जीवन यापन की जापानी पद्धति
- विजय जोशी
(पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल)
जापान जिम्मेदारी, जागरूकता एवं जज़्बे
का दूसरा नाम है।
एक आम जापानवासी
भी अपने ध्येय
के प्रति पूरी तरह
सतर्क एवं समर्पित रहता
है। यही वह
विशेषता है जिसके
कारण तमाम भौतिक
असुविधा और आपदाओं
के बीच भी
यह देश सिद्धांतों के
मामले में भी
दुनिया का सिरमौर
बनकर उभरा है।
वहाँ की जीवन
पद्धति के कुछ
सूत्रों को जानने
का सौभाग्य मुझे हाल
ही में प्राप्त
हुआ, जो इस प्रकार
हैं -
(1) क्या आप जानते
हैं कि वहाँ
के बच्चे प्रतिदिन शिक्षकों के साथ
मिलकर पहले आधे
घंटे साफ सफाई
करते हैं। इसी
गुण के कारण
उस नई पीढ़ी
का निर्माण हुआ जो
नम्र होने के
साथ ही साथ
स्वच्छता के प्रति
समर्पित भी है।
(2) क्या आप जानते
हैं कि जिन
जापानियों के पास
कुत्ते हैं, वे एक प्लास्टिक का बैग
साथ लेकर चलते
हैं, ताकि उसमें अपने पालतू
का निष्कासन भर सकें।
स्वच्छता (Hygiene) व स्वच्छता के प्रति उत्सुकता और समर्पण
जापानी आचार व्यवहार
(Ethics) का एक अंग
है।
(3) क्या आप जानते
हैं कि वहाँ
सफाई कर्मचारी को हेल्थ
इंजीनियर कहा जाता है, जिसकी
मासिक आय 5 हजार
से 8 हजार अमरीकी डॉलर के
समकक्ष होती है
तथा उसे लिखित
व मौखिक परीक्षा से गुजरने
पर ही नौकरी
मिलती है।
(4) क्या आप जानते
हैं कि जापान
के पास कोई
प्राकृतिक सम्पदा नहीं है
तथा उन्हें भूकंप जैसी आपदाओं
का खतरा सदैव
बना रहता है, लेकिन
इसके बावजूद उन्हें संसार की दूसरी
सबसे बड़ी अर्थ
व्यवस्था बनने से
कोई नहीं रोक
सका।
(5) क्या आप जानते
हैं कि एटमिक
त्रासदी को झेलने
के बाद केवल एक
दशक में जापान
पूर्ववत जीवंत (Vibrant) अर्थ शक्ति के रूप
में उभर आया।
(6) क्या आप जानते
हैं कि जापानियों
के लिए ट्रेन, रेस्टोरेंट जैसी सार्वजनिक
जगहों पर मोबाइल
फोन का प्रयोग
प्रतिबंधित है।
(7) क्या आप जानते
हैं कि वहाँ
कक्षा 1 से 6 तक के छात्रों
के लिये मानवीय
संबंधों में आचार
व्यवहार (Ethics) का ज्ञान आवश्यक है।
(8) क्या आप जानते
हैं कि इस
समुदाय की संसार
के धनी वर्ग
में गणना होने
के बावजूद उनके घर
में कोई नौकर
नहीं होता। वे अपने
काम स्वयं करते हैं।
(9) क्या आप जानते
हैं कि उनके
यहाँ प्राथमिक स्तर पर
कोई परीक्षा नहीं होती।
उनका लक्ष्य तो बच्चों
में चारित्रिक गुणों का विकास
है।
(10) क्या आप जानते
हैं कि बुफेवाले
रेटोरेंट में जाने
पर आप पाएँगे
कि वहाँ कोई
भी जूठा नहीं
छोड़ता। वे आवश्यकता
से अधिक कभी
नहीं लेते ,भले ही वह
मुफ्त ही क्यों
न हो।
(11) क्या आप जानते
हैं कि जापान
में ट्रेन लेट होने
की अधिकतम सीमा मात्र
7 सेकंड प्रति वर्ष है।
उन्हें समय की
कीमत मालूम है तथा
वे समय के
मामले में बेहद
समयनिष्ठ (Punctual) हैं।
(12) क्या आप जानते
हैं कि वहाँ
बच्चे स्कूल में भोजन
समाप्ति पश्चात् नियमित ब्रश करते
हुए दाँत अवश्य
साफ करते हैं।
वे स्वास्थ्य के प्रति
बचपन से ही
जागरूक रहते हैं।
(13) क्या आप जानते
हैं कि वहाँ
बच्चे धीमी गति
से लगभग आधे
घंटे में अपना
भोजन समाप्त करते हैं
,ताकि वह ठीक
से पच भी
सके। पूछा जाने
पर एक जापानी
ने उत्तर दिया कि
बच्चे हमारी धरोहर तथा हमारे
देश का भविष्य
हैं।
मित्रो ! यही वहाँ के
निवासियों के वे
गुण हैं ,जिनके कारण उनका
देश महान है।
ये पल हमारे
लिये आत्म निरीक्षण
एवं परीक्षण दोनों के हैं।
सम्पर्कः 8/ सेक्टर-2, शांति
निकेतन (चेतक सेतु
के पास), भोपाल-
462023, मो. 09826042641,
E-mail- v.joshi415@gmail.com
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