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May 2, 2025

जीवन दर्शनः उसैन बोल्ट: परहित सरिस धरम नहीं भाई

 - विजय जोशी 

 पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

जो भी पुरुष नि:ष्पाप, निष्कलंक, निडर है
उसे प्रणाम. कलियुग में वही हमारा ईश्वर है
     जीवन में आगे बढ़ने के लिए भाग्य से अधिक आवश्यक है लगन, परिश्रम एवं प्रतिबध्दता। कहा भी गया है : सकल पदारथ हैं जग माहीं / करमहीन नर पावत नाहीं। किंतु असफलता के दौर में मनुष्य भाग्य को कोसने लगता है। यह तो हुई एक बात।
    दूसरी यह कि सफलता के पलों में वह  स्वयं ही सारा श्रेय लेते हुए खुद को ख़ुदा समझने का भ्रम पाल लेता है और अपने सगे, संबंधियों, सखाओं के मान सम्मान को तिलांजलि दे देता है। जिस सीढ़ी का इस्तेमाल कर आगे बढ़ा उसे हटा देता है ताकि दूसरे उसके कद की बराबरी न कर सकें। यह हुई दूसरी बात; लेकिन यह सार्वभौम सत्य भी नहीं। कुछ बिरले ऐसे भी होते हैं जो अपनी संपत्ति, सुख,  संपदा सबके साथ साझा करते हैं। ऐसे ही एक व्यक्तित्व की बानगी का प्रयास
     सेंट लियो उसैन बोल्ट (जन्म 21 अगस्त 1986), जमैका के अंतरराष्ट्रीय धावक और आठ बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। वे 100 / 200 मीटर एवं 4x100 मीटर रिले दौड़ के विश्व रिकार्डधारी हैं। इन सभी तीन दौड़ों का ओलंपिक रिकॉर्ड भी बोल्ट के नाम है। 1984 में कार्ल लुईस के बाद 2008 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में बोल्ट एक ओलंपिक में तीनों दौड़ जीतने वाले और एक ओलंपिक में ही तीनों दौड़ में विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले पहले व्यक्ति बन गये। इसके साथ ही 2008 में वे 100/ 200 मीटर स्पर्धा में ओलंपिक खिताब पाने वाले भी पहले व्यक्ति बने।
   दौड़ में उनकी उपलब्धियों के कारण मीडिया की ओर से उन्हें 'लाइटनिंग बोल्ट' का उपनाम मिला; लेकिन बात यहाँ उनकी विश्व रिकार्ड उपलब्धियों से इतर उस भाव या जज़्बे की है, जिसके लिए उन्हें मानवता के इतिहास में सदा सर्वदा याद रखा जाएगा एवं आने वाले अनंत काल तक प्रेरणा पुंज के रूप में याद रखा जाएगा। 
   दरअसल हुआ यूँ कि प्रसिद्धि के चरमोत्कर्ष के पलों में भी वे अपने माता पिता को कभी नहीं भूले और जिसके तहत उसैन बोल्ट ने अपने माता-पिता के गाँव को समुचित सुविधाओं वाले एक आधुनिक शहर में बदल दिया।
    यह सब तब शुरू हुआ जब उसैन बोल्ट शहर में अपने माता-पिता के लिए एक घर खरीदना चाहते थे। तथापि उनके माता-पिता ने यह कहते हुए इस विचार को खारिज कर दिया कि वे गाँव नहीं छोड़ना चाहते। वे अपने पड़ोसियों और दोस्तों को नहीं छोड़ना चाहते थे।
      बोल्ट ने शहर वाली सुविधाएँ गाँव में उपलब्ध कराने, बच्चों के लिए एक स्कूल, मनोरंजन सुविधाएँ, स्वास्थ्य केंद्र और खेल के मैदान जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करके गाँव को आधुनिक बनाने का फैसला किया ताकि इसे सभी के लिए अधिक रहने योग्य बनाया जा सके। और यह सब पूरे समर्पण के साथ गर्वरहित भाव के साथ विनम्रतापूर्वक किया।
   और इस तरह उसैन ने केवल अपने माता-पिता के ही नहीं, बल्कि गाँव के सभी लोगों के जीवन को बेहतर बना दिया। है न कितने आश्चर्य की बात। इस दौर में तो विचित्र, किंतु सत्य।
एक स्वरूप में समा गईं किस भांति सारी सिद्धियाँ,
कब था ज्ञान मुझे  इतनी सुंदर होती हैं उपलब्धियाँ ।   ■

54 comments:

  1. Anonymous03 May

    मनुष्य जब ऊँचाइयों को छूता है तो विनम्रता और मानवीय भावनाएँ ही उसकी ऊँचाई को बनाए रखती हैं । उसे अमर बनाती हैं । अहंकारी व्यक्ति की ख्याति बहुत कम समय रहती है। प्रेरणादायक आलेख । हार्दिक बधाई आपको ।सुदर्शन रत्नाकर

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    1. आदरणीया
      आपकी अच्छाई, सद्भावना, स्नेह अद्भुत है, जो मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है। सो हार्दिक आभार सहित सादर

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  2. बहुत ही सुंदर लेख लिखा है। सच बात है कि किसी भी गोल्ड मेडल या विश्व रिकॉर्ड से ऊपर दूसरों के भले के लिए किया हुआ काम होता है। सच में यही असली गोल्ड रिकॉर्ड है जो दूसरों की भलाई के लिए किया जाए। हम सभी को जो भी हमने पाया है उसका कुछ भाग समाज को समाज कल्याण के रूप में जरूर वापस करना चाहिए।

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    1. प्रिय राजीव भाई
      सही कहा आपने। यदि रेकार्ड बनाना ही ही तो फिर अच्छाइयों, सद्भावना, सौहार्द का बनाएं हम। हार्दिक आभार सहित सादर

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    2. आदरणीय सर,

      आपके द्वारा जो प्रेरणा मिलती है वह हमेशा अच्छे से और अच्छा करने के लिए उत्साहित करती है। आपको सादर नमन।

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  3. माता पिता के आशीर्वाद का सफलता में बहुत बड़ा योगदान होता हैl उनके प्रति आदर एवं स्नेह का अप्रतिम उदाहरण आपने इस लेख द्वारा प्रस्तुत किया हैl

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    1. आदरणीय
      मातृ देवो भव। पितृ देवो भव। यही है परिकल्पना हमारे शास्त्रों की भी। हार्दिक आभार सहित सादर

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  4. सन्दीप05 May

    अपनी उपलब्धियों से दूसरों के जीवन को बेहतर बनाना ही सबसे बड़ा सामाजिक योगदान है 🙏

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    1. प्रिय संदीप भाई
      हार्दिक आभार। सादर

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  5. Very inspiring life of Usain Bolt, written in very lucid style.....

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  6. Anonymous05 May

    प्रेरक लेख । अनुकरणीय । जीवन पथ पर चलते चलते जब कदम थकने लगे तो इस लेख को पढ़ कर ऊर्जा प्राप्त कर लेनी चाहिए

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    1. हार्दिक आभार मित्र

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  7. आदरणीय सर,

    अत्यंत प्रेरणादायक लेख।

    जो भी पुरुष नि:ष्पाप, निष्कलंक, निडर है
    उसे प्रणाम. कलियुग में वही हमारा ईश्वर है

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    1. प्रिय महेश
      हार्दिक आभार सहित सस्नेह

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  8. Anonymous05 May

    बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख। हमारी सफलता में जितना योगदान हमारे परिश्रम का होता है उतना ही योगदान हमारे सामाजिक ढांचे का होता है। इसलिए समाज से हमें जो कुछ मिला है उसे लौटाना हमारा दायित्व है। 🙏🏻🙏🏻

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    1. प्रिय मित्र हार्दिक आभार

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  9. Anonymous05 May

    लगन, परिश्रम, निष्ठा जो धारे,
    भाग्य से आगे कर्म सँवारे।

    पर कुछ होते हैं इस जग में न्यारे,
    जो सुख-दुख सब संग बाँट गुज़ारे।

    मुकेश कुमार सिंह

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    1. प्रिय मुकेश
      सार्थक सत्य। हार्दिक आभार। सस्नेह

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  10. मुकेश श्रीवास्तव05 May

    अत्यंत प्रेरक लेख

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    1. प्रिय बंधु मुकेश
      हार्दिक आभार सादर

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  11. मंगल स्वरूप त्रिवेदी05 May

    ईश्वर की कृपा और माता-पिता के उपकार से ही मनुष्य को देह प्राप्त होती है। मनुष्य के रूप में प्राप्त इस देह को परोपकार और दूसरों की सेवा में लगाया जाए तो जीवन सार्थक हो जाता है और मनुष्य जन्म लेने के कारण को वास्तव में पूर्ण कर पता है।
    निष्काम भाव से की हुई प्राणी मात्र की सेवा ईश्वर को प्रसन्न करने का सबसे आसान और उत्तम तरीका है।
    उसैन बोल्ट का अपने माता-पिता तथा परिजनों एवं समाज के लिए किया गया यह पवित्र कर्म सभी को अपने जीवन में पुण्य कर्मों को करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है । उसी व्यक्ति का जीवन लेना सार्थक है जिसने परोपकार और सेवा से दूसरों के जीवन में प्रसन्नता और सुखों का संचार किया हो।

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    1. प्रिय मंगल स्वरूप
      सही कहा आपने : उसी व्यक्ति का जीवन सार्थक है जिसने परोपकार और सेवा से दूसरों के जीवन में प्रसन्नता और सुखों का संचार किया हो। सो फिर क्यों जीवन को सार्थक बनाने में कृपणता बरतें।
      हार्दिक आभार सहित सस्नेह

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  12. सुरेंद्र लाड़05 May

    बहुत अच्छा लगा
    अत्यंत प्रेरणा दायक🙏🙏
    किसी की मदद करने, कोई अच्छा काम करने अथवा निष्काम भाव से कोई समाजोपयोगी कार्य करने से समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है

    कविवर रहिम ने लिखा

    यों रहीम सुख होत है, पर उपकारी के संग।
    बाँटनवारे को लगे, ज्यों मेहँदी को रंग।

    गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा :- जिनके मन में परहित जज्बा बना रहता है उनके लिए संसार की कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है जो उन्हें न मिल सके।

    आपको🙏🙏

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    1. प्रिय सुरेंद्र भाई
      सही कहा आपने। निष्काम समाज सेवा से बड़ा न तो कोई सत्कार्य और न सुख।
      हार्दिक आभार सादर

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    2. सुरेन्द्र लाड़12 May

      आपके मार्गदर्शन में मैने तो यही सीखने की कोशिश की है।
      हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏

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  13. Anonymous05 May

    अत्यन्त प्रेरणा दायक लेख

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    1. हार्दिक आभार मित्र

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  14. आदरणीय जोशीजी की रचनाएं सदैव प्रेरणा प्रदान करती है।बोल्ट का महान कार्य यह दर्शाता है कि महानता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों में ही नहीं है बल्कि‌‌ दूसरों का जीवन अच्छा बनाने में है। उसैन बोल्ट केवल ट्रैक पर ही महान नहीं हैं अपितु व्यक्तिगत जीवन में भी महानायक है। परोपकाराय सतां विभूतयः।

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    1. प्रिय मित्र कृष्णकांत
      समाज के प्रतिबद्धता ही हमारे आचरण का दर्पण भी है। हार्दिक आभार सादर

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  15. बहुत सुंदर लेख,सच्ची उपलब्धियाँ वही होती हैं जो व्यक्तित्व को विस्तार दें,न कि संकुचन।ऐसे प्रसंग प्रकाश में आने चाहिए, ताकि हरेक को प्रेरणा मिले।

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    1. आदरणीया
      सही कहा आपने। आप तो बहुत विद्वान हैं। और वरिष्ठ साहित्यकार भी। सो हार्दिक आभार सादर

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  16. पिताश्री प्रेरणादायक और सीख देने वाला लेख है। पिताश्री कि बात कहे तो ये स्वयं भी प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति है। पिताश्री को मेरा सादर चरण स्पर्श 🙏

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    1. प्रिय हेमंत
      हार्दिक आभार सस्नेह

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  17. पंडित अनिल ओझा06 May

    हमेशा की तरह अति सुंदर लेख।हर लेख संस्कारी,शाश्वत,शिक्षाप्रद होता है।बोल्ट जैसे लोग आजकल बहुत कम है जो अपने बुज़ुर्ग माता पिता को आत्मीय सम्मान देते है।तभी तो भारत में वृद्धाश्रम खुलते जा रहे है।ऐसे वृद्धाश्रम में जाकर उन लोगों की कहानियां सुनी तो रोंगटे खड़े हो जाते है।बहुत ही अजीब स्थिति हो रही है।इंसान करोड़पति हो,अरबपति हो लेकिन वो महान तब माना जाएगा जब उसके घर में उसके बुज़ुर्ग मां बाप हंसते हुए सम्मान के साथ रह रहे हो।

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    1. प्रिय अनिल भाई
      बड़ों की उपेक्षा का दुर्गुण भारतीयों के डीएनए में समाहित है। ईश्वर सद्बुद्धि प्रदान करें। हार्दिक आभार सादर

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  18. Very inspiring story. Keep it up.
    S N Roy

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    1. Thanks very very much sir for your perusal and encouragement

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  19. दुनिया का महान तम धावक, अपनी उपलब्धियों से अहंकारी नही बना, विनम्र होकर अपने माता-पिता का खयाल रखा और उनके खातीर पूरे गांव में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई। ऐसे व्यक्ति मानव जाति के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं। बहुत धन्यवाद जोशी जी ऐसी अनुठी कहानियों से प्रेरक संदेश देने के लिए।

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    1. आदरणीय कासलीवाल जी
      विनम्रता से बड़ा कोई गुण ही नहीं। हार्दिक आभार सादर

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  20. Daisy C Bhalla06 May

    God helps those who help themselves. Bolt proved this - hard work n passion, he brought laurels. Helped make a village comparable to city for the sake of his parents. A very inspirational account recalled by you brings positivity in readers🙏🏼

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    1. Dear Daisy
      God gives us wisdom to do something for the society. Thanks very much. Regards

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  21. प्रेरणादायक लेख

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    1. Vijay Joshi12 May

      प्रिय मनीष
      हार्दिक आभार सहित

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  22. आदरणीय जोशीजी की रचनाएं सदैव प्रेरणादायक होती है। उसैन बोल्ट द्वारा किया गया सामाजिक कार्य उनकी महानता को दर्शाता है। उनका यह महान कार्य उनकी विनम्रता एवं माता पिता एवं समाज के‌ प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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    1. Anonymous12 May

      प्रिय मित्र कृष्णकांत
      समाज के प्रतिबद्धता ही हमारे आचरण का दर्पण भी है। हार्दिक आभार सादर

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  23. राजेश दीक्षित08 May

    अति‌ प्रेरणा दायी आलेख। पहले मेहनत से प्रारब्ध में लिखा हासिल किया तत्पश्चात सर्वजन हिताय/सुखाय की भावना से प्रेरित होना। हुसैन बोल्ट का मानवीय पहलू उजागर करने हेतु साधुवाद।

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    1. Anonymous12 May

      प्रिय राजेश भाई
      सही कहा आपने।यही मानवता की परिभाषा है। हार्दिक आभार सादर

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  24. आदरणीय भाई साहब,
    उसैन बोल्ट एक प्रेरणा हैं हम सभी के लिए, अपनी मातृभूमि और माता पिता के कर्ज के उपकार को उचित रूप से सार्थक प्रतिफल चुकाने का, आपके प्ररणा स्त्रोत लेख पर बहुत बहुत सादर चरण वंदन।

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  25. Anonymous12 May

    प्रिय संदीप
    तुम भी परिवार के उसैन बोल्ट ही हो। हार्दिक आभार सस्नेह

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  26. Anonymous12 May

    सादर प्रणाम 🙏

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  27. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
    किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
    किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
    जीना इसी का नाम है

    वैसे तो यह एक गीत की पंक्तियां है जिसे शायद हर किसी ने गुनगुनाया होगा, किंतु इसके अंदर क्या भाव निहित है इस पर यक़ीनन बहुत ही कम लोगों ने ध्यान दिया होगा ।
    और जिन्होंने ध्यान दिया भी होगा उसमें से भी ऐसे लोगों का प्रतिशत नाम मात्र का ही होगा जो अपनी सफलता के चरम पर होने के बाद भी इसे याद रखते हों । ऐसी ही पुण्यात्मा उसैन बोल्ट है जोकि औरों के लिये भी अनुकरणीय हैं ।

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  28. प्रिय शरद
    बहुत शानदार जानदार और रिश्तों में बेहद ईमानदार इंसान हो। स्नेही भी इतने कि रिश्तों की नाजुक डोर को वडोदरा से आज तक सहेज कर रखा हुआ है। हमारे उसैन बोल्ट। सबसे यही स्नेह सदा बनाए रखना। हार्दिक आभार सस्नेह

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  29. बहुत ही प्रेरणादायक लेख

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