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Aug 25, 2011

आजादी है

- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
नाचो गाओ, खुशी मनाओ- आजादी है
लूटो- खाओ, पियो- पिलाओ आजादी है।
भूखी जनता टूक न मिलता आजादी है
छीनो- झपटो , डाँटो- डपटो आजादी है।
दफ्तर-दफ्तर, बैठे अजगर आजादी है
जेब गरम है, बिकी शरम है आजादी है।
फाइल सिसके, बाबू खिसके आजादी है
सज्जन रोता, आफत ढोता -आजादी है।
नोट बिछाए, नींद न आए- आजादी है
गुण्डे छूटे, जीभर लूटें -आजादी है।
जब मुँह खोलें , लटपट बोलें- आजादी है
सुरसा आई, बन महँगाई- आजादी है।
आज पुजारी, बने जुआरी- आजादी है
ढोंगी बाबा, अच्छा ढाबा- आजादी है।
लूट मची है, छूट मची है- आजादी है
सब कुछ लूटा, धीरज छूटा- आजादी है।
अपनी अपनी, सबकी ढपली- आजादी है
कामचोर हैं, घूसखोर हैं- आजादी है।
बन्द है चक्का, धक्कम धक्का -आजादी है
करते अनशन, रोज प्रदर्शन- आजादी है।
संपर्क: 37- बी/ 2, रोहिणी सेक्टर-17, नई दिल्ली-११००८९
मो. 9313727493, ई मेल : rdkamboj@gmail.com

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