निवारक मस्तिष्क की कुछ क्रियाओं को सुप्त करते हैं वहीं कोनोलिडीन किसी अन्य विधि से काम करता है। इसके चलते कोलोनिडीन का लंबे समय तक उपयोग करने से लत पडऩे की आशंका नहीं रहेगी। अब बॉन का दल यह पता करने का प्रयास कर रहा है कि कोनोलिडीन काम कैसे करता है। फिर क्लीनिकल ट्रायल की बारी आएगी।
चांदनी भारत में उगने वाला एक आम पेड़ है और इसका वानस्पतिक नाम टेबर्नेमोन्टाना डाईवेरिकेटा है। इसमें जो दूध जैसा पदार्थ बनता है उसमें दर्द निवारक गुणों का पता तो बहुत पहले से था मगर सम्बंधित रसायन को निकालकर उसकी जांच कर पाना संभव नहीं हुआ था क्योंकि इस रसायन की बहुत ही कम मात्रा पेड़ में पाई जाती है। शोधकर्ता बताते हैं कि इसकी छाल में कोनोलिडीन मात्र 0.00014 प्रतिशत ही होता है। वैसे स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता ग्लेन मिकेलिजियो की रुचि इस पदार्थ के चिकित्सकीय गुणों में नहीं थी। उन्हें तो इसकी रासायनिक संरचना आकर्षित कर रही थी। मगर एक बार इसकी रासायनिक संरचना का खुलासा करके प्रयोगशाला में इसे बना लेने के बाद उन्होंने संस्थान की लौरा बॉन से इसके चिकित्सकीय असर की जांच करने का अनुरोध किया। बॉन के दल ने पाया कि कोनोलिडीन एक अच्छा दर्द निवारक है। यह भी पता चला कि दर्द निवारण की कोनोलिडीन की क्रियाविधि अन्य दर्द निवारकों से भिन्न है।
जहां मॉर्फीन जैसे नशीले दर्द निवारक मस्तिष्क की कुछ क्रियाओं को सुप्त करते हैं वहीं कोनोलिडीन किसी अन्य विधि से काम करता है। इसके चलते कोलोनिडीन का लंबे समय तक उपयोग करने से लत पडऩे की आशंका नहीं रहेगी। अब बॉन का दल यह पता करने का प्रयास कर रहा है कि कोनोलिडीन काम कैसे करता है। फिर क्लीनिकल ट्रायल की बारी आएगी।
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