अस्तित्व को तलाशती
- शैफाली गुप्ता
कपड़ों की तह में
फुल्कों की नरमाई में
ढूंढ़ती खुद को वो।
कभी कपड़ों की धुलाई में,
कभी सब्जी के नमक में,
कभी खीर की मिठास में,
कभी रायते की मिर्च में
जीवन अपना 'सजाती’ वो।
कभी घर को निखारने में,
कभी घरवालों को संवारने में,
कभी किताबों को जमाने में,
कभी लिहाफ को चढ़ाने में
नियम अपना 'पाती’ वो।
कभी शब्दों के जाल में,
कभी पन्नों के थाल में,
कभी कलम की स्याही में,
कभी रचना के भेदों में
अस्तित्व अपना 'तलाशती’ वो।
लेखक के बारे में: अपने भीतर काव्य कला को अपने पिताजी की देन मानने वाली शैफाली के लिए कविता लिखना, समय बिताने का नहीं वरन जीवन जीने का खूबसूरत तरीका है। अपने ब्लॉग ड्रीम्स पर 5 सालों से सक्रिय। कविता रचने के साथ साथ काव्य पाठ में भी रुचि। रेडियो प्लेबेक इंडिया के 'शब्दों में चाक पर’ कार्यक्रम में विभिन्न कवियों की कवितायेँ अपनी आवाज में मुखर करती हैं। 'बोलती कहानियाँ’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसिद्ध कहानियों का वाचन। हाल ही में सुधा ओम ढीगरा की प्रसिद्ध कहानियाँ तथा श्री रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु’ व सुकेश साहनी की लघुकथाओं का वाचन लघुकथा डॉट कॉम व रेडियो सबरंग के लिए के लिए किया। वर्तमान में कैलिफोर्निया में, प्रौढ़-शिक्षा में सलंग्न गैर-सरकारी संस्था में अंग्रेजी अध्यापन एवं सॉफ्टवेयर/शिक्षा प्रचार में सक्रिय। संपर्क: कैलिफोर्निया, यूएसए
Email- shaifaligupta80@gmail.com, guptashaifali.blogspot.com
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