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Jun 18, 2012

आपके पत्र मेल बॉक्स

निराली उदंती

उदंती पत्रिका से लंबे समय से जुड़ी हूँ।  लगातार तो नहीं परंतु वक्त पाते ही अपनी साहित्य रुचि के लिये उदंती का सहारा लेती हूं जो सहारे से बढ़कर कहीं अधिक है। आपकी पत्रिका की एक खास बात जो मुझे बेहद पसंद आती है इसकी अपनी अलग राह है जिस पर प्रतियोगिता या अन्य कोई दबाव नहीं आता। अपनी चाल पर इतराती ठुमकती उदंती निराली है और ऐसी ही रहे इसी कामना के साथ आपको अब तक के सफर के लिये मुबारकबाद देती हूं।
            - हर्षिता वी कुमार
harshitavkumar@gmail.com

मर्मस्पर्शी कहानी

मासिक पत्रिका उदन्ती को पढऩे का आनंद लेते हुए एक निष्ठावान सम्पादन की ऊर्जा को भी नमन करने को जी चाहता है। अच्छे से अच्छे ज्ञानवर्धक आलेख, कहानियाँ व कविताओं का भरपूर कलश है उदन्ती। उदंती में प्रकाशित जयशंकर प्रसाद की कालजयी कहानी 'छोटा जादूगर' सच में मर्मस्पर्शी कहानी है जो अपने तमाम मूल तत्वों से पाठक को अन्त तक पढ़वाने में सक्षम रही। इसे उदंती में पेश करने के लिए आप बधाई की पात्र हैं। इस प्रकार का साहित्य पाठकों के समक्ष लाने के लिए धन्यवाद।           
        - देवी नागरानी, यू.के.
            info@swatantraawaz.com

गौरेया पर लेख

वेब पेज पर उदंती का मई- 2010 का अंक देख रहा था। गौरैया पर आपने बहुत अच्छा लिखा। दुनिया की उखाड़- पछाड़ से दूर, मर्मस्पर्शी और ऐसे जीवों की रक्षा को प्रेरित करती लिखी गई यह विशेष रिपोर्ट पत्रकारिता की जिम्मेदारियों का आईना है। श्रेष्ठ एवं ज्ञानवर्धक विषयों का चयन उदंती की पहचान बन गया है, जिसके पीछे आपकी जिम्मेदारी, लगन और योग्यता का पता चलता है। उदंती के सभी अंक अच्छे लगते हैं।
         -दिनेश शर्मा, स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
       info@swatantraawaz.com

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