इंडीपेक्स 2011
भारतीय डाक विभाग द्वारा 12 से 18 फरवरी 2011 तक दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी 'इंडीपेक्स 2011' का आयोजन किया गया। भारत में पहली अन्तराष्ट्रीय डाक टिकट (फिलेटलिक) प्रदर्शनी का आयोजन 1954 में डाक टिकटों की शताब्दी वर्ष में हुआ था। इस डाक टिकट प्रदर्शनी का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि भारत ने ही दुनिया में सर्वप्रथम एयर- मेल सेवा 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में आरंभ की थी। इस साल इस ऐतिहासिक घटना के 100 साल भी पूरे हो रहे हैं।
आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम 'यूपी एक्जीबिशन' था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग- अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया।
आंकड़ों के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर 'पहली हवाई डाक' और 'उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद' लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था तथा इसके ऊपर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर भी बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा। विमान को फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने उड़ाया।
2 comments:
कृष्ण कुमार जी आप ने हवाई मेल की अद्भुत जानकारी दी है .उदंती के माद्ध्यम से प्राप्त यह जानकारी जो कि बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत की गई है .आप और उदंती को हार्दिक बधाई
डाक-व्यवस्था में रूचि रखने वालों के लिए एक जरुरी एवं प्रमाणिक आलेख...कृष्ण कुमार जी को बधाई.
कृष्ण कुमार यादव जी की रचनाएँ तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर अक्सर पढने को मिलती हैं. उनका रचना-संसार काफी समृद्ध है.यहाँ उनकी रचना पढना सुखद लगा..बधाई !!
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